पूर्व CM गहलोत ने लिया भारत रफ़्तार की खबर का संज्ञान, पोस्ट कर मचाई दिल्ली तक खलबली, यमुना जल समझौते से जुड़ा है मामला
Yamuna Water Agreement: पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया एक्स पर भारत रफ़्तार की खबर को शेयर करते हुए लिखा कि यमुना जल समझौते पर हमारी सरकार ने हमेशा राजस्थान के हितों को ध्यान में रखते हुए योजना बनाने का प्रयास किया।
Yamuna Water Agreement: यमुना जल समझौते को लेकर राजस्थान की सियासत गर्म है। दोनों पार्टियों के मुख्य नेताओं के बीच इसको लेकर बयानबाजी होती रहती है। देश, दुनिया के साथ मुख्यरुप से राजस्थान से जुड़ी हर छोटी-बड़ी खबर की परतें खोलकर सच्चाई का पता लगाने के लिए भारत रफ़्तार लगातार काम रहा है। यमुना जल समझौते के मुद्दे पर भी सभी फैक्ट्स को चेक कर भारत रफ़्तार ने पुख्ता तौर पर सामने आई सच्चाई को उजागर किया, जिसे कांग्रेस प्रमुख और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सराहा और इस पर अपने विचार भी साझा किए।
पूर्व CM ने साफ शब्दों में रखी अपनी बात
यमुना जल समझौते पर हमारी सरकार ने हमेशा राजस्थान के हितों को ध्यान में रखते हुए योजना बनाने का प्रयास किया। अभी राजस्थान सरकार ने जिस समझौते पर सहमति जताई है उसमें हरियाणा को पहले पानी मिलेगा एवं अधिशेष जल होने पर ही राजस्थान को पानी मिलेगा जबकि हमने हमेशा हरियाणा और राजस्थान को… https://t.co/ztEm0refbl
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) September 7, 2024
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया एक्स पर भारत रफ्तार की खबर को शेयर करते हुए लिखा कि 'यमुना जल समझौते पर हमारी सरकार ने हमेशा राजस्थान के हितों को ध्यान में रखते हुए योजना बनाने का प्रयास किया। अभी राजस्थान सरकार ने जिस समझौते पर सहमति जताई है उसमें हरियाणा को पहले पानी मिलेगा एवं अधिशेष जल होने पर ही ‘राजस्थान को पानी मिलेगा जबकि हमने हमेशा हरियाणा और राजस्थान को अनुपातिक जल वितरण के लिए प्रयास किया। मुख्यमंत्री जी द्वारा सदन और सार्वजनिक सभाओं में ऐसा कहना कि कांग्रेस सरकार ने कभी यमुना जल के लिए पत्र तक नहीं लिखा, यह तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है। मैंने ना सिर्फ पत्र लिखे बल्कि जयपुर में हरियाणा के मुख्यमंत्री के साथ बैठक कर एवं MoU का प्रपत्र भेजकर राजस्थान के हितों को आगे रखकर यमुना का जल लाने का प्रयास किया। मुख्यमंत्री जी को सदन में ऐसे दावे करने से बचना चाहिए एवं सिर्फ वाहवाही लेने की बजाय राजस्थान के हितों को पहले रखना चाहिए’।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, इस मामले की शुरुआत साल 2001 में हुई थी। जब राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और हरियाणा के सीएम भूपेंद्र हुड्डा के बीच यमुना जल सहमझोते को लेकर मीटिंग हुई की। इस बैठक के बाद 2001 में ही राजस्थान की तत्कालीन जल संसाधन मंत्री कमला बेनीवाल ने हरियाणा के सीएम से मुलाकात की थी। दो साल बाद साल 2003 में हरियाणा के सीएम ने राजस्थान के जल संसाधन मंत्री के साथ मीटिंग की और लेटर दिया, फिर 2003 में ही राजस्थान के सीएम ने हरियाणा के सीएम को MoU भेजा। बाद में साल 2012 में फिर एक बार राजस्थान के तत्तकालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री पवन बंसल को लेटर लिखा था, लेकिन मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को अधिकारियों ने उनकी पार्टी द्वारा किए काम ही गिनाए। जिसके बाद उन्होंने कहा कि जलसंकट का समाधान सिर्फ उन्होंने किया। हकीकत ये है कि तीन दशक से राजस्थान के शेखावटी की पानी की समस्या का पूरी तरह से समाधान नहीं हो पाया है। उससे अलग सीएम भजनलाल से ही राजस्थान के अधिकारी गलत पर्चे पढ़ावा रहे हैं। ऐसे में पानी समस्या का सच समझना किसी के लिए मुश्किल नहीं है।