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मोदी फैक्टर ने यूपी में कैसे बदली राजनीतिक जमीन ? कितनी टक्कर दे पाएगा INDIA अलायंस ?

INDI अलायंस के पास एक स्पीनर की कमी थी, वो पूरी हो गई. इलेक्शन पिच का सबसे जोरदार स्पिनर मैदान में आ गया है. अरविंद केजरीवाल यूपी से लेकर दिल्ली तक और योगी-मोदी से लेकर अमित शाह तक स्पिन करा रहे हैं.

मोदी फैक्टर ने यूपी में कैसे बदली राजनीतिक जमीन ? कितनी टक्कर दे पाएगा INDIA अलायंस ?

INDI अलायंस के पास एक स्पीनर की कमी थी, वो पूरी हो गई. इलेक्शन पिच का सबसे जोरदार स्पिनर मैदान में आ गया है. अरविंद केजरीवाल यूपी से लेकर दिल्ली तक और योगी-मोदी से लेकर अमित शाह तक स्पिन करा रहे हैं. अरविंद केजरीवाल ने बाहर आते ही बड़ी चतुराई से बीजेपी के 75 साल के अघोषित फैक्टर पर छक्का मारने की कोशिश की. बड़े ही आसानी के साथ केजरीवाल ने पहले यूपी के मुख्यमंत्री बदलने को लेकर माहौल बनाया और उसके बाद बीजेपी के 75 साल बाद रियारमेंट वाले फॉर्मूले पर पीएम मोदी को लेकर कन्फ्यूजन क्रिएट करने की कोशिश की. केजरीवाल से पहले indi अलायंस के किसी नेता ने इस तरह नहीं सोचा और अगर सोचा भी हो तो पब्लिकली कभी नहीं बोला, लेकिन केजरीवाल ने जेल से बाहर आते ही पीएम मोदी पर बीजेपी के 75 साल के अघोषित पैटर्न को आजमाया. लेकिन समस्या ये है कि केजरीवाल मात्र 20 सीटों पर चुनाव लड़ने वाले नेता हैं. वो भले ही कितना चीख कर बोलें लेकिन उनकी आवाज का असर सीमित ही होता है. दूर तक अगर उनकी आवाज पहुंच भी जाए, तो उसका असर दिखाई नहीं देता, यानि मतलब साफ है कि दिल्ली हो या यूपी बीजेपी फैक्टर केजरीवाल फैक्टर पर भारी ही रहता है. 2014 का लोकसभा चुनाव हो या 2019 का,जिसके नतीजे इस बात की सबसे बड़ी गवाही हैं.

24 के सबसे बड़े पहलवान पीएम
24 के सबसे बड़े दंगल में नरेंद्र मोदी ही सबसे बड़े पहलवान हैं. जिनको चैलेंज करने के लिए राहुल गांधी, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, शरद पवार, उद्धव ठाकरे, ममता बनर्जी अपने-अपने अखाड़े में ताल ठोक रहे हैं. मोदी की तरह फैन फोलोइंग किसी और नेता कि नहीं हैं. राहुल गांधी भी दूसरे नंबर पर हैं. विपक्ष की ओर से 24 के चैलेंजर राहुल ही हैं. लेकिन राहुल मोदी से काफी पीछे हैं. नरेंद्र मोदी ने चुनाव में M फैक्टर की जड़ पकड़ रखी है.

M फैक्टर पोलराइजेश
वहीं राहुल संविधान और आरक्षण के मुद्दे को छोड़ नहीं रहे. अखिलेश यादव PDA के फॉर्मूले को पकड़ कर चल रहे हैं. पीडीए यानी पिछड़ा, दलित,अल्पसंख्यक. बिहार में तेजस्वी यादव ने खुलम-खुल्ला कह दिया है कि सवर्णों को छोड़ो, पिछड़ा-दलितों को जोड़ो.

वहीं लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश की VVIP और हॉट सीट वाराणसी हमेशा से सुर्खियों में रहती है. नरेंद्र मोदी ने 2014 में यहां से पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था और बहुमत के साथ केंद्र में NDA की सरकार बनाई थी. 2019 के चुनाव में उन्हें दोबारा प्रचंड बहुमत मिला. अब मोदी तीसरी बार इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. 2014 से 2024 तक यानी 10 सालों में पीएम मोदी की मौजूदगी से यूपी की सियासत बदल चुकी है. सवाल ये है कि मोदी फैक्टर ने यूपी की राजनीतिक जमीन कैसे बदली? मोदी-योगी फैक्टर के आगे INDIA गठबंधन कितना टिक पाएगा?

BJP का वोट शेयर 50 प्रतिशत
2009 तक के चुनावों में बीजेपी का वोट शेयर औसत 28 फीसदी होता था. अब यूपी में ही 50 फीसदी वोट शेयर हो गया है. अकेले वाराणसी सीट की बात करें, तो बीजेपी का वोट शेयर उससे भी ज्यादा है. मोदी ने जातीय समीकरण के लिए भी बनारस को एक प्रयोग के तौर पर इस्तेमाल किया. बात सिर्फ अगर यूपी की करें, तो यूपी के दो लड़कों की जोड़ी हो या समूचा विपक्ष मोदी के प्रचार फैक्ट के सामने फीका रहता है. मोदी फैक्टर ने यूपी में राजनीतिक जमीन बदलकर विपक्ष के लिए तगड़ी चुनौती खड़ी कर दी है,जिसे भेद पाना मुश्किल है.