Haryana Election: केजरीवाल के सीएम पद छोड़ने का खुल गया सीक्रेट, हरियाणा चुनाव से ये निकला कनेक्शन !
Why did Arvind Kejriwal resign: अरविंद केजरीवाल ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिय। उनका ये कदम हरियाणा चुनावों के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अब दिल्ली की कमान आतिशी मर्लेना के हाथों में है। जानिए केजरीवाल की इस चाल के पीछे का राजनीतिक खेल।
अरविंद केजरीवाल जैसे ही जेल से बाहर आए उन्होंने मुख्यमंत्री पद छोड़ने का ऐलान कर दिया था। जिसके बाद कयास लगने थे कि अब राजधानी दिल्ली की कमान कौन संभालेंगा। मंगलवार को हुई विधायक दल की बैठक में दिल्ली का नया मुखिया चुन लिया गया है। बैठक में आतिशी मर्लेना के नाम पर मुहर लगी। बता दें, आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला सीएम होंगी। इस फैसले के बाद अरविंद केजरीवाल आज एलजी को इस्तीफा सौपेंगे। ऐसे में सबके मन में सवाल यही है कि आखिर जेल से बाहर आने के बाद केजरीवाल ने ये फैसला क्यों लिया और इसका कनेक्शन हरियाणा चुनावों से कैसे हैं।
अरविंद केजरीवाल ने क्यों छोड़ा सीएम पद?
राजनीतिज्ञ जानकार अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे को बड़ा राजनीतिक दांव मान रहे हैं। केजरीवाल के इस फैसले से विरोधियों का मुंह बंद हो गया और वह जनता का विश्वास जीतने में कामयाब रहे। गौरतलब है, बीजेपी लगातार केजरीवाल पर निशाना साध रही थी कि वह अपनी कुर्सी नहीं छोड़ना चाहते हैं,लेकिन इस्तीफे के बाद केजरीवाल ने देशवासियों को संदेश किया कि उन्हें कुर्सी से नहीं बल्कि जनता से लगाव है।
दिल्ली के बदले साधा हरियाणा !
एक तरफ हर कोई चर्चा दिल्ली की कर रहा है तो दूसरी तरफ अपने इस दांव से अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा विधानसभा चुनाव साधने की कोशिश की है। वैसे तो इस राज्य में आम आदमी पार्टी मजबूत स्थिती में नहीं है, यहां पर अक्सर बीजेपी-कांग्रेस के बीच मुकाबला होता है। हालांकि, जेल से बाहर आने बाद राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अरविंद केजरीवाल बीजेपी-कांग्रेस दोनों का खेल बिगाड़ सकती हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को नोटा से कम वोट हासिल हुए थे,10 सालों में पार्टी 5 फीसद वोटों का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाई है।
अरविंद केजरीवाल बनेंगे 'हरियाणा का बेटा'
राजनीतिज्ञ विशेषज्ञ मानते हैं 2014-2024 के विधानसभा और लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी भले जीरो पर रही है,चार चुनावों में कभी भी आप का वोट शेयर 4 फीसदी से ज्यादा नहीं बढ़ा। पिछले विधानसभा चुनाव तो पार्टी के लिए मुश्किल भरी था। जहां उनके सारे उम्मीदवरों की जमानत जब्त हो गई थी। लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के साथ उतरने पर केजरीवाल को कोई फायदा नहीं हुआ और एक भी सीट पर जीत का परचम नहीं लरहा पाई। गौरतलब है, इस वक्त अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह, मनीष सिसोदिया जैसे आप के बड़े नेता जमानत पर बाहर हैं। दिल्ली के बाद सबका फोकस हरियाणा पर है। जहां प्रचार-प्रसार में आप पूरी ताकत झोंकने के लिए तैयार है। वहीं, केजरीवाल हरियाणा से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में इस्तीफे के बाद वह खुद को हरियाणा का बेटा बताकर वोट मांग सकते हैं। वह सीएम पद छोड़ने का हवाला भी देंगे। 177 दिन तक जेल में रहने के लिए बीजेपी दोष और दिल्ली की तर्ज पर फ्री बिजली, पानी के वादे भी कर सकते हैं, जो आम आदमी पार्टी के पक्ष में माहौल बना सकता है और इसका फायदा सीधे चुनाव में देखने को मिलेगा।
बीजेपी-कांग्रेस की बड़ी मुसीबत
अरविंद केजरीवाल जनता को रिझाना अच्छे से जानते हैं। यही वजह है कि पहले दिल्ली और फिर पंजाब में उन्होंने सत्ता काबिज की। दिल्ली-पंजाब के बाद सभी की नजरें हरियाणा पर है। जहां पार्टी का जनाधार कुछ खास नहीं है,हालांकि दिल्ली से सेट गुरुग्राम,करनाल,फरीदाबाद, सोनीपट, पानीपत में पड़ने वाली विधानसभाओं में इस बार आप प्रमुख असर डाल सकते हैं। यहां पार्टी पिछले चुनावों के मुकाबले बेहतर स्थिति में है। अरविंद केजरीवाल के साथ उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल भी हरियाणा चुनाव के मद्देनजर कई रैलियां कर चुकी हैं,जहां लोगों की भीड़ अच्छी खासी थी। अब इस्तीफे के बाद अरविंद केजरीवाल भी फ्रंट फुट पर आकर हरियाणा में चुनाव प्रचार करेंगे। अगर उनका इमोश्नल कार्ड सफल रहता है तो चुनाव में बीजेपी-कांग्रेस की मुसीबत बढ़ सकती है।