अरबपति रतन टाटा थे सादगी की मिशाल, बिजनेस वर्ल्ड के किंग करोड़ों के अभिभावक!
Ratan Tata passes Away: रतन टाटा अपने समूह का 60 फीसदी से ज्यादा मुनाफा परोपकार के कार्यों के लिए दान कर देते थे। रतन टाटा के निधन से भारतीय उद्योग जगत को गहरा आघात लगा है लेकिन वो मजलूम आज खुद को अनाथ महसूस कर रहे हैं जो रतन टाटा के साए में खुद को महफूज महसूस कर रहे थे।
संत कबीर दास जी का दोहा है कि 'कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हंसा हम रोएं, ऐसी करनी कर चलो, हम हंसे जग रोए'। ये लाइन रतन टाटा के ऊपर सटीक बैठती है। बिजनेस टायकून रतन टाटा के इस लोक को छोड़ने की खबर से न सिर्फ बिजनेस जगत बल्कि देश से लेकर विदेश तक उनके चाहने वालों का दिल शोक में डूब गया है। उन्होंने रात करीब 11 बजे आखिरी सांस ली। रतन टाटा एक ऐसे आदर्श थे, जिनका योगदान केवल राष्ट्र निर्माण तक सीमित नहीं नहीं था।
जब रतन टाटा सिर्फ 10 साल के थे, तब उनके माता-पिता नवल टाटा और सूनी कमिसारिएट ने अलग होने का फैसला कर लिया और रतन टाटा को जे. एन. पेटिट पारसी अनाथालय में डाल दिया गया। अपने पोते के अनाथ आश्रम में होने की खबर जब रतन टाटा की दादी नवाजबाई टाटा को लगी, तो उनका मन कराह उठा और उन्होंने फैसला किया कि उनके रहते उनका पौत्र अनाथ आश्रम में नहीं पलेगा।
रतन टाटा अपने समूह का 60 फीसदी से ज्यादा मुनाफा परोपकार के कार्यों के लिए दान कर देते थे। रतन टाटा के निधन से भारतीय उद्योग जगत को गहरा आघात लगा है लेकिन मुफलिसी के मारे वो मजलूम आज खुद को अनाथ महसूस कर रहे हैं जो रतन टाटा की खामोश फराकदिली के साए में खुद को महफूज महसूस कर रहे थे।
लोगों के लिए यकीन कर पाना मुश्किल है कि आज जब उद्योग जगत में मुलाफावसूली की रेस लगी है। तब रतन टाटा ने टाटा ट्रस्ट की स्थापना कर गरीब, मजलूम जरूरतमंद लोगों की हरचंद मदद का बीड़ा उठाया और शिक्षा, चिकित्सा से लेकर शोध और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए अपने समूह के कुल मुनाफा का आधे से ज्यादा हिस्सा लोकहित में लगाने का फैसला किया।
रतन टाटा का भले ही अपना कोई सगा परिवार न हो, लेकिन वो लाखों लोगों के अभिभावक भी थे, जिसने उनके कंपनियों या उनके साथ काम किया। रतन टाटा से उसका रिश्ता हमेशा के लिए बन गया। रतन टाटा के जाने के बाद आज उन सबकी दुनिया सूनी हो गई है। देश अपने अनमोल रतन को खोकर दुखी है। रतन टाटा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके भाई नोएल टाटा से बात कर संवेदना व्यक्त की। वहीं, उनके निधन पर श्रद्धांजलि देते हुए महाराष्ट्र और झारखंड सरकार ने गुरुवार को एक दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया है।