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कृषि वैज्ञानिकों ने कर दिखाया कमाल, अब मौसम से लड़कर दोगुना उत्पादन देंगी धान-गेहूं की ये नई प्रजातियां

New Varieties of Rice and Wheat in Prayagraj: मौसम से लड़कर गेहूं और धान की नई प्रजातियां दोगुना उत्पादन देंगी। शाआट्स के कृषि वैज्ञानिकों ने दो प्रजातियां विकसित करने में सफलता हासिल की हैं। जिससे कि किसानों को काफी लाभ मिलेगा।

 

कृषि वैज्ञानिकों ने कर दिखाया कमाल, अब मौसम से लड़कर दोगुना उत्पादन देंगी धान-गेहूं की ये नई प्रजातियां

New Varieties of Rice and Wheat in Prayagraj: कृषि वैज्ञानिकों ने बड़ी सफलता हासिल की है। बता दें कि कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं और धान की नई प्रजातियां विकसित करने में बड़ी कामयाबी हासिल की। ये फसलें अब मौसम से लड़कर दोगुना उत्पादन देंगी। इससे किसानों को भी काफी लाभ मिलेगा।

कृषि वैज्ञानिकों को मिली बड़ी सफलता

आपको बता दें कि इन फसलों के उत्पादन में एक पखवाड़े से लेकर 20 दिन का समय बचेगा। प्रयागराज में फसलों के उत्पादन पर मौसम का प्रभाव काफी ज्यादा पड़ता है। यहां गर्मी में तापमान 48 डिग्री सेल्सियस और जाड़े के महीनों में तीन डिग्री से भी नीचे चला जाता है। इस कारण मौसम का उत्पादन और समय प्रबंधन पर असर पड़ता है। फसल में एक पखवाड़े की देरी से फसलों में कीट लग जाते हैं और उत्पादन पर असर पड़ता है। हालांकि कृषि वैज्ञानिकों की इस सफलता से किसानों को खेती करने में काफी फायेदा मिलेगा।

 नई प्रजातियों पर चल रही थी रिसर्च

शुआट्स में धान और गेहूं की नई प्रजातियों पर काफी समय से रिसर्च चल रही थी। शोध निदेशक प्रो. एसडी मेकार्टी की देखरेख में कृषि वैज्ञानिक डॉ. महाबल राम और डॉ. रूपा लवानिया और डॉ. वीपी शाही ने गेहूं की नई किस्म एएआई डब्ल्यू-52 और सुआट्स धान-7 (सुहानी) विकसित की है।कृषि वैज्ञानिकों की इस उपलब्धि की हर तरफ चर्चा हो रही है।

 नई किस्मों की फसलों की विशेषता

  • एएआई डब्ल्यू-52 किस्म में कम सिंचाई लगती है ।
  • नई किस्मों के पौधे की ऊंचाई 95-98 सेमी है।
  • ये फसलें 110-115 दिन में पक कर तैयार हो जाती है।
  • फसलों की औसत उपज 94 कुंटल प्रति हेक्टेयर है।
  • सुआट्स धान-7 (सुहानी) किस्म को सिंचित क्षेत्र में उगाया जा सकता है।
  • सुहानी पौधे की ऊंचाई 85-95 सेमी है।
  • यह किस्म 125-130 दिन में परिपक्व हो जाती है।
  • सुआट्स धान-7 (सुहानी) की औसतन उपज 40 कुंटल प्रति हेक्टेयर है।