Sultanpur News: मंगेश यादव का एनकाउंटर का मामला, सीसीटीवी में कैद डकैत और जौनपुर में मौजूदगी की पहेली
सुल्तानपुर जिले में 28 अगस्त को भरत ज्वेलर्स पर हुए डकैती के दौरान मंगेश यादव का नाम उभरकर सामने आया है। सवाल यह है कि मंगेश यादव, जो डकैती के समय शोरूम के सीसीटीवी में कैद पांच डकैतों में से एक के रूप में दिखाई दे रहा था, एक ही समय पर सुल्तानपुर से लगभग 90 किलोमीटर दूर अपनी बहन के स्कूल में भी मौजूद था।
सुल्तानपुर जिले में 28 अगस्त को भरत ज्वेलर्स पर हुए डकैती के दौरान मंगेश यादव का नाम चर्चा में आया है। सवाल यह है कि क्या डकैती के समय शोरूम के सीसीटीवी कैमरे में कैद पांच डकैतों में एक मंगेश यादव था? यदि ऐसा है, तो यह कैसे संभव है कि मंगेश यादव एक ही समय पर सुल्तानपुर से करीब 90 किलोमीटर दूर अपनी बहन के स्कूल में भी मौजूद था और शोरूम में डकैती भी डाल रहा था?
इसके अतिरिक्त, यह भी सवाल उठ रहा है कि मंगेश यादव अपने तीन साथियों के एनकाउंटर की खबर मिलने के बावजूद अपने घर पर आराम से कैसे सो रहा था। इन सवालों ने इस मामले को एनकाउंटर और मर्डर के बीच खड़ा कर दिया है, और इसके विभिन्न पहलुओं की गहराई से जांच की आवश्यकता है।
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जौनपुर के अगरौरा गांव में ट्रक ड्राइवर राकेश यादव का घर है, जिसमें पहले चार लोग रहते थे: राकेश यादव, उनकी पत्नी, दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली बेटी प्रिंसी, और बेटा मंगेश यादव। लेकिन अब मंगेश यादव का एनकाउंटर हो गया है, हालांकि यूपी पुलिस इसका स्वीकार नहीं करती है। यूपी पुलिस हर एनकाउंटर के बाद जो कहानी प्रस्तुत करती है, मंगेश यादव की मौत के बाद भी वही पुरानी और घिसी-पिटी कहानी दोहराई जा रही है।
कैसे मंगेश यादव ने किए एक रात में दो काम
2 सितंबर 2024 की रात को, एसटीएफ की टीम मंगेश यादव के घर पर सादे कपड़े में पहुंची। घरवालों के अनुसार, उस समय मंगेश घर पर सो रहा था और कई दिनों से वहीं था। अब सवाल यह उठता है कि अगर मंगेश यादव भारत ज्वेलर्स में डकैती में शामिल था और उसके तीन साथी 1 सितंबर को एनकाउंटर में मारे गए थे, जबकि 4 सितंबर को उसका सरगना विपिन एनकाउंटर के डर से आत्मसमर्पण कर चुका था, तो मंगेश यादव घर पर बैठकर एसटीएफ का इंतजार क्यों कर रहा था? ऐसा लगता है कि उसने लूट के माल को यूपी में छोड़ने के बजाय, आराम से घर पर सोने का फैसला किया था, जैसे कि उसे कोई खतरा नहीं हो।
2 सितंबर को घोषित हुआ था मंगेश पर इनाम
घरवालों के अनुसार, 2 सितंबर को जब मंगेश यादव पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया और 4 सितंबर को जब यह इनाम दोगुना किया गया, उस समय मंगेश फरार नहीं था। इसके बजाय, वह एसटीएफ की निगरानी में था और बाद में पकड़ा भी गया। लेकिन यह कहानी केवल शुरुआत है। असली सच्चाई तो इसके आगे खुलती है।
एसटीएफ की कहानी पर प्रश्न
एफआईआर के अनुसार, 5 सितंबर की रात को एसटीएफ को एक मुखबिर से सूचना मिली थी कि भरत ज्वेलर्स में लूटपाट में शामिल दो आरोपी लूट का सामान बेचने के लिए एक विशेष रास्ते से गुजरेंगे। अब यह सवाल उठता है कि रात के तीन बजे लूट का माल लेकर कोई चोर या लुटेरा किस बाजार या सुनार के पास सामान बेचने जाता है? यह तथ्य एसटीएफ की कहानी को लेकर गंभीर प्रश्न खड़ा करता है।
कैसे हुई मंगेश की मौत
कहानी के अनुसार, मंगेश यादव को रुकने के लिए कहा जाता है, वह गोली चलाता है और जवाब में गोली लगने से उसकी मौत हो जाती है। आश्चर्यजनक रूप से, एसटीएफ के अधिकांश मामलों की तरह, मंगेश यादव का साथी मोटरसाइकिल पर सवार होकर तीन तरफ से घिरे होने के बावजूद भाग निकलता है। और मंगेश यादव के पास कभी चाकू न मिलने के बावजूद उसके पास हथियार भी मिल जाता है। इसके अलावा, एसटीएफ यह भी दावा करती है कि मंगेश यादव के पास अमेरिकन टूरिस्टर बैग और ब्रांडेड कपड़े मिले, जो उसने कभी पहने नहीं थे।
सीसीटीवी कैमरे में दर्ज हुई लूटपाट
भरत ज्वेलर्स में लूटपाट 28 अगस्त की दोपहर 12:17 बजे के आसपास हुई, जैसा कि सीसीटीवी कैमरे ने दर्ज किया। वहीं, मंगेश यादव उस दिन सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक अपनी बहन प्रिंसी के साथ जौनपुर में था, जहाँ वह उसकी फीस जमा करने गया था। इस समय की पुष्टि उसकी बहन प्रिंसी ने की है।