वायनाड पर Priyanka Gandhi का राजनीतिक डेब्यू, एक नए अध्याय की शुरूआत, कितना होगा सफल? जानें एक क्लिक में
कांग्रेस पार्टी ने वायनाड से प्रियंका गांधी वाड्रा को मैदान में उतारने का फैसला किया था। 17 जून को दिल्ली में कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्वठक हुई की बै और इसकी आधिकारिक घोषणा की गई।
आज चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र और झारखंड की विधानसभा सीटों के साथ 49 सीटों पर उपचुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया। महाराष्ट्र की 288 सीटों पर 20 नवंबर को एक ही चरण में वोटिंग होगी। झारखंड में नक्सल प्रभावित इलाकों को देखते हुए 13 और 20 नवंबर को दो चरणों में वोटिंग होगी। 47 विधानसभा सीटों और दो लोकसभा सीटों पर भी उपचुनाव की घोषणा की गई है। सभी सीटों पर वोटों की गिनती 23 नवंबर को होगी। केरल की वायनाड सीट पर 13 नवंबर को उपचुनाव होना है। इस सीट पर हो रहे उपचुनाव से प्रियंका गांधी भी अपना राजनीतिक डेब्यू कर रही हैं। वायनाड सीट राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव 2024 जीतने के बाद छोड़ दी थी, क्योंकि उन्होंने रायबरेली से चुनाव लड़ने का फैसला किया था।
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जून के महीने में ही कांग्रेस पार्टी ने वायनाड से प्रियंका गांधी वाड्रा को मैदान में उतारने का फैसला किया था। 17 जून को दिल्ली में कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्वठक हुई की बै और इसकी आधिकारिक घोषणा की गई। प्रियंका गांधी वाड्रा 1999 से ही राजनीति में सक्रिय हैं। शुरुआत में उन्होंने अपनी मां सोनिया गांधी के लिए अमेठी में प्रचार किया, लेकिन खुद कभी चुनाव नहीं लड़ा। इस बार प्रियंका गांधी वायनाड से राजनीति में पदार्पण कर रही हैं। वायनाड उपचुनाव में सबकी निगाहें प्रियंका गांधी पर होंगी।
राजनीति में प्रियंका गांधी का डेब्यू
राहुल गांधी का वायनाड से गहरा भावनात्मक जुड़ाव है। 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने यूपी की वायनाड और अमेठी सीट से चुनाव लड़ा था। राहुल गांधी वायनाड सीट से तो जीत गए, लेकिन अपनी परंपरागत सीट अमेठी में उन्हें बीजेपी की कद्दावर नेता स्मृति ईरानी से हार का सामना करना पड़ा। 2024 में राहुल गांधी ने एक बार फिर इन दोनों सीटों से चुनाव लड़ा और दोनों सीटों पर जीत दर्ज की। नियमों के मुताबिक राहुल को एक सीट छोड़नी थी, इसलिए उन्होंने अमेठी को चुना और वायनाड सीट छोड़ दी। अब प्रियंका गांधी अपने भाई की सीट पर राजनीति में पदार्पण कर रही हैं।
एक नए अध्याय की शुरूआत
प्रियंका गांधी ने जनवरी 2019 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए कांग्रेस महासचिव के रूप में आधिकारिक रूप से राजनीति में प्रवेश किया। हालांकि, इस औपचारिक पद को संभालने से पहले, वह अपनी माँ सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी के चुनाव अभियानों का प्रबंधन करती थीं।
2019 के लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी वाड्रा ने पार्टी की तरफ से अहम भूमिका निभाई थी। इस चुनाव में कांग्रेस को 52 सीटें मिली थीं। उन्होंने यूपी में कांग्रेस को फिर से खड़ा करने की पूरी कोशिश की। 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी प्रियंका गांधी ने मोर्चा संभाला और कांग्रेस की स्थिति सुधारने के लिए महिला सशक्तिकरण पर फोकस किया। उनकी पूरी कोशिश यूपी में कांग्रेस की कोशिशों को जमीन पर उतारने की थी। तमाम कोशिशों के बावजूद कांग्रेस के खाते में सिर्फ दो सीटें ही आईं।
वहीं हिमाचल प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने बाजी मार ली है। 68 सीटों में से कांग्रेस ने 40 सीटों पर जीत दर्ज की है। इस चुनाव में कांग्रेस के स्टार प्रचारकों ने ज्यादा सक्रियता नहीं दिखाई, जबकि जिन पांच जिलों में प्रियंका गांधी ने चुनावी रैलियां कीं, वहां कांग्रेस ने 23 सीटों पर जीत दर्ज की।