दांव पर दो पूर्व सीएम की साख, मैदान में उतरे दोनों के बेटे, पार्टी प्रचार से बनाई दूरी
राजस्थान में इस बार का लोकसभा चुनाव काफी दिलचस्प है, क्योंकि इस बार दो पूर्व सीएम के बेटे चुनावी मैदान में उतरे हैं. एक तरफ कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां दूसरे चरण के लिए चुनाव में जोर-शोर से लगी हैं. प्रदेश में 25 लोकसभा सीटों पर कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है. इनमें राजस्थान के दो पूर्व सीएम की चर्चा सबसे ज्यादा है, जो अपने-अपने बेटों को चुनाव जिताने में जुटे हैं.
राजस्थान में इस बार का लोकसभा चुनाव काफी दिलचस्प है, क्योंकि इस बार दो पूर्व सीएम के बेटे चुनावी मैदान में उतरे हैं. एक तरफ कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां दूसरे चरण के लिए चुनाव में जोर-शोर से लगी हैं. प्रदेश में 25 लोकसभा सीटों पर कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है. इनमें राजस्थान के दो पूर्व सीएम की चर्चा सबसे ज्यादा है, जो अपने-अपने बेटों को चुनाव जिताने में जुटे हैं.
एक ओर राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत झालावाड़ से चुनावी मैदान में हैं, तो वहीं पूर्व सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव जालौर-सिरोही सीट से ताल ठोंक रहे हैं. पूर्व सीएम वसुंधरा राजे इस लोकसभा चुनाव में झालावाड़ तक सीमित हैं. बीजेपी की स्टार प्रचारक होने के बावजूद वसुंधरा राजे दूसरी लोकसभा सीट पर प्रचार करने नहीं गईं.
झालावाड़ में अपने बेटे दुष्यंत के लिए लगातार वसुंधरा जमीनी भूमिका बना रही हैं. वहीं दूसरी ओर दुष्यंत के नामांकन में सिर्फ बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा झालावाड़ आए थे. इसके अलावा बीजेपी का कोई बड़ा नेता झालावाड़ में प्रचार के लिए नहीं आया. वहीं दूसरी ओर इस मामले को कांग्रेस मुद्दा बनाकर इसे पार्टी की आंतरिक कलह बता रही है.
एक तरफ वसुंधरा हैं, तो दूसरी ओर पूर्व सीएम अशोक गहलोत भी अपने बेटे वैभव गहलोत के लिए जालौर में प्रचार कर रहे हैं. वैभव का ये दूसरा लोकसभा चुनाव है. इससे पहले वैभव 2019 के लोकसभा चुनाव में गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ जोधपुर में चुनाव हार चुके हैं. इस लिहाज से इस बार अशोक गहलोत की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. वजह साफ है कि इस बार लोकसभा सीट बदलकर अशोक गहलोत ने अपने बेटे के लिए जालौर-सिरोही लोकसभा सीट चुनी और इसी सीट पर उनका फोकस भी है. जालौर सिरोही के अलावा गहलोत दूसरी लोकसभा सीट के लिए चुनाव प्रचार के लिए जा तो रहे हैं, लेकिन उनका फोकस बेटे की सियासत का बनाने में है.
अशोक गहलोत बेटे वैभव के चुनाव प्रचार के लिए मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु तक के दौरे कर चुके हैं. इन जगहों पर प्रवासी वोटर्स रहते हैं क्योंकि ये चुनाव वैभव गहलोत का राजनीतिक भविष्य तय करेगा.