रोकी जाए मदरसों की सरकारी फंडिंग, NCPCR ने की बोर्ड भंग करने की मांग
देशभर में हजारों अवैध मदरसों के खिलाफ जारी कार्रवाई के बीच राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग यानी एनसीपीसीआर ने केंद्र और राज्य सरकारों से मदरसों की फंडिंग बंद करने की डिमांड की है। एनसीपीआर ने जांच के बाद तैयार अपनी इस रिपोर्ट के आधार पर सभी राज्यों के सचिवों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों को पत्र लिखा है।
मदरसों को लेकर NCPCR की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जिसके आधार पर एनसीपीआर ने मदरसों की सरकारी फंडिंग और मदरसा बोर्ड भंग करने की मांग की है।
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देशभर में हजारों अवैध मदरसों के खिलाफ जारी कार्रवाई के बीच राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग यानी एनसीपीसीआर ने केंद्र और राज्य सरकारों से मदरसों की फंडिंग बंद करने की डिमांड की है। एनसीपीआर ने जांच के बाद तैयार अपनी इस रिपोर्ट के आधार पर सभी राज्यों के सचिवों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों को पत्र लिखा है। पत्र लिखकर एनसीपीआर ने कहा कि मदरसों को दी जाने वाली आर्थिक मदद बंद की जानी एनसीपीआर का ये पत्र बच्चों के संवैधानिक अधिकार बनाम मदरसा रिपोर्ट के आधार है। इस रिपोर्ट में 11 अध्याय हैं। जिसमें मदरसों के इतिहास का विस्तृत ज़िक्र और बच्चों के शैक्षिक अधिकारों के उल्लंघन में मदरसों की भूमिका के बारे में बताया गया है। NCPCR अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के लिखे इस पत्र की कॉपी वायरल हो रही है।
9 साल अध्ययन के बाद जारी की रिपोर्ट
एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने राज्यों को लिखे इस पत्र में कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 इस विश्वास पर आधारित है कि समानता, सामाजिक न्याय और लोकतंत्र जैसे मूल्यों की प्राप्ति समान शिक्षा के जरिए ही संभव है। ऐसे में बच्चों के मौलिक अधिकार और अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकार के बीच एक लकीर बन गई है। इस फैसले का उद्देश्य ये कि राज्य सुनिश्चित करें कि सभी बच्चों को आरटीई एक्ट 2009 के तहत शिक्षा मिले।
सभी गैर-मुस्लिम बच्चों को मदरसों से निकालने की सिफारिश
आयोग ने ये भी साफ किया कि यह सिफारिश सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के तौर पर की जा रही है। आयोग ने कहा कि मदरसा में पढ़ने वाले सभी गैर-मुस्लिम बच्चों को मदरसों से निकालकर आरटीई अधिनियम 2009 के अनुसार बुनियादी शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कूलों में भर्ती कराया जाना चाहिए।
रिपोर्ट के खुलासों ने चौंकाया
आयोग ने इस मुद्दे पर 9 साल तक अध्ययन करने के बाद अपनी अंतिम रिपोर्ट जारी की है। जिसमें चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 9 साल के लंबे रिसर्च में सामने आया कि इन मदरसों के चलते करीब सवा करोड़ से ज्यादा बच्चे अपने बुनियादी शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं। इसके साथ ही इन मदरसों में बच्चों का इस तरह ब्रेनवॉश किया जा रहा है वे कुछ लोगों के गलत इरादों के मुताबिक़ काम कर सकते हैं। जिन लोगों का मदरसा बोर्ड पर कब्ज़ा है उनका उद्देश्य भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान पूरे भारत में इस्लाम का प्रचार था।मदरसा बोर्डों को बंद करने की सिफारिश के साथ बताया गया कि है ये बोर्ड चंदा इकट्ठा कर रहे हैं।