अगर आप भी भूतियां फिल्मों के शौकीन है तो राजस्थान के इस कुलधरा गांव के बारे आपको जरूर जानना चाहिए...
राजस्थान में ऐसे तो कई भूतिया जगहें हैं। लेकिन जो स्थान कुलधरा का है उसके आसपास पूरे भारत में शायद ही कोई और जगह हो। कुलधरा की सुनसान संकरी गलिया, खंडर में तब्दील हो चुके घर, बीच-बीच में उगी हुई झाडियां किसी को भी डराने के लिए काफी है। कुलधरा भारत के सबसे भुतहा गाँवों में से एक है। कुलधरा की सुनसान, संकरी और प्राचीन गलियाँ मिथकों, डरावनी लोककथाओं और भूतों और असाधारण गतिविधियों की कहानियों का स्रोत है।
कुलधरा गांव-राजस्थान की सबसे भूतिया जगह...
राजस्थान में ऐसे तो कई भूतिया जगहें हैं। लेकिन जो स्थान कुलधरा का है उसके आसपास पूरे भारत में शायद ही कोई और जगह हो। कुलधरा की सुनसान संकरी गलिया, खंडर में तब्दील हो चुके घर, बीच-बीच में उगी हुई झाडियां किसी को भी डराने के लिए काफी है। कुलधरा भारत के सबसे भुतहा गाँवों में से एक है। कुलधरा की सुनसान, संकरी और प्राचीन गलियाँ मिथकों, डरावनी लोककथाओं और भूतों और असाधारण गतिविधियों की कहानियों का स्रोत है।
जैसलमेर से 17 किलोमीटर दूर कुलधरा नामक एक शहर बसा है। जो कभी समृद्ध था लेकिन अब, यह खंडहर में पड़ा हुआ है और जो कुछ बचा है वह निराशा की स्थिति में विभिन्न खुले घर हैं। पहली नज़र में यह अभिशाप भूत शहर, कुलधरा, सोचने पर मजबूर कर देता है और आध्यात्मिक और असाधारण गतिविधियों में लोगों का विश्वास तुरंत बढ़ा देता है।
कुलधरा गांव का इतिहास
13वीं शताब्दी में स्थापित कुलधरा, एक समय पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा बसाया गया एक समृद्ध गाँव था। किंवदंती है कि जैसलमेर के तत्कालीन दीवान सलीम सिंह गांव के मुखिया की बेटी से शादी करना चाहते थे। उसने उससे शादी के लिए हाथ मांगा लेकिन लड़की ऐसा नहीं करना चाहती थी। इस बात से डरते हुए कि अगर उन्होंने एक शक्तिशाली कुलीन को मना कर दिया तो क्या होगा? तो ग्रामीणों ने समर्पण करने के बजाय भागने की शरण ली। लेकिन गांव छोड़ने से पहले उन्होंने उस पर श्राप लगा दिया।
कुलधरा का श्राप
ग्रामीणों ने जल्दबाजी में अपने घर छोड़ दिए। कहा जाता है कि उन्होंने भूमि को पूरी तरह से उजाड़ने की निंदा करते हुए शाप दिया था। स्थानीय लोगों का मानना है कि जिन लोगों ने कुलधरा को छोड़ दिया। उन्होंने उस परित्यक्त गांव में बसने की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति पर अभिशाप लगाया। ऐसा कहा जाता है कि यह अभिशाप लगातार बना रहता है। जिससे पुनरुद्धार के किसी भी प्रयास को रोका जा सकता है।
कुलधरा के खंडहर
कुलधरा के खंडहर बेहद डरावने और डरावने हैं। जिनकी जर्जर संरचनाएं बीते युग की दास्तां बयां कर रही हैं। आगंतुकों का दावा है कि उन्होंने अलग-अलग आवाजें सुनी हैं। खाली सड़कों पर कदमों की गूंज सुनी है और चांदनी रात में नाचती हुई रहस्यमयी परछाइयों को देखा है। हवा एक अलौकिक ऊर्जा से भरी हुई है। मानो अतीत की आत्माएँ अभी भी उन सड़कों पर घूम रही हैं। जिन्हें वे कभी घर कहते थे।