Haryana: किसानों का हरियाणा सरकार को अल्टीमेटम, कहा-10 दिन में मांगे पूरी नहीं हुईं तो...
हरियाणा में किसान संगठनों का गुस्सा चरम पर है। आईएमटी सोहना के लिए भूमि अधिग्रहण के दौरान किए गए हलफनामे को लेकर किसान सरकार पर धोखा देने का आरोप लगा रहे हैं। किसानों ने मुआवजे में वृद्धि और अपने अधिकारों की सुरक्षा की मांग की है। उनका कहना है कि अगर उनकी मांगें 10 दिनों के भीतर पूरी नहीं हुई तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे और चुनाव में सरकार का विरोध करेंगे।
हरियाणा में विधानसभा चुनावों की घोषणा के बीच सरकार और किसान संगठनों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है। किसानों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार को 10 दिनों का अल्टीमेटम दिया है। उनका कहना है कि अगर इस अवधि के अंदर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे फिर से बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करेंगे। बता दें, यह विवाद आईएमटी रोजका मेव के लिए नौ गांवों की लगभग 1600 एकड़ भूमि के अधिग्रहण से जुड़ा है, जो कांग्रेस सरकार के समय हुआ था। उस समय किसानों को मुआवजे के रूप में 46 लाख रुपए प्रति एकड़ दिए गए थे, लेकिन अधिग्रहण के दौरान किसानों से एक ऐसा हलफनामा लिया गया था, जिसमें उनके कानूनी अधिकार सीमित कर दिए गए थे। इस वजह से किसान लंबे समय से नाराज हैं और धीरधोका गांव में अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं, साथ ही मुआवजे में वृद्धि की मांग कर रहे हैं।
कुछ दिन पहले की थी हरियाणा सीएम से मुलकात
हाल ही में,किसानों ने भाजपा नेता और पूर्व विधायक चौधरी जाकिर हुसैन के नेतृत्व में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने अपनी मांगों को मुख्यमंत्री के समक्ष रखा, जिनमें उचित मुआवजा भी शामिल था। मुख्यमंत्री ने उनकी मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया, लेकिन किसानों का कहना है कि आश्वासन के बावजूद अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
किसानों ने दी हरियाणा सरकार को चेतावनी
किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें 10 दिनों के अंदर पूरी नहीं होती हैं, तो वे महापंचायत बुलाकर बड़ा फैसला लेंगे। किसानों ने यह भी साफ कर दिया है कि चुनावी समय में वे उसी पार्टी का समर्थन करेंगे, जो उनकी मांगों को पूरा करेगी। गौरतलब है कि सरकार ने आईएमटी रोजका मेव का नाम बदलकर आईएमटी सोहना कर दिया है, जहां इन दिनों एशिया की सबसे बड़ी बैटरी फैक्ट्री का निर्माण तेज गति से चल रहा है। किसान चाहते हैं कि आईएमटी सोहना के विकास से पहले उनकी मांगों को गंभीरता से लिया जाए और सरकार जल्द ही इन पर अमल करें।