Trendingट्रेंडिंग
वेब स्टोरी

Trending Web Stories और देखें
वेब स्टोरी

CM Arvind Kejriwal ने क्यों कर दी जेल से बाहर निकलते ही इस्तीफे की बात, SC की शर्तों में छुपा है राज!

सुप्रीम कोर्ट की शर्तों के चलते सीएम केजरीवाल राजनीतिक और संवैधानिक संकट में नजर आ रहे हैं। मीडिया रिपोर्टेस के मुताबिक, अगर संवैधानिक संकट को सरल शब्दों में समझें, तो दिल्ली विधानसभा का सत्र आखिरी बार 8 अप्रैल को बुलाया गया था। 6 महीने बाद 8 अक्टूबर तक सत्र बुलाना जरूरी है। नहीं तो सरकार को विधानसभा भंग करनी पड़ती।

CM Arvind Kejriwal ने क्यों कर दी जेल से बाहर निकलते ही इस्तीफे की बात, SC की शर्तों में छुपा है राज!

आबकारी नीति घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा देने की बात कर दी। जेल से बाहर निकलने के बाद रविवार को दिल्ली मुख्यालय में केजरीवाल ने कहा कि मैंने इस्तीफा देने का फैसला किया है। जिसके बाद सभी के जहन में ये सवाल है कि आखिर जेल में 177 दिन बिताने के बाद अब केजरीवाल अब सीएम की कुर्सी क्यों छोड़ रहे हैं?

सुप्रीम कोर्ट ने रखी है ये शर्ते!

दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाला केस में जमानत को मिली है। लेकिन जमानत के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कई शर्तें भी बताई हैं। जिसमें से दो शर्ते मुख्य हैं। मीडिया जानकारी के मुताबिक, अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री दफ्तर नहीं जा सकेंगे और मुख्यमंत्री होने के नाते किसी फाइल पर साइन भी नहीं कर सकेंगे। अब सीएम पद से इस्तीफे की बात को इन्ही से जोड़कर देखा जा रहा है।

सरकार राजनीतिक और संवैधानिक संकट में फंसी

इन शर्तों के चलते सीएम केजरीवाल राजनीतिक और संवैधानिक संकट में नजर आ रहे हैं। मीडिया रिपोर्टेस के मुताबिक, अगर संवैधानिक संकट को सरल शब्दों में समझें, तो दिल्ली विधानसभा का सत्र आखिरी बार 8 अप्रैल को बुलाया गया था। 6 महीने बाद 8 अक्टूबर तक सत्र बुलाना जरूरी है। नहीं तो सरकार को विधानसभा भंग करनी पड़ती। विधानसभा भंग होने की स्थिति में राष्ट्रपति का शासन लग जाता। अब सीएम केजरीवाल को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट की शर्तों के चलते विधानसभा सत्र बुलाना आसान नहीं है। संविधान के अनुच्छेद -174 में राज्यपाल /उपराज्यपाल को सत्र बुलाने और विघटित करने की शक्ति दी गई है।

ये भी पढ़ें CM Arvind Kejriwal का बड़ा ऐलान, बोले 'दो दिन में दूंगा इस्तीफा', पद पर बने रहने की बताई इकलौती तरकीब! जानिए पूरा मामला

इसी के साथ ही राज्यपाल ये काम कैबिनेट की सिफारिश पर करते हैं। कैबिनेट की बैठक को मुख्यमंत्री ही लीड कर सकते हैं, लेकिन केजरीवाल पर लगी जमानत की शर्तों के चलते ये आसान नहीं है। सीएम अरविंद केजरीवाल कैबिनेट बैठक की अनुशंसा उपराज्यपाल को नहीं भेज सकते हैं। अब ये भी कहा जा रहा है कि शर्तें हटाने के लिए कोर्ट का रूख कर सकते हैं,  लेकिन फिर भी मुख्यमंत्री फाइलों पर साइन नहीं करेंगे तो काम कैसे होगा? कहा जा रहा है कि इसमें दो दिक्कतें थी।

पहली- 8 अक्टूबर से पहले इस पर कोर्ट का फैसला आ जाए, यह मुश्किल है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कोई सख्त टिप्पणी की, तो और दिक्कत हो सकती है।

दूसरी- सीनियर मंत्री से सिफारिश कराकर कैबिनेट की बैठक बुलाने की थी, लेकिन उपराज्यपाल कानूनी प्रावधान को हथियार बना सकते थे।

क्या है राजनीतिक संकट?

कोर्ट के फैसले यानी कि 8 अक्टूबर को अगर दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लग जाता तो दिल्ली में चुनाव की तारीखें भी बढ़ सकती थी। मौजूदा समय में फरवरी 2025 में दिल्ली विधानसभा के चुनाव होने हैं। आपको याद दिला दें, जम्मू कश्मीर में विधानसभा भंग होने के 6 साल बाद विधानसभा के चुनाव हुए हैं। ऐसे ही अगर दिल्ली विधानसभा चुनाव टलता तो आम आदमी पार्टी के लिए झटका हो सकता है। आप दिल्ली में ही सबसे मजबूत स्थिति में है। केजरीवाल के इस्तीफे की यह भी एक बड़ी वजह है।