Trendingट्रेंडिंग
वेब स्टोरी

Trending Web Stories और देखें
वेब स्टोरी

वैश्विक अर्थव्यवस्था का नया हथियार बना गोल्ड, दुनियाभर के देश क्यों खरीद रहे सोना? एक्सप्लेनर में पूरा गणित

विश्व के कई देश, खासकर भारत और अमेरिका, तेजी से सोना खरीद रहे हैं। ये ट्रेंड रूस-यूक्रेन युद्ध, बढ़ती महंगाई और वैश्विक मंदी की आशंकाओं के बीच देखने को मिल रहा है। सोना को सुरक्षित निवेश माना जाता है जो मुद्रास्फीति से बचाता है और अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने में भी मदद करता है। इस ट्रेंड के पीछे देशों की डॉलर से मुक्ति पाने की कोशिश और वैश्विक अनिश्चितता भी है।  

वैश्विक अर्थव्यवस्था का नया हथियार बना गोल्ड, दुनियाभर के देश क्यों खरीद रहे सोना? एक्सप्लेनर में पूरा  गणित

एक वक्त ऐसा भी था जब सोने को केवल महिलाओं का आभूषण समझा जाता था लेकिन, समय के साथ दुनिया की सोच बदली और गोल्ड खरीद का ट्रेंड भी महिलाओं की अलमारी से निकलकर अब भू-राजनीति तक पहुंच गया। दुनिया के बड़े-बड़े देश सोना खरीद रहे हैं। दुनिया में मीडिल ईस्ट से रूस यूक्रेन युद्ध के बीच, लगातार बढ़ रही महंगाई और मंदी जैसे खतरों से निपटने के लिए अमेरिका से लेकर भारत तक गोल्ड में इन्वेस्ट कर रहे हैं। इसी बीच एक हालिया रिपोर्ट सामने आई है जिसके अनुसार, बीते कुछ सालों में तमाम सेंट्रल बैंकों के सोना खरीद में वृद्दि देखी गई है। वहीं, सबसे ज्यादा सोना सयुंक्त तौर पर अप्रैल-जून 2023 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने खरीदा है। सोने के प्रति देशों की दीवानगी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीते 6 महीनों में दुनियाभर के प्रमुख बैंकों ने 483 टन सोना खरीदा जो 2023 की पहली छमाई में 460 टन था। इस बार 5 फीसदी का उछाल देखने को मिला है।

ये भी पढ़ें-  पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फेसबुक के मालिक जुकरबर्ग पर लगाया बहुत बड़ा आरोप, जानिए क्या मामला

किस देश ने खरीदा सबसे ज्यादा सोना?

आंकड़ों पर नजर डालें तो, 2024 में अप्रैल-जून में विश्वभर की बैंकों ने 184 टन सोना खरीदा था जो बीत तो बीते 2023 की दूसरी तिमाही में खरीद गए सोने से लगभग 5 फीसदी अधिक है। हालांकि, पहली तिमाही में देशों ने गोल्ड पर ज्यादा इंवेस्ट किया था। जनवरी से मार्च 2024 तक सेंटर्ल बैंक्स ने 300 टन सोना खरीदा था। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सोना खरीद में पोलैंड नेशनल बैंक और RBI संयुक्त रूप से पहले नंबर थे। जिन्होंने 19 टन सोना खरीदा। तीसरे नंबर पर तुर्किये रहा जिसने 15 टन गोल्ड खरीदा। वहीं जॉर्डन,कतर, उजबेकिस्तान, किर्गीजस्तान जैसे गल्फ कंट्री में भी सोने में इंवेस्ट कर रहे हैं। यहां तक रूस,इराक और चेक रिपब्लिक ने भी गोल्ड खरीदा है। हालांकि, एक तरफ भारत-अमेरिका के सोना भंडार में लगातार बढ़ोतरी हो रही है तो दूसरी तरफ चीन के गोल्ड खरीदने के आंकड़ों में गिरावट दर्ज की गई है। 

दुनियाभर के देश क्यों खरीद रहे सोना?

ऐसे में सवाल उठना लाजमी है, आखिर सभी देशों के बीच अचानक से गोल्ड खरीदने की होड़ क्यों लगी हुई। तो इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण हैं बदली हुईं परिस्तिथियां। दरअसल, कोविड-19 के बाद अब दुनिया में तृतीय विश्व युद्ध का खतरा मंडरा रहा है। एक तरफ रूस-यूक्रेन में जंग जारी है तो मीडिल ईस्ट में इजारयल और इऱान आमने सामने है। वहीं, अर्थव्यवस्था पर कई रिपोर्ट भी पब्लिश हो चुकी हैं जिन्होंने साफ संकेत दिया गया है, आने वाले कुछ सालों में वैश्विक मंदी देशों के लिए खतरे की घंटी लेकर आएगी। जिसे देखते हुए सेंट्रल बैंक सोना खरीद रहे हैं ताकि बड़े आर्थिक संकट को टाला जा सके। 

महंगाई से बचने के लिए गोल्ड

मुद्रास्फीति के खिलाफ सोने को सबसे बड़ा हथियार माना जाता है जो कभी फेल नहीं होता है। अगर दुनियाभर के रिजर्व बैंकों के पास सोना ज्यादा होगा तो महंगाई से बचने के लिए बेहतर प्लान तैयार कर सकेंगे। सोना खरीदने-बेचने में कोई डिफॉल्ट नहीं होता, बल्कि इससे उलट सोने की कीमत लगातार बढ़ती है। इससे इतर दुनिया की अर्थव्यवस्था को निर्धारित डॉलर करता है। इसे ग्लोबल करेंसी का नाम भी दिया गया है, लेकिन बीते कुछ सालों में अमेरिका के रेवैये, देशों के साथ उसके संबंधों ने डॉलर के इस्तेमाल पर सवालियां निशान खड़े किये हैं। अब देश डॉलर का सब्सीट्यूट ढूंढ रहे हैं, ताकि वह अमेरिकन करेंसी पर अपनी निर्भरता को कम कर सकें। यही वजह है कि अब देशों ने एक-दूसरे की करेंसी में व्यापार करने का तरीका अपनाया है। जिसे रूस,भारत और मलेशिया, UAE समेत कई देशों फॉलो कर रहे हैं। सोन भंडार को बढ़ाने का अन्य कारण ये भी है कि अगर भविष्य में किसी देश के अमेरिका के साथ रिश्ते तनावपूर्ण हैं और उसपर प्रतिबंध लगता है, तो ज्यादा रिजर्व गोल्ड होने पर वह देश में महंगाई कंट्रोल करने के साथ प्रतिबंध से निकल सकते हैं।