Supreme court: चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना, देखना अपराध है या नहीं , आज आ सकता है बड़ा फैसला...
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि किसी के निजी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना या देखना अपराध नहीं है।
पॉक्सो और आईटी एक्ट के तहत पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना या देखना अपराध है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट इस पर सोमवार 23 सितंबर को अपना फैसला सुनाएगा। मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर कोर्ट ने 19 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसके बाद अब कोर्ट सोमवार को इस पर सुनवाई कर अपना फैसला सुनाएगा।
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दरअसल, मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि किसी के निजी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना या देखना अपराध नहीं है। यह पॉक्सो एक्ट और आईटी एक्ट के तहत अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ एनजीओ जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रन अलायंस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। 'पोर्नोग्राफी में बच्चे का इस्तेमाल अपराध है' भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले की सुनवाई की थी। इस दौरान CJI ने कहा था कि बच्चे का पोर्न देखना अपराध नहीं हो सकता सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि किसी से वीडियो प्राप्त करना पोक्सो धारा 15 का उल्लंघन नहीं है, लेकिन अगर आप इसे देखते हैं और दूसरों को भेजते हैं, तो यह कानून का उल्लंघन है। चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना भी अपराध नहीं- मद्रास हाईकोर्ट
सीजेआई ने कहा था कि अगर किसी ने उन्हें वीडियो भेजा है, तो वह अपराधी नहीं हो जाता। पोर्नोग्राफी देखना अपराध नहीं हो सकता। वहीं, मद्रास हाईकोर्ट का कहना है कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना भी अपराध नहीं है। 11 जनवरी को हाईकोर्ट ने मोबाइल फोन पर बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री डाउनलोड करने के आरोप में 28 वर्षीय व्यक्ति के विरुद्ध आपराधिक कार्यवाही को खत्म कर दिया था।
हाईकोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
एनजीओ जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन अलायंस ने वकील एचएस फुल्का के जरिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। एनजीओ का कहना था कि इससे चाइल्ड पोर्नोग्राफी को बल मिलेगा। याचिका में कहा कि आम लोगों में यह धारणा बन गई है कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना और उसे रखने में कोई अपराध नहीं है, इससे चाइल्ड पोर्नोग्राफी की मांग बढ़ेगी, लोग बच्चों को पोर्नोग्राफी में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
वकील एचएस फुल्का ने कहा कि Act कहता है कि अगर कोई वीडियो या फोटो है तो उसे डिलीट करना होगा, वही आरोपी लगातार वीडियो देख रहे थे। वहीं, जब आरोपी के वकील ने कोर्ट को वीडियो के अपने आप डाउनलोड होने की बात बताई तो सीजेआई ने पूछा कि आपको कैसे पता नहीं चला कि यह वीडियो आपके फोन में है। आपको पता होना चाहिए कि एक्ट में संशोधन के बाद यह भी अपराध हो गया है।