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योगी सरकार के 'नजूल बिल' पर क्यों मचा सियासी संग्राम, विधान परिषद में क्यों अटका, सामने आई ये वजह ?

'Nazul Bill’ in Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों नजूल बिल को लेकर घमासान मचा हुआ है। आखिर योगी सरकार के नजूल बिल में ऐसा क्या है, जो विपक्ष के साथ साथ बीजेपी के कुछ समर्थक भी इसका विरोध कर रहे हैं। आइये जानते हैं।

योगी सरकार के 'नजूल बिल' पर क्यों मचा सियासी संग्राम, विधान परिषद में क्यों अटका, सामने आई ये वजह ?

'Nazul Bill’ in Uttar Pradesh: योगी सरकार को इस विधेयक पर पार्टी के कई नेताओं समेत सहयोगियों के विरोध को भी झेलना पड़ रहा है। आपको बता दें कि नजूल की ज़मीन से जुड़ा एक बिल योगी सरकार के लिए आफत बन गया है। ऐसा पहली बार हुआ है जब योगी सरकार के किसी विधेयक को विधानसभा से मंजूरी मिलने के बावजूद विधान परिषद ने प्रस्ताव पास नहीं किया। बड़ी बात ये है कि इस विधेयक का विरोध न सिर्फ विपक्ष कर रहा है, बल्कि खुद बीजेपी के नेता भी इस बिल के खिलाफ हैं।

क्या है योगी सरकार की दलील

जानकारी के मुताबिक योगी सरकार का मानना है कि नजूल की ज़मीन का सार्वजनिक इस्तेमाल किया जाए। इसलिए ऐसी जमीनों को किसी व्यक्ति या संस्था को देने की जगह सरकार इसका इस्तेमाल समाज कल्याण में कर सके, लेकिन इससे जुड़े विधेयक का न सिर्फ विपक्ष के नेता बल्कि सत्ता पक्ष और बीजेपी सहयोगी भी विरोध कर रहे हैं। जिसने खुद योगी सरकार के लिए एक बड़ी आफत खड़ी कर दी है।

क्या होती है ‘नजूल की जमीन’

नजूल का मतलब होता है कि वह जमीन का टुकड़ा जिसका कोई वारिस नहीं होता। ये ज़मीन राज्य सरकार के अधीन आती है और राज्य सरकार अपने मुताबिक ये जमीन किसी को लीज़ या पट्टे पर दे सकती है। इसी नजूल की जमीन से जुड़े एक विधेयक का यूपी में जमकर विरोध हो रहा है।

क्या है नजूल भूमि विधेयक

नजूल भूमि विधेयक में प्रावधान किया गया है कि अगर कोई नजूल सम्पत्ति को पट्टे पर लिया है और उस पट्टे का किराये का नियमित रूप से भुगतान किया जा रहा है। उसमें किसी तरह के अनुबंध का उल्लंघन नहीं हुआ है तो उसका नवीनीकरण कर दिया जाएगा। बता दें कि ऐसे लोगों को 30 साल के लिए पट्टे का रिन्यू किया जाएगा। वहीं अगर पट्टे का समय पूरा हो चुका है तो वो संपत्ति सरकार के पास आ जाएगी। वहीं अगर पट्टा अवधि के खत्म होने के बाद नजूल संपत्ति का इस्तेमाल हो रहा है तो पट्टे के किराये का निर्धारण जिलाधिकारी द्वारा किया जाएगा।

विधानसभा में पेश हुआ नजूल संपत्ति विधेयक

बता दें कि बुधवार को संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने विधानसभा में नजूल संपत्ति विधेयक 2024 को पेश किया। इस दौरान उन्होने कहा कि कई बार जनहित के कार्यों में भूमि का प्रबंध करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है जिससे जनहित से सार्वजनिक कार्य होने में देरी हो जाती है। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि इसके बाद नजूल संपत्ति का इस्तेमाल सार्वजनिक हितों की योजनाओं के लिए किया जा सकेगा। लेकिन इस विधेयक का विपक्षी नेताओं समेत कई बीजेपी नेताओं और एनडीए के सहयोगियों ने भी विरोध किया।