Haryana Politics: विधानसभा चुनाव से पहले राज्यसभा पहुंचने की होड़, हरियाणा में खाली हुई सीट पर चल रहा मंथन
लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद चर्चा है कि अब राज्यसभा सदस्य चुनाव के लिए होड़ मचना तय है। रोहतक लोकसभा सीट से चुने जाने के बाद दीपेंद्र हुड्डा जल्द ही राज्यसभा सदस्य की सीट से इस्तीफा देंगे।
राज्य सभा में दीपेंद्र का कार्यकाल करीब दो साल का रहा है। ऐसे में चुनाव आयोग दो साल से कम कार्यकाल के लिए राज्यसभा सदस्य का चुनाव करवाएगा। इस सीट पर भाजपा के कई दिग्गजों की नजर है। विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा उसी पर दांव खेलेगी, जो हरियाणा के जातीय समीकरण पर पूरी तरह से फिट बैठेगा।
विपक्ष की नजर खाली हुई सीट पर
निर्वाचन आयोग को राज्यसभा सदस्य की सीट खाली होने के छह महीने के भीतर चुनाव करवाना जरूरी होता है। यह आयोग पर ही निर्भर करेगा कि वह चुनाव कब करवाता है। सत्ता पक्ष की कोशिश रहेगी कि राज्यसभा सदस्य का चुनाव विधानसभा के चुनाव से पहले हो जाए, ताकि संख्या बल के हिसाब से इस सीट पर जीत हासिल कर सके। वहीं, विपक्ष विधानसभा चुनाव के बाद राज्यसभा सदस्य का चुनाव चाहेगा। इसलिए उसकी पूरी कोशिश है कि राज्य में विधानसभा भंग कर राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए। विधानसभा भंग करवाने के लिए कांग्रेस ने नए सिरे से रणनीति बनानी शुरू कर दी है। हालांकि चुनाव कब होना, यह चुनाव आयोग ही तय करेगा।
इन नामों की चल रही चर्चा
भाजपा से जुड़े एक पदाधिकारी ने बताया, विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी जाट, दलित व ब्राह्मण समुदाय को साधने की पूरी कोशिश करेगी। संभव है कि पार्टी इन तीन जातियों से जुड़े किसी नेता को राज्यसभा में भेजे। हालांकि जिन नामों की चर्चा चल रही है, उनमें रणजीत चौटाला, मोहन लाल बड़ौली, मनीष ग्रोवर, कैप्टन अभिमन्यु, ओमप्रकाश धनखड़, राम बिलास शर्मा का नाम शामिल है। इसके अलावा शीर्ष नेतृत्व बाहर से भी किसी नेता को राज्यसभा सदस्य की सीट के लिए चुन सकता है। लोकसभा चुनाव में 15 से ज्यादा केंद्रीय मंत्री चुनाव हारे हैं। दीपेंद्र को त्याग पत्र देने की जरूरत नहीं है।
विपक्ष के लिए एकजुट हो पाना मुश्किल
चार जून को रोहतक लोकसभा सीट से निर्वाचित होने के बाद उनकी हरियाणा से राज्यसभा की सदस्यता तत्काल समाप्त हो गई है। इसके साथ ही यह सीट भी रिक्त हो गई। इसके लिए दीपेंद्र हुड्डा को औपचारिक तौर पर राज्यसभा सदस्य से त्यागपत्र देने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने जिस दिन रोहतक के रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) की ओर से निर्वाचन प्रमाण पत्र दिया गया, उसी दिन से दीपेंद्र हरियाणा से राज्यसभा के सदस्य नहीं रहे हैं। उन्होंने बताया, सैनी सरकार के लिए इस सीट को जीतने में कोई कठिनाई नहीं आएगी। वहीं, इस बात की संभावना बहुत कम है कि विपक्ष के सभी 44 विधायक एकजुट होकर किसी संयुक्त उम्मीदवार के लिए सहमत हो पाए।