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Ratan Tata Death: बीमार कुत्ते की देखभाल के लिए ठुकराया था प्रिंस चार्ल्स का निमंत्रण, जरूरतमंदों के लिए थे मद्दगार

Ratan Tata Death: भारतीय उद्योग जगत के प्रमुख चेहरे, रतन टाटा का निधन 86 वर्ष की आयु में हो गया। उनकी सादगी, समर्पण और दयालुता ने उन्हें एक महान नेता के रूप में प्रतिष्ठित किया। टाटा ग्रुप को विश्व स्तर पर पहुंचाने वाले इस महानायक ने न केवल व्यापार जगत में बल्कि समाज के हर वर्ग में अपनी छाप छोड़ी।

Ratan Tata Death:  बीमार कुत्ते की देखभाल के लिए ठुकराया था प्रिंस चार्ल्स का निमंत्रण,  जरूरतमंदों के लिए थे मद्दगार

देश के प्रतिष्ठित उद्योगपति और टाटा संस के आजीवन चेयरमैन, रतन टाटा, नहीं रहे। 86 वर्ष की आयु में बुधवार रात मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। रतन टाटा, जिनकी सादगी और दरियादिली ने उन्हें भारतीय उद्योग जगत का एक खास चेहरा बना दिया था, ने दुनिया को अलविदा कहा। अपने नेतृत्व में उन्होंने टाटा समूह को 13 लाख 85 हजार करोड़ रुपये के राजस्व तक पहुंचाया और इसे विश्व के सबसे बड़े उद्योग समूहों में शामिल किया।

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जरूरतमंदों के लिए हमेशा रहते थे आगे 

रतन टाटा को उनकी उदारता और समर्पण के लिए जाना जाता था। भले ही वह अरबपतियों की सूची में शामिल थे, लेकिन उनकी सादगी और आम लोगों के प्रति उनकी दयालुता ने उन्हें अलग बनाया था। कई मौकों पर उन्होंने गरीब और जरूरतमंदों की सहायता कर भारतीयों का दिल जीता। टाटा समूह से जुड़े कर्मचारियों के प्रति उनकी समर्पण भावना भी जगजाहिर थी। वे अपने प्रत्येक कर्मचारी को परिवार की तरह मानते थे और उनकी भलाई का हमेशा ख्याल रखते थे।

टाटा का जीवन था प्रेरणादायक

रतन टाटा का जीवन एक प्रेरणादायक यात्रा रही है। 1991 में 53 साल की आयु में उन्हें टाटा समूह का चेयरमैन बनाया गया। उन्होंने 2012 तक समूह का नेतृत्व किया और इस दौरान ऑटोमोबाइल, स्टील और आईटी जैसी कई प्रमुख क्षेत्रों में समूह का विस्तार किया। रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा मोटर्स ने 2008 में जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण किया, जिसे भारतीय व्यापारिक इतिहास का एक अहम मोड़ माना जाता है। दिलचस्प बात यह है कि जब फोर्ड के अध्यक्ष बिल फोर्ड ने उनके कार डिवीजन का मजाक उड़ाया था, तब रतन टाटा ने इस चुनौती को स्वीकार किया और बाद में उसी फोर्ड से जगुआर लैंड रोवर खरीदकर अपनी काबिलियत का प्रमाण दिया।

दयालु व्यक्तित्व वाले थे रतन टाटा 

कारों और विमानों के शौकीन रतन टाटा ने एफ-16 लड़ाकू विमान तक उड़ाया और अपनी कंपनी के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले किए। लेकिन उनके व्यक्तित्व का सबसे बड़ा पहलू उनकी दयालुता और कुत्तों के प्रति उनके प्यार में नजर आता है। 2018 में उन्होंने अपने बीमार कुत्ते की देखभाल के लिए प्रिंस चार्ल्स का निमंत्रण तक ठुकरा दिया था। यह उनके संवेदनशील और परिवार-प्रेमी स्वभाव का उदाहरण है।

स्टार्टअप्स में निवेश कर युवा उद्यमियों का किया था समर्थन

उनके जीवन के अंतिम वर्षों में, उन्होंने स्टार्टअप्स में निवेश कर युवा उद्यमियों को समर्थन दिया। ओला इलेक्ट्रिक, पेटीएम, स्नैपडील जैसे 30 से अधिक स्टार्टअप्स में उनके निवेश ने उन्हें भविष्य की तकनीकी क्रांति का हिस्सा बनाया। व्यक्तिगत जीवन में भी वे बहुत सादगीपूर्ण रहे। एक बार उन्होंने बताया था कि लॉस एंजिल्स में पढ़ाई के दौरान उन्हें पहली बार प्यार हुआ था, लेकिन परिस्थितियों ने उन्हें उस प्रेमिका से दूर कर दिया।

रतन टाटा का निधन भारतीय उद्योग और समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी प्रेरणादायक यात्रा और उनके द्वारा किए गए कार्य हमेशा याद रखे जाएंगे। उन्हें पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे प्रतिष्ठित सम्मान मिले, जो उनके योगदान की गहराई को दर्शाते हैं।