सालों का इंतज़ार हुआ ख़त्म, मोदी सरकार ने ‘राजस्थान’ के इन 2 जिलों को दी बड़ी सौगात, जानें पूरी डिटेल
भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने राज्यों को पूंजी निवेश के लिए विशेष सहायता योजना के तहत एनसीआर में शामिल तीनों राज्यों के लिए 1 हजार करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता को मंजूरी दी है.
दिल्ली से सटे होने के कारण भरतपुर और अलवर को काफी नुकसान हुआ है. ईंट भट्टे बंद हो गए. वाहनों की लाइफ महज 10 और 15 साल रह गई. उद्योग बर्बाद हो गए और तेल उद्योग भी बुरी तरह प्रभावित हुआ. इस प्रतिबंध के कारण कई उद्योग यहां नहीं आए, लेकिन अब भरतपुर को शायद पहली बार इसका फायदा मिलने जा रहा है. हम बात कर रहे हैं राजधानी क्षेत्र (NC) की. एनसीआर प्लानिंग बोर्ड ने हाल ही में 1 हजार करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है. इसमें भरतपुर को भी विकास कार्यों के लिए पैसा मिलना है.
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भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने राज्यों को पूंजी निवेश के लिए विशेष सहायता योजना के तहत एनसीआर में शामिल तीनों राज्यों के लिए 1 हजार करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता को मंजूरी दी है. एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की योजना इस राशि का उपयोग ट्रॉमा केयर नेटवर्क विकसित करने में करने की है. वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने राज्यों को पूंजी निवेश के लिए विशेष सहायता योजना 2024-25 के तहत यह राशि मंजूर की है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के विकास के लिए यह राशि एनसीआरपीबी की ओर से हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान तीनों सहभागी राज्यों को समान रूप से वितरित की जाएगी। इसमें राजस्थान के लिए 333.3 करोड़ रुपए की राशि भरतपुर-अलवर एनसीआर क्षेत्र के लिए होगी।
अस्पतालों को हाईटेक बनाया जाएगा
इसके साथ ही जिला अस्पताल में एंबुलेंस सुविधा भी शुरू की जाएगी। इसके साथ ही जहां हेलीपैड उपलब्ध हैं, उन्हें बेहतर बनाया जाएगा और जहां हेलीपैड नहीं हैं, वहां दूसरे चरण में हेलीपैड भी विकसित किए जाएंगे। हेलीपैड के नजदीक सर्वश्रेष्ठ अस्पतालों की पहचान कर मजबूत ट्रॉमा केयर नेटवर्क विकसित करने के लिए एक मोबाइल ऐप भी विकसित किया जाएगा, जो लोकेशन के आधार पर काम करेगा। इससे आम जनता को नजदीक में ट्रॉमा सुविधाओं की उपलब्धता के बारे में जानकारी मिलेगी और त्वरित उपचार संभव हो सकेगा।
इस राशि से जिला मुख्यालय के सरकारी अस्पताल को फास्ट ट्रैक के रूप में अपग्रेड करने की योजना है, इससे ट्रॉमा सुविधा को अपग्रेड किया जाएगा। इसके अलावा एक उन्नत ब्लड बैंक भी बनाया जाएगा।
इसके अलावा आम जनता को एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम, एंबुलेंस की उपलब्धता, राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर ब्लड स्टोरेज और ट्रांसफ्यूजन की सुविधा भी मिलेगी। योजना के दूसरे चरण में और अधिक अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को शामिल कर सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा।
सीमा घटाई, समाधान नहीं
पहले दिल्ली से एनसीआर की सीमा 175 किलोमीटर थी, जिसे अक्टूबर 2023 में घटाकर 100 किलोमीटर कर दिया गया। इसके बाद भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। एनसीआर-टीटीजेड में शामिल होने का असर यह है कि वायु प्रदूषण बढ़ते ही यहां लगी करीब 125 भट्टियां हर साल कुछ महीनों के लिए बंद हो जाती हैं।
इसके साथ ही यहां के तेल उद्योग पर भी इसका विपरीत असर पड़ रहा है। एनसीआर की अनुमति न मिलने के कारण यहां नए उद्योग नहीं लग पा रहे हैं। इसका खामियाजा बयाना क्षेत्र के कई क्रशर उद्योगों को भुगतना पड़ रहा है। दोपहिया और चार पहिया वाहनों की बात करें तो यहां डीजल वाहनों की लाइफ 10 साल और पेट्रोल वाहनों की लाइफ 15 साल तय है।