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Bhil Pradersh Demand: आदिवासियों की 'भील प्रदेश' की मांग राजस्थान की राजनीति में क्यों लौटी ?

'भील प्रदेश' या आदिवासी राज्य बनाने की मांग जोर पकड़ रही है। इस मांग को उठाने के लिए राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के हजारों आदिवासियों ने गुरुवार को बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम में एक मेगा रैली की।

Bhil Pradersh Demand: आदिवासियों की 'भील प्रदेश' की मांग राजस्थान की राजनीति में क्यों लौटी ?

राजस्थान में भील आदिवासी समुदाय की अलग राज्य की मांग जोर पकड़ रही है। 18 जुलाई को भील समुदाय के कई सदस्य आदिवासी बहुल जिले बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम में एक "महा सम्मेलन" के लिए एकत्र हुए और चार राज्यों से 49 जिलों को काटकर एक अलग राज्य "भील प्रदेश" की मांग उठाई। 

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बता दें कि अलग 'भील प्रदेश' या आदिवासी राज्य बनाने की मांग जोर पकड़ रही है। इस मांग को उठाने के लिए राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के हजारों आदिवासियों ने गुरुवार को बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम में एक मेगा रैली की। आदिवासी चाहते हैं कि देश के 4 राज्यों के 49 जिलों को मिलाकर एक नया राज्य बनाया जाए और इस मांग पर जोर देने के लिए वे जल्द ही राष्ट्रपति और पीएम से मिलने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल भेजेंगे।

राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में इस विशाल आदिवासी रैली के लिए मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के आदिवासी मानगढ़ धाम पहुंचे थे। भील समुदाय के सबसे बड़े संगठन आदिवासी समुदाय के 35 संगठनों द्वारा बुलाई गई इस मेगा रैली में आदिवासी समुदाय के कई सांसद और विधायक भी शामिल हुए थे. वो राजस्थान के 12, गुजरात के 14, मध्य प्रदेश के 13 और महाराष्ट्र के 6 जिलों को मिलाकर एक 'भील' या आदिवासी राज्य की स्थापना की मांग कर रहे थे।

मानगढ़ धाम में आदिवासियों के पूजा करने वाली जगह पर आदिवासी नेताओं द्वारा एक विशाल जनसभा को आयोजन हुआ। आदिवासी नेताओं ने जनसभा को संबोधित करते हुए नवनिर्वाचित सांसद राजकुमार रोत ने कहा कि भील राज्य की मांग लंबे समय से रुकी हुई है और भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) इस मुद्दे को जोर शोर से उठा रही है। बीएपी नेता राजकुमार रोत ने कहा, ''भील राज्य की मांग नई नहीं है। बीएपी पिछले काफी समय से इस मांग को पुरजोर तरीके से उठा रही है। मेगा रैली के बाद एक प्रतिनिधिमंडल भील राज्य की स्थापना का प्रस्ताव लेकर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मिलेगा।''

रोत ने कहा कि सन् 1913 में मानगढ़ में 1,500 से ज्यादा आदिवासियों का बलिदान सिर्फ भक्ति आंदोलन के लिए नहीं बल्कि भील प्रांत की मांग के लिए था। आसपुर से भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) विधायक उमेश मीणा और धरियावद विधायक थावरचंद भील ने 'भील राज्य' के नारे लिखी टी-शर्ट पहनकर रैली में भाग लिया।