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ईरान और इजराइल के बीच अगर युद्ध हुआ तो नई मुसीबत आ सकती है सामने, भारत पर भी पड़ेगा असर

नई दिल्ली : ईरान-इजराल युद्ध से पूरे विश्व में नई मुसीबत सामने आने वाली है ऐसी चर्चाएं जोरों पर है। दोनों देशों के युद्ध से दुनिया को कितना नुकसान झेलना पड़ सकता है ये तो भविष्य के गर्भ में है। पहले से ही चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध और इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष के बीच इस नई ग्लोबल उठापटक ने सबकी चिंता बढ़ा दी है। इस संकट से भारत भी पीछे नहीं है। भारत के विदेश मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी कर ईरान और इजराइल जाने के प्रति नागरिकों को सचेत किया था। इजरायल से जुड़े एक कार्गो शिप पर भी ईरान ने कब्जा किया है। साथ ही हमें यह भी जानकारी मिली है कि उसमें 17 भारतीय नागरिक भी हैं। भारतीय नागरिकों को छुड़ाने के प्रयास लगातार किये जा रहे है।

ईरान और इजराइल के बीच अगर युद्ध हुआ तो नई मुसीबत आ सकती है सामने, भारत पर भी पड़ेगा असर

नई दिल्ली : ईरान-इजराल युद्ध से पूरे विश्व में नई मुसीबत सामने आने वाली है ऐसी चर्चाएं जोरों पर है। दोनों देशों के युद्ध से दुनिया को कितना नुकसान झेलना पड़ सकता है ये तो भविष्य के गर्भ में है। पहले से ही चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध और इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष के बीच इस नई ग्लोबल उठापटक ने सबकी चिंता बढ़ा दी है। इस संकट से भारत भी पीछे नहीं है। भारत के विदेश मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी कर ईरान और इजराइल जाने के प्रति नागरिकों को सचेत किया था। इजरायल से जुड़े एक कार्गो शिप पर भी ईरान ने कब्जा किया है। साथ ही हमें यह भी जानकारी मिली है कि उसमें 17 भारतीय नागरिक भी हैं। भारतीय नागरिकों को छुड़ाने के प्रयास लगातार किये जा रहे है।

कच्चे तेल की कीमत बढ़ सकती है

ईरान-इजरायल युद्ध की आशंका को देखते हुए इसका नकारात्मक असर महंगाई पर भी पड़ सकता है। कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर तक पहुंचने की आशंका जाहिर की जा रही है। पिछले कुछ दिनों में कच्चे तेल की तेजी के पीछे यही संकट अहम माना जा रहा है। हालांकि चुनाव को देखते हुए अभी पेट्रोल-डीजल की कीमतों में तुरंत वृद्धि की संभावना नहीं है। साथ ही ग्लोबल सप्लाई चेन भी इससे प्रभावित हो सकती है।

डिफेंस एक्सपर्ट क्या कहते हैं इसे भी समझिये

डिफेंस एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर इजरायल और ईरान का भी संघर्ष शुरू हो गया तो भारत के डिफेंस सप्लाई पर असर पड़ सकता है। रूस और यूक्रेन संघर्ष के बाद रूस से आने वाली सप्लाई पर असर हुआ तो भारत ने विकल्प के तौर पर यूएस, इजरायल और नाटो देशों को देखा। लेकिन अगर इजरायल-ईरान संघर्ष होता है तो उसमें यूएस की एंट्री तो होगी ही। ऐसे में यूएस, इजरायल और नाटो देश इन संघर्षों में उलझ जाएंगे। इजरायल-हमास संघर्ष में इजरायल पहले ही उलझा है। ऐसे में अगर एलएसी पर चीन कुछ हरकत करता है और चीन से विवाद बढ़ता है तो हमारे सपोर्ट और सप्लायर अपनी ही लड़ाई में व्यस्त होंगे। जिसका असर भारत पर पड़ सकता है। वैसे भी इजरायल और ईरान दोनों भारत के लिए अहम हैं। इजरायल भारत का स्ट्रैटजिक सप्लायर है तो सेंट्रल एशिया रिपब्लिक और ईस्ट यूरोपियन देशों तक कनेक्टिविटी के लिए ईरान जरुरी है। इसलिए भारत चाबहार पोर्ट में ईरान के साथ मिलकर काम कर रहा है।

आर्थिक हालातों पर पड़ेगा असर

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में विदेश नीति अध्ययन केंद्र के एक सदस्य कि अगर बात माने तो वो कहते हैं कि अगर इजरायल और ईरान के बीच जंग होती है तो पूरा मिडिल ईस्ट ही इससे प्रभावित होगा और उसके बाद एनर्जी क्राइसिस से लेकर आर्थिक हालत पर असर होगा। यह बहुत सीरियस क्राइसिस होगी। उसमें यह भी देखना होगा कि हमारी लेबर फोर्स जो वहां है उसे कैसे बचाया जाए। यह देखना होगा कि हमारी एनर्जी की जरूरतें कैसे पूरी होंगी। एनर्जी सिक्योरिटी से लेकर इकनॉमिक सिक्योरिटी तक और हमारे लोगों की सुरक्षा पर असर पड़ेगा।

भारत के लिए ईरान और इजराइल दोनो जरुरी

मिली जानकारी के अनुसार इजरायल और ईरान दोनों ही भारत के लिए अहम हैं, अगर संघर्ष बढ़ता है तो भारत दोनों देशों को यही राय दे सकता है कि लिमिट क्रॉस न की जाए क्योंकि उसमें फिर कई और किरदारों के शामिल होने की संभावना भी बढ़ जाएगी। अमेरिका पहले ही कह चुका है कि इजरायल को सपोर्ट करेंगे। इस तरह से यह वैश्विक चुनौती के तौर पर बड़ा मसला हो सकता है। भारत तो यही चाहेगा और यही कोशिश करेगा कि दोनों ही देशों को ये बात समझ आए कि मामला बढ़ाया न जाए। वैसे वे दोनों देश इस क्राइसिस को किस तरह देखते है ये उनके नजरिए पर निर्भर करता है। भारत यूरोपियन यूनियन और हिंद प्रशांत के देशों के साथ मिलकर जरूर इस बात को रेखांकित कर सकता है कि यह क्राइसिस बढ़े ना।