सुषमा स्वराज वाली जिम्मेदारी संभालेंगे राहुल गांधी, 10 साल बाद विपक्ष खेमे में आई बड़ी खुशखबरी, गदगद हुआ INDIA ब्लॉक !
आज कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर इंडिया ब्लॉक की बड़ी बैठक हुई.
आज कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर इंडिया ब्लॉक की बड़ी बैठक हुई. इस बैठक में कांग्रेस नेता और रायबरेली से सांसद राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के फैसले पर मुहर लगाई गई. इसके साथ ही इंडिया ब्लॉक की बैठक में हुए फैसले के बारे में प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब को पत्र लिख कर जानकारी भी दी गई.
सांसद केसी वेणुगोपाल ने दी जानकारी
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद केसी वेणुगोपाल ने बैठक के बाद जानकारी देते हुए कहा कि बैठक में राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष बनाने फैसला लिया गया है. इस बारे में प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब को पत्र लिखकर जानकारी भी दी गई है.
कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में भी उठ चुकी है मांग
बता दें कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के दौरान भी राहुल गांधी को लोकसभा में नेता विपक्ष बनाने की मांग उठी थी. सीडब्ल्यूसी की बैठक में कमेटी के सदस्यों ने प्रस्ताव पारित किया था कि राहुल को लोकसभा में पार्टी का नेता नियुक्त किया जाए. इसके बाद राहुल गांधी ने इस बारे में सोचने के लिए वक्त मांगा था.
10 साल से खाली है पद
पिछले 10 साल से ये पद खाली था, आखिरी बार सुषमा स्वराज ने ये जि्मेदारी संभाली थी. लेकिन इस बार विपक्ष को नेता चुनने का मौका मिला है. जिसके चलते राहुल को अब एक केंद्रीय मंत्री जैसी सुविधाएं मिलेंगी, यानी 3,30,000 सैलरी होगी. मुख्य चुनाव आयुक्त से लेकर कई पदों कि नियुक्ति के लिए राहुल से राय मशवरा लिया जाएगा.
दरअसल लोकसभा में 10 साल के लंबे इंतजार के बाद कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष का पद अधिकृत रूप से मिला. जिसकी बड़ी वजह भी है, क्योंकि मोदी सरकार के पहले और दूसरे कार्यकाल में कांग्रेस के लोकसभा सांसदों की संख्या 10 फीसदी से कम होने के कारण ये पद खाली था. इस बार कांग्रेस के 99 सांसद जीतकर आए हैं, जो लोकसभा की कुल संख्या का 18 फीसदी हैं. जिसके चलते कांग्रेस का नेता प्रतिपक्ष बनेगा.
नेता विपक्ष का क्या है महत्व
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो संसद में विपक्ष का नेता एक संवैधानिक पद होता है लेकिन नेता प्रतिपक्ष का उल्लेख संविधान में नहीं बल्कि सदन के नियमों में है. संविधान के आर्टिकल 118 में स्पष्ट किया गया है कि संसद का प्रत्येक सदन अपने कामकाज के संचालन के लिए नियम बना सकता है. निचले सदन के नियम ‘Rules of Procedure and Conduct of Business in Lok Sabha’ में शामिल हैं. इसमें स्पीकर के चुनाव, बिल पेश करने की प्रक्रिया, सवाल पूछने के ढंग, आदि के बारे में बताया गया है. लोकसभा का स्पीकर समय-समय पर इनमें बदलाव करता रहता है.