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राजस्थान के इतिहास का पहला जौहर था महारानी रंगा देवी का जौहर

रानी पद्मावती के जौहर को तो दुनिया जानती है. राजस्थान के इतिहास का यह सबसे बड़ा जौहर था. लेकिन राजस्थान के पहले जौहर के बारे में शायद कम लोग ही जानते हैं. रणथम्भौर दुर्ग में महारानी रंगा देवी का जौहर अमर है. इतिहासकारों की माने तो 1301 ईस्वी में रणथम्भौर दुर्ग में पहला जल जौहर हुआ था.

राजस्थान के इतिहास का पहला जौहर था महारानी रंगा देवी का जौहर

रानी पद्मावती के जौहर को तो दुनिया जानती है. राजस्थान के इतिहास का यह सबसे बड़ा जौहर था. लेकिन राजस्थान के पहले जौहर के बारे में शायद कम लोग ही जानते हैं. रणथम्भौर दुर्ग में महारानी रंगा देवी का जौहर अमर है. इतिहासकारों की माने तो 1301 ईस्वी में रणथम्भौर दुर्ग में पहला जल जौहर हुआ था. राजा हम्मीर देव की पत्नी रानी रंगादेवी ने रणथम्भौर दुर्ग स्थित पद्मला तालाब में जल जौहर किया था. इसे राजस्थान का पहला और एकमात्र जल जौहर भी मानते हैं. रानी रंगा देवी ने यह जौहर अलाउद्दीन खिलजी के रणथम्भौर दुर्ग पर किए गए आक्रमण के दौरान किया था.

इतिहासकारों का कहना है कि खिलजी के गुजरात की विजय के बाद वहां से लूटे गए धन को लेकर सेनानायकों में विद्रोह हुआ. जिसके बाद सेनानायक राव हम्मीर देव की शरण में आए. जिन्हें वापस लेने के लिए खिलजी ने रणथम्भौर पर आक्रमण किया. रणथम्भौर को आधीन करने में खिलजी को 11 महीने का वक्त लगा. रणथम्भौर दुर्ग के इतिहासवेता ने बताया कि रणथम्भौर में हम्मीर की सेनाओं की पराजय होता देख रानी रंगादेवी और बारह हजार वीरांगनाओं ने अपने सम्मान की रक्षा के लिए जौहर किया.

इतिहासविदों का कहना है कि हम्मीर की रानी रंगदेवी के नेतृत्व में किले की वीरांगनाओं ने जौहर किया. इसका उल्लेख कई ग्रंथों हम्मीर ऑफ रणथंभोर, जोधराकृत हम्मीररासो, , सवाईमाधोपुर दिग्दर्शन, हम्मीर रासो में लिखा है कि जौहर के समय रानियों ने शीश फूल, दामिनी, आड़, तांटक, हार, बाजूबंद, जोसन पौंची, पायल समेत कई आभूषण धारण किए.

इतिहासकार कहते हैं कि जौहर यमग्रह ने बना हुआ शब्द है. यह यमग्रह से अपभ्रंश होकर जमग्रह बना और फिर जौहर हुआ. रातपूताना में तीन जौहरों की गाथा है चित्तौडग़ढ़. रणथम्भौर दुर्ग, जालौर दुर्ग का जौहर.