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केजरीवाल की जमानत ने फूंकी AAP में नई जान, दिल्ली की 7 सीटों पर फतह के लिए तैयार मेगा प्लान, बढ़ी बीजेपी की टेंशन !

केजरीवाल अब AAP में एक नई जान फूंक सकते है. क्योंकि आने वाले कुछ ही दिनों में यानी 25 मई को दिल्ली की 7 सीटों पर चुनाव होना है जिसमें केजरीवाल INDI गठबंधन को जीत की दहलीज तक पहुंचा सकते है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या केजरीवाल के बाहर आने का राजनीतिक लाभ मिलेगा या फिर नुकसान उठाना पड़ सकता है? इसको इस रिपोर्ट से समझते है.

केजरीवाल की जमानत ने फूंकी AAP में नई जान, दिल्ली की 7 सीटों पर फतह के लिए तैयार मेगा प्लान, बढ़ी बीजेपी की टेंशन !

बजरंगबली के भक्त दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल चुकी है, कोर्ट ने उन्हें 1 जून तक अंतरिम जमानत दी है, जिसके चलते अब वो लोकसभा चुनाव में प्रचार प्रसार कर सकेंगे, उनके आने से AAP कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई है. इतना ही नहीं जेल से बाहर आते ही केजरीवाल ने दहाड़ लगाते हुए बीजेपी को खूब सुनाया, जिसके बाद ऐसा माना जा रहा है कि केजरीवाल अब AAP में एक नई जान फूंक सकते है. क्योंकि आने वाले कुछ ही दिनों में यानी 25 मई को दिल्ली की 7 सीटों पर चुनाव होना है जिसमें केजरीवाल INDI गठबंधन को जीत की दहलीज तक पहुंचा सकते है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या केजरीवाल के बाहर आने का राजनीतिक लाभ मिलेगा या फिर नुकसान उठाना पड़ सकता है? इसको इस रिपोर्ट से समझते है.

चुनाव प्रचार को मिलेगी धार

दरअसल केजरीवाल को जमानत मिलने के साथ ही AAP के हौसले बुलंद हैं. पार्टी नेताओं ने प्रेस कॉफ्रेंस करके कहा कि बजरंगबली का उन पर आशीर्वाद है. जमानत मिलने से दिल्ली नहीं पूरा देश खुश है. सांसद संजय सिंह ने एक्स पर किए पोस्ट में कहा, ‘ सत्य परेशान हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं. तानाशाही का अंत होगा. सत्यमेव जयते. देश देखेगा केजरीवाल का कमाल’. केजरीवाल के जेल से बाहर आने को लेकर सियासी नफा-नुकसान पर सभी के अपने-अपने दावे हैं. राजनीतिक पंडितों का मानना है कि केजरीवाल के जेल जाने से आम आदमी पार्टी का चुनाव प्रचार ठंडा पड़ा हुआ था. उन्हें लीडरशिप की जरूरत महसूस हो रही थी. जमानत मिलने और जेल से बाहर आने से चुनाव पर सियासी प्रभाव जरूर पड़ेगा. 


'पंजाब-दिल्ली को मिलेगा सियासी फायदा'

बता दें सीएम केजरीवाल की गैर-मौजूदगी में उनकी पत्नी सुनीता चुनावी कैंपेन संभाल रही थीं. अब केजरीवाल के आने से दिल्ली और पंजाब दोनों ही जगह पर प्रचार को धार मिलने के साथ-साथ सियासी लाभ भी मिल सकता है. केजरीवाल सियासी रुख बदलने के माहिर खिलाड़ी हैं. लेकिन इस बीच ये भी देखना है कि अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के प्रत्याशियों में किसके लिए कितना प्रचार करते हैं, क्योंदि दिल्ली में दोनों ही पार्टियां मिलकर चुनाव मैदान में उतरी हैं. 


बीजेपी का भी तैयार मास्टर प्लान

बता दें केजरीवाल इंडिया गठबंधन का अहम हिस्सा हैं. केजरीवाल देश के उन नेताओं में हैं, जिन्हें बीजेपी के सियासी नैरेटिव को काउंटर करना बाखूबी आता है. बीजेपी और पीएम मोदी जिस तरह से हिंदुत्व की पिच पर खड़ी नजर आ रही है और राममंदिर से लेकर हिंदू-मुसमलान का एजेंडा सेट कर रही है, उसे केजरीवाल बखूबी मोड़ना जानते हैं. लेकिन केजरीवाल के बाहर आने के बाद पार्टी के उस नैरेटिव को बल मिलेगा कि उन्हें फंसाया गया है. इतना ही नहीं दिल्ली का सियासी मिजाज देखें को राजधानी के लोग लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की जगह पर बीजेपी को ही पसंद करते , 2014 और 2019 के नतीजे बता रहे हैं. इसीलिए केजरीवाल के बाहर आने से बहुत ज्यादा लाभ मिलने वाला नहीं है बल्कि दांव उल्टा पड़ सकता है.