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दिवेर विजय महोत्सव का हुआ भव्य समापन, महाराणा प्रताप की वीरता का किया गुणगान

दिवेर विजय महोत्सव का भव्य समापन हुआ, जिसमें महाराणा प्रताप की वीरता और शौर्य का गुणगान किया गया। समारोह में मुख्य अतिथि अरुण कुमार ने इसे भारत की ऐतिहासिक विजय बताया, जो मुगलों के खिलाफ सभी नायकों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। 

दिवेर विजय महोत्सव का हुआ भव्य समापन, महाराणा प्रताप की वीरता का किया गुणगान

उदयपुर में दिवेर विजय महोत्सव का भव्य समापन सोमवार को प्रताप गौरव केन्द्र ‘राष्ट्रीय तीर्थ’ में हुआ। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने कहा कि दिवेर विजय सिर्फ मेवाड़ के लिए नहीं, बल्कि यह भारत की विजय का शुभारंभ था। उन्होंने महाराणा प्रताप को केवल मेवाड़ का नायक नहीं, बल्कि भारत के इतिहास के परिवर्तन का नायक बताया।

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अरुण कुमार ने अपने संबोधन में कहा, “इस विजय ने भारतवर्ष में उन सभी नायकों में प्रेरणा का संचार किया, जो मुगल आक्रांताओं के विरुद्ध झंडा थामे हुए थे। महाराणा प्रताप का प्रत्येक क्षेत्र में नेतृत्व अतुलनीय था, और उन्होंने अपने चरित्र को संकट के समय भी नहीं बदला।” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि दिवेर विजय ने मेवाड़ में लगभग दो दशक तक शांति स्थापित की, और इस दौरान महाराणा प्रताप एक कुशल प्रशासक और कला प्रेमी के रूप में उभरे।

दिवेर युद्ध एक युगान्तकारी परिवर्तन युद्ध

वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप समिति के अध्यक्ष प्रो. बीपी शर्मा ने दिवेर युद्ध को भारतीय इतिहास में युगान्तकारी परिवर्तन लाने वाला युद्ध बताया। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप के नेतृत्व में मेवाड़ सेना ने पहली बार आक्रामक युद्ध नीति अपनाई, जिससे 36 हजार मुगल सैनिकों को पराजित किया गया।

राष्ट्रधर्म है सर्वोपरि

मेला पीठाधीश्वर स्वामी सुदर्शनाचार्य महाराज ने अपने संबोधन में राष्ट्रधर्म को सर्वोपरि बताते हुए कहा कि केवल दया-धर्म से राष्ट्र की रक्षा नहीं होती, बल्कि समय-समय पर शास्त्र के साथ शस्त्र का भी महत्व होता है।

विजेताओं को दिया पुरस्कार

समारोह में विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। राज्य स्तरीय भाषण प्रतियोगिता में अंजलि गांचा ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, जबकि चित्रकला प्रतियोगिता में भी कई प्रतिभागियों को पुरस्कार दिए गए।

अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर समारोह का शुभारंभ किया और चित्रकला प्रतियोगिता के कैटेलॉग का विमोचन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सरोज कुमार ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन पवन शर्मा ने किया।