बैंक की नौकरी छोड़, अब बनेंगे Doctor ! जानिए SBI के इस पूर्व कर्मचारी की अद्भुत कहानी
जय किशोर प्रधान की कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो उम्र और परिस्थितियों के बंधनों में बंधकर अपने सपनों को दबा देते हैं। ये साबित करती है कि अगर इंसान ठान ले तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
कहते हैं कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। इस बात को सच कर दिखाया है भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के रिटायर्ड कर्मचारी जय किशोर प्रधान ने। एक ऐसी दुनिया में जहां उम्र अक्सर करियर के रास्ते तय करती है, जय किशोर प्रधान की कहानी उन सभी रूढ़ियों को चुनौती देती है जो मानती हैं कि एक बार करियर शुरू करने के बाद, ख़ासकर भारत जैसे देश में, शिक्षा की ओर लौटना नामुमकिन सा है।
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रिटायरमेंट के बाद जगाया बचपन का सपना
जय किशोर प्रधान ने सालों के अथक परिश्रम और दृढ़ संकल्प के बाद राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET UG) में सफलता हासिल की है। रिटायरमेंट के बाद ज़्यादातर लोग आराम की ज़िंदगी चुनते हैं, लेकिन जय किशोर प्रधान ने अपने दिल की आवाज़ सुनी और डॉक्टर बनने के अपने बचपन के सपने को पूरा करने का फैसला किया।
हौसलों की उड़ान
उनका ये सफ़र आसान नहीं था। कामकाजी जीवन और पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के बीच समय निकालकर पढ़ाई करना किसी चुनौती से कम नहीं था। लेकिन उनकी लगन और मेहनत रंग लाई और उन्होंने NEET UG परीक्षा पास कर सबको चौंका दिया।
डॉक्टर बनेंगे SBI के पूर्व कर्मचारी
जय किशोर प्रधान की कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो उम्र और परिस्थितियों के बंधनों में बंधकर अपने सपनों को दबा देते हैं। ये साबित करती है कि अगर इंसान ठान ले तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है, चाहे उम्र कितनी भी क्यों ना हो। उनकी ये उपलब्धि युवा पीढ़ी के लिए भी एक मिसाल है कि सफलता के लिए उम्र कोई बाधा नहीं है, बल्कि ज़रूरत है तो बस मज़बूत इरादों और कड़ी मेहनत की। जय किशोर प्रधान जैसे लोग समाज के लिए एक प्रेरणास्त्रोत हैं और दिखाते हैं कि सीखने और आगे बढ़ने की कोई उम्र नहीं होती।