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गजल किंग जगजीत सिंह बने थे राजस्थान के रत्न, बनाया था वर्ल्ड रिकॉर्ड

गजल किंग जगजीत सिंह का जन्म भले ही राजस्थान में हुआ हो, लेकिन इस कलाकार ने अपने संगीत से सीमाओं को तोड़ दिया। आज भी उन्हें गजल की दुनिया का महारथी कहा जाता है। 

गजल किंग जगजीत सिंह बने थे राजस्थान के रत्न, बनाया था वर्ल्ड रिकॉर्ड
jagjit singh

भारत में गजल की जिक्र हो, तो जगजीत सिंह का नाम लोगों की जुबान पर जरूर आता है। आजादी से पहले राजस्थान में जन्में जगजीत सिंह हमारे बीच मौजूद नहीं हैं, लेकिन उन्हें गजल का किंग कहा जाता है। जगजीत सिंह ने गजलों में सबसे ज्यादा नाम कमाया। लेकिन वो लोकगीत, ठुमरी और भजन भी गाते थे। उन्होंने कई भाषाओं में गायन किया है। उन्हें राजस्थान का रत्न 2013 से सम्मानित भी किया गया था।

प्रारंभिक समय

जगजीत सिंह जिनका पूरा नाम जगमोहन सिंह धीमान है। इनका जन्म 8 फरवरी 1941 में राजस्थान के श्रीगंगानगर में हुआ था। पिता सरदार सिंह धीमान लोक निर्माण विभाग में एक सर्वेक्षक थे। जगजीत सिंह ने अपनी शुरूआती राजस्थान ने ही की। इसके बाद उन्होंने जालंधर से कला की डिग्री प्राप्त की। साल 1961 में जगजीत सिंह ने ऑल इंडिया रेडियो के जालंधर स्टेशन से पेशेकर काम करना शुरु किया। बाद में जगजीत सिंह ने भारतीय शास्त्रीय संगीत के एक दृष्टिबाधित गुरु, पंडित छगन लाल शर्मा और बाद मैहर घराने के उस्ताद जमाल खान से संगीत सीखा। 

बिना घर में बताए पहुंचे मुंबई

जगजीत सिंह के लिए गायकी की दुनिया में नाम बनाना आसान नहीं था। घरवाले चाहते थे कि वो पढ़-लिखकर बड़े अफसर बने। उनके पिता फिल्मों में गाना गाने के सख्त खिलाफ थे और इसी वजह से गजल सम्राट को घर से भागकर गायकी में करियर बनाना पड़ा। 1965 में जगजीत सिंह घर में बिना बताए मुंबई आ गए थे।

होटल में गाकर किया गुजारा

जगजीत सिंह अपने सपनों का पीछा करते हुए मुंबई तो आ गए, लेकिन मायानगरी में गुजारा करना आसान नहीं था। दो वक्त की रोटी का इंतजाम करने के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती और कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही थी। मुफ्त के खाने के लिए वो होटलों में गाना भी गाया करते थे। काफी संघर्ष के बाद उन्हें पहली गुजराती फिल्म में गाना गाने का मौका मिला।

60 से ज्यादा एल्बम किए रिकॉर्ड

जगजीत सिंह ने तुम इतना क्यों मुस्कुरा रहे हो, कागज की कश्ती, होठों से छू लो तुम, जैसे अनेक गाने गाऐ है. उनका साल 2011 में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। 7 दिसंबर 2008 को, जगजीत सिंह को उनके 110 घंटे के तबला वादन के रिकॉर्ड-तोड़ प्रदर्शन को मान्यता देने के लिए सबसे लंबे ड्रमिंग मैराथन - व्यक्तिगत के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड दिया गया। वैसे आपको बता दें, जगजीत का बचपन का नाम जीत था। इसलिए करोड़ों फैंस के लिए वो जगजीत सिंह बन गए।