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अहमदिया शख्स के किताब बांटने से भड़के पाकिस्तान के कट्टरपंथी, जज के इस्तीफे की मांग

पाकिस्तान के अल्पसंख्यक अहमदिया समुदाय के एक शख्स पर अपने धर्म की किताब बांटने पर ईशनिंदा का आरोप लगा। चार साल बाद गिरफ्तार किए गए इस आरोपी को सुप्रीम कोर्ट के जज के बरी करने पर कट्टरपंथी लोग भड़क गए।

अहमदिया शख्स के किताब बांटने से भड़के पाकिस्तान के कट्टरपंथी, जज के इस्तीफे की मांग

पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में 19 अगस्त को एक ऐतिहासिक फैसले के बाद हिंसा भड़क उठी। यह हिंसा तब शुरू हुई जब हजारों कट्टरपंथी इस्लामाबाद की सड़कों पर उतर आए। इस अशांति का कारण पाकिस्तान के चीफ जस्टिस काजी फैज ईसा का एक विवादास्पद फैसला था, जिसमें उन्होंने ईशनिंदा के आरोपी एक अहमदिया शख्स को सभी आरोपों से बरी कर दिया।

इस फैसले से कट्टरपंथियों में गहरा असंतोष और आक्रोश पैदा हो गया। उन्होंने इसे ईशनिंदा के खिलाफ पाकिस्तान के कड़े कानूनों का उल्लंघन मानते हुए सड़कों पर उतरने का फैसला किया। इन प्रदर्शनकारियों का गुस्सा बढ़ गया।

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सुप्रीम कोर्ट ने ईशनिंदा के आरोपी को किया बरी

दरअसल, पाकिस्तान के अल्पसंख्यक अहमदिया समुदाय के एक शख्स पर किताब के जरिए इस्लाम विरोधी बातें फैलाने का आरोप लगा था। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए उस शख्स को बरी कर दिया गया, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद से ही पाकिस्तान के कट्टरपंथी भड़क गए और फैसले को बदलने की मांग करने लगे।

अहमदिया समुदाय के एक शख्स की वजह से फैली हिंसा

पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में इस समय फैली हिंसा की वजह का कारण एक अहमदिया समुदाय का शख्स है, जिसका नाम मुबारक अहमद सानी है। इस शख्स ने साल 2019 में एक कॉलेज में अहमदिया समुदाय की एक धार्मिक किताब ‘तफसीर-ए-सगीर’ को छात्रों में बांटा था।। इसमें अहमदिया समुदाय के फाउंडर के बेटे मिर्जा बशीर अहमद ने कुरान की व्याख्या की है। इस मामले के सामने आते ही लोग भड़क गए थे और मुबारक को ईशनिंदा के आरोप में चार साल बाद 7 जनवरी, 2023 को गिरफ्तार कर लिया गया था।

किताब बांटने पर लगा ईशनिंदा का आरोप  

पाकिस्तान पुलिस ने मुबारक को कुरान प्रिंटिंग एंड रिकॉर्डिंग (संशोधन) एक्ट, 2021 के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया था। इस पर उसने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए कोर्ट में दलील दी थी कि जिस कानून के तहत उसको सजा दी गई है, उस किताब को बांटने के समय साल 2019 में वो कानून नहीं था। उस समय वह अपने धर्म का प्रचार करने के लिए स्वतंत्र था। जिसके बाद कोर्ट ने उसको रिहा कर दिया था। जिस पर अब बवाल फैला हुआ है और अब सुप्रीम कोर्ट के जज के इस्तीफे की मांग चल रही है।