राजस्थान के इस अनोखे मंदिर में होती है कुत्ते की पूजा, 200 साल पुरानी है इसकी कहानी
राजस्थान के जयपुर ग्रामीण क्षेत्र के सांभर झील के किनारे स्थित एक अनोखा मंदिर "कुत्ते का मंदिर" के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर में कुत्ते की मूर्ति की पूजा होती है, जो स्वामी भक्ति और साहस की प्रतीक है। मंदिर की स्थापना संत पीथा राम और उनके वफादार कुत्ते की 200 साल पुरानी कहानी पर आधारित है।
राजस्थान के जयपुर ग्रामीण क्षेत्र में एक ऐसा मंदिर स्थित है, जो अपने अनूठेपन के लिए पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है। इस मंदिर में किसी भगवान की नहीं, बल्कि कुत्ते की पूजा की जाती है। यहां आने वाले भक्त कुत्ते की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाते हैं और मन्नतें मांगते हैं। यह मंदिर सांभर झील के किनारे, सांभर शहर से 7 किलोमीटर दूर स्थित है और इसे "कुत्ते का मंदिर" के नाम से जाना जाता है।
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कुत्ते का यह मंदिर न केवल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि यह अपनी एक अद्वितीय कहानी से भी जुड़ा है, जो स्वामी-भक्ति और साहस की मिसाल पेश करती है। इसके साथ ही, इस मंदिर में एक और खास बात है—यहां पूजा-अर्चना एक महिला पुजारी द्वारा की जाती है, जो इस मंदिर की परंपरा को जीवंत रखे हुए हैं।
200 साल पुरानी है मंदिर की कहानी
इस मंदिर की कहानी करीब 200 साल पुरानी है। गांव सेवा के संत पीथा राम, अपने विवाह के लिए सामान खरीदने सांभर की मंडी आए थे। उनके साथ उनका वफादार कुत्ता और उनका मुस्लिम धर्मभाई भी था। शादी का सामान खरीदने के बाद, जब पीथा राम अपने गांव लौट रहे थे, तो रास्ते में डकैतों ने उन पर हमला कर दिया। पीथा राम और उनके कुत्ते ने मिलकर बहादुरी से उन डकैतों का सामना किया। कुत्ते ने कई डकैतों को मार गिराया, लेकिन दुर्भाग्यवश पीथा राम की गर्दन काट दी गई, और वे वीरगति को प्राप्त हुए।
कुत्ते की वफादारी का अनूठा उदाहरण
पीथा राम के कुत्ते ने अपनी जान की परवाह किए बिना अपने मालिक की रक्षा की और उसके बाद खून से सना हुआ साफा लेकर गांव के लोगों तक पहुंचा। गांव के लोग तुरंत समझ गए कि कुछ अनहोनी हो गई है और कुत्ते के साथ उस जगह पहुंचे जहां पीथा राम का शरीर और बेसुध पड़े डकैत मिले। कुछ ही समय बाद, कुत्ते ने भी अपने स्वामी के साथ दम तोड़ दिया। यह स्वामी-भक्ति और वफादारी की अनूठी घटना के प्रतीक के रूप में, वहां पीथा बाबा और कुत्ते का मंदिर स्थापित किया गया।
आज भी होती है पूजा
आज भी उस कुत्ते की मूर्ति की पूजा बड़े आदर और आस्था के साथ की जाती है। भक्त यहां दूर-दूर से आते हैं और अपनी मन्नतें मांगते हैं। यह मंदिर राजस्थान की समृद्ध लोक आस्था और सांस्कृतिक धरोहर का अनूठा उदाहरण है, जहां एक जानवर को उसके स्वामी के प्रति वफादारी के लिए पूजा जाता है।