SAWAN 2024: सावन में कैसे करें भगवान शिव को प्रसन्न, क्या है पूजा की सही विधि, जानिए एक क्लिक में.
कथाओं के अनुसार माता पार्वती ने सावन माह के व्रत रखे और महादेव को पति रूप में पाने के लिए इसी माह में तपस्या की. माता पार्वती की कठोर तपस्या के बाद शिव और शक्ति का मिलन हुआ.
भगवान शिव के अतिप्रिय माह सावन की शुरूआत होने वाली है. वैसे तो यह मास अपने प्राकृतिक रूप के लिए बहुत ही खास माना जाता है. क्योंकि यह वही मास होता है जब पृथ्वी पर महीनों से चली आरही गर्मी के बाद बारिश की बूंदे अपने साथ राहत लेकर आती हैं. लेकिन इसका ऐतिहासिक महत्व भी है. कहा जाता है कि सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं. साथ ही यह वही महीना भी है जब समुद्र मंथन हुआ था और विषपान करने के कारण भगवान शिव को नीलकंठ नाम मिला था. कहा जाता है कि सावन के महीने में ही माता पार्वती ने अपनी कठोर तपस्या से महादेव को प्रसन्न किया था. वहीं कथाओं के अनुसार इसी माह में शिव और शक्ति का मिलन आरंभ हुआ था.
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भगवान शिव का प्रिय मास सावन
कथाओं के अनुसार माता पार्वती ने सावन माह के व्रत रखे और महादेव को पति रूप में पाने के लिए इसी माह में तपस्या की. माता पार्वती की कठोर तपस्या के बाद शिव और शक्ति का मिलन हुआ. तब भगवान शिव ने कहा कि इसलिए उनको ये माह बहुत प्रिय है और इसका हर एक दिन उनको पर्व की तरह लगता है. इस माह में जो भक्त सच्चे मन से महादेव और मां पार्वती की पूजा करता है, उसे भगवान शिव और मां पार्वती का आशीर्वाद मिलता है.
सावन के सोमवार का महत्व
कहते हैं कि इस दिन पूजा करने से न केवल चन्द्रमा बल्कि भगवान शिव की कृपा भी मिल जाती है. कोई भी व्यक्ति जिसको स्वास्थ्य की समस्या हो, विवाह की मुश्किल हो या दरिद्रता छायी हो, अगर सावन के हर सोमवार को विधि पूर्वक भगवान शिव की आराधना करता है तो तमाम समस्याओं से मुक्ति पा जाता है.
सावन का महीना भोलेनाथ की पू्जा-अर्चना के लिए सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है और सफलता के राह में आ रही मुश्किलें दूर होती है. साथ ही व्यक्ति के सभी दुखों और संकटों से छुटकारा मिलता है. रोगों से मुक्ति: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सावन सोमवार व्रत रखने से कुंडली में चंद्र ग्रह की स्थिति मजबूत होती है.
ऐसे करें पूजा
शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव की पूजा शाम के समय श्रेष्ठ मानी गई है, लेकिन सावन के पहले दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर सफेद वस्त्र धारण करें. गंगा जल से पूजा स्थल को शुद्ध करें. गाय के गोबर से मंडप तैयार करें. इसके बाद पांच अलग-अलग रंगों से मंडप में रंगोली बना लें. पूजा की सारी तैयारी करने के बाद उतर-पूर्व दिशा में मुंह करके कुशा के आसन पर बैठें. भगवान शिव के मंत्र ऊँ नम: शिवाय का जाप करें और शिव को जल चढ़ाएं.
भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक शुभ होता है. उन्हें पान, सुपारी, धतूरा, शक्कर, घी, दही, शहद, सफेद चंदन, कपूर, अक्षत, पंचामृत, आक के फूल, गुलाल, अबीर, इत्र, शमी पत्र चढ़ाएं. सावन में ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें, शिव चालीसा का पाठ करें और फिर शिव जी की आरती करें और उन्हें भोग लगाएं.