फायर सेफ्टी में चूक के कारण 10 मासूमों ने तोड़ा दम, प्रशासन पर उठे गंभीर सवाल
झांसी के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज के नवजात गहन चिकित्सा कक्ष में शुक्रवार की रात आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई। शुरुआती जांच में सामने आया कि फायर सिलिंडर एक्सपायर हो चुके थे, जिससे आग पर काबू पाने में असफलता मिली।
उत्तर प्रदेश के झांसी में महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज के नवजात गहन चिकित्सा कक्ष (एसएनसीयू) में शुक्रवार की रात एक भीषण अग्निकांड हुआ, जिसमें 10 नवजात शिशुओं की दर्दनाक मौत हो गई।
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इस वार्ड में कुल 55 नवजात भर्ती थे, जिनमें से 45 को सुरक्षित निकाल लिया गया। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि आग बुझाने के लिए रखे गए फायर सिलिंडर एक्सपायर हो चुके थे और नाकाम साबित हुए।
सुरक्षा में हुई चूक
जांच में यह खुलासा हुआ कि कई फायर सिलिंडर एक्सपायरी डेट पार कर चुके थे। इनमें से कुछ सिलिंडर तो 2020 में ही एक्सपायर हो चुके थे। ये सिलिंडर आग बुझाने में असमर्थ रहे, जिससे आग पर काबू पाने में देरी हुई। उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि फरवरी 2024 में मेडिकल कॉलेज में फायर सेफ्टी की समीक्षा की गई थी और जून में एक ट्रायल भी किया गया था, बावजूद इसके आगजनी की इस घटना ने फायर सेफ्टी में गंभीर खामियों को उजागर कर दिया।
समय पर अलार्म न बजने से बढ़ा हादसा
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आग से बचाव के लिए कक्ष में सेफ्टी अलार्म लगाए गए थे, लेकिन आग लगने के दौरान ये अलार्म नहीं बजा। धुआं फैलते ही चारों ओर अफरातफरी मच गई। अगर अलार्म समय पर सक्रिय हो जाता, तो बचाव कार्य जल्द शुरू हो सकते थे। आग की लपटें कुछ ही मिनटों में पूरे वार्ड में फैल गईं, जिससे मुख्य द्वार से प्रवेश करना मुश्किल हो गया। फायरकर्मियों ने खिड़कियों के कांच तोड़कर अंदर प्रवेश किया और बचाव कार्य शुरू किया।
अफरातफरी में पहचान के चिह्न खोए
नवजात शिशुओं को बाहर निकालते समय अधिकांश बच्चों की पहचान के चिह्न खो गए, क्योंकि उनके हाथों में लगी स्लिप और पांव में बंधे रिबन अफरातफरी के दौरान निकल गए। परिजन अपने बच्चों को पहचानने की कोशिश में जुटे रहे और जो भी नवजात मिला, उसे उठाकर वहां से ले गए।