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कौन थे सुशील कुमार मोदी ? बिहार की राजनीति से निकल कर कैसे पहुंचे शीर्ष पदों पर?

बिहार की राजनीति में क़रीब पांच दशक से अलग-अलग भूमिका निभाने वाले सुशील कुमार मोदी नहीं रहे. बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और दिग्गज बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी का सोमवार 13 मई की रात निधन हो गया.

कौन थे सुशील कुमार मोदी ? बिहार की राजनीति से निकल कर कैसे पहुंचे शीर्ष पदों पर?

बिहार की राजनीति में क़रीब पांच दशक से अलग-अलग भूमिका निभाने वाले सुशील कुमार मोदी नहीं रहे. बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और दिग्गज बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी का सोमवार 13 मई की रात निधन हो गया. उन्होंने दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली. वो कैंसर से पीड़ित थे और उनका इलाज चल रहा था. उनके निधन से बिहार में शोक की लहर है. सुशील मोदी के निधन पर तमाम नेता शोक संवेदनाए व्यक्त कर रहे हैं. पटना के गुलबी घाट पर सुशील कुमार मोदी के पार्थिव शव अंतिम संस्कार किया जाएगा. जिसके लिए तमाम नेता पटना पहुंच रहे हैं.

दिग्गजों ने किया नमन

सुशील मोदी के निधन की खबर फैलते ही बिहार समेत दिल्ली में शोक की लहर है. राष्ट्रपति, पीएम, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, राजद सुप्रीमो लालू यादव समेत कई दिग्गजों ने उनके निधन पर शोक जताया है. बिहार बीजेपी ने सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए. पूर्व राज्यसभा सांसद सुशील मोदी का बिहार की राजनीति में बड़ा कद था.

कैंसर से हार गए जंग

वो छात्र राजनीति से सक्रिय राजनीति में आए थे. 72 साल की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. सुशील मोदी कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त चल रहे है थे. अप्रैल महीने में उन्होंने खुद इस बात की जानकारी दी थी कि उन्हें कैंसर हो गया है. तब सुशील मोदी की तस्वीर सामने आई थी जिसे देखकर हर कोई हैरान रह गया था. सुशील मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा था कि वो पिछले छह महीनों से कैंसर से लड़ रहे हैं. 3 अप्रैल को एक पोस्ट में उन्होंने कहा था, ' अब लगा कि लोगों को बताने का समय आ गया है. लोकसभा चुनाव में कुछ कर नहीं पाऊँगा. प्रधानमंत्री को सब कुछ बता दिया है. देश, बिहार और पार्टी का सदा आभार और सदैव समर्पित.' उनके इस पोस्ट के बाद हर कोई हैरान था.

लालू यादव और सुशील कुमार मोदी, छात्र राजनीति से लेकर अब तक क़रीब 50 साल से एक दूसरे की राजनीति देखते आए थे. सुशील कुमार मोदी के निधन पर लालू यादव ने एक्स पर एक पोस्ट कर अपना दुख व्यक्त किया. उन्होनें लिखा. 'बीते 51-52 वर्षों यानी पटना यूनिवर्सिटी छात्र संघ के समय से वो उनके मित्र थे. वे एक जुझारू, समर्पित सामाजिक राजनीतिक व्यक्ति थे. ईश्वर दिवंगत आत्मा को चिरशांति तथा परिजनों को दुख सहने की शक्ति प्रदान करे.

आपातकाल में 19 महीने जेल में रहे

जेपी आंदोलन के प्रभाव में आने के बाद उन्होंने पोस्ट ग्रैजुएशन में पटना विश्वविद्यालय में दाख़िला लेकर पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी. आपातकाल में वे 19 महीने जेल में रहे. 1977 से 1986 तक वो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में महत्वपूर्ण पदों पर रहे.

सुशील कुमार मोदी का राजनीतिक सफर

1990 में पटना केन्द्रीय विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और विधानसभा पहुंचे
1995 और 2000 का भी चुनाव वो इसी सीट से जीते
साल 2004 में भागलपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीता था
साल 2005 में संसद सदस्यता से इस्तीफ़ा दिया 
विधान परिषद के लिए निर्वाचित होकर उपमुख्यमंत्री बने
साल 2005-2013, 2017-2020 मे उपमुख्यमंत्री की भूमिका निभाई
इस दौरान पार्टी में भी अलग-अलग दायित्व संभालते रहे
दिसंबर, 2020 में उन्हें पार्टी ने राज्यसभा भेजा

सुशील कुमार मोदी के जानने वाले उन्हें समय से आगे रहने वालों में से एक मानते हैं. सुशील कुमार मोदी के हाथ में टैबलेट उस वक़्त देखा गया, जब राज्य के बहुत सारे नेताओं के लिए ये किसी अजूबे जैसा था. उनके निधन से बिहार से दिल्ली तक शोक की लहर है. एनडीए के लि तो ये बहुत बड़ी क्षति है.