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जयपुर के एक अस्पताल में चोरी हो रहा था प्लाज्मा,प्रशासन था अंजान, रंगे हाथ पकड़ा गया लैब टेक्नीशियन

जयपुर के एक अस्पताल में ब्लड बैंक से प्लाज्मा चोरी होने का एक बड़ा मामला सामने आया है। ब्लड बैंक में काम करने वाला लैब टेक्नीशियन लंबे समय से ऐसी चोरियां कर रहा था।घटना का खुलासा तब हुआ जब,ब्लड बैंक कर्मचारियों ने ही उसे चोरी करते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया।सख्ती से पूछताछ के दौरान उसने प्लाज्मा चोरी करने की बात कबूल कर ली। लैब टेक्नीशियन की कार में से काली थैली में रखे प्लाज्मा के 76बैग भी बरामद हुए हैं।

जयपुर के एक अस्पताल में चोरी हो रहा था प्लाज्मा,प्रशासन था अंजान, रंगे हाथ पकड़ा गया लैब टेक्नीशियन

जयपुर के एक अस्पताल में ब्लड बैंक से प्लाज्मा चोरी होने का एक बड़ा मामला सामने आया है। ब्लड बैंक में काम करने वाला लैब टेक्नीशियन लंबे समय से ऐसी चोरियां कर रहा था।घटना का खुलासा तब हुआ जब,ब्लड बैंक कर्मचारियों ने ही उसे चोरी करते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया।सख्ती से पूछताछ के दौरान उसने प्लाज्मा चोरी करने की बात कबूल कर ली। लैब टेक्नीशियन की कार में से काली थैली में रखे प्लाज्मा के 76बैग भी बरामद हुए हैं।

अस्पताल ने किया हाई लेवल टीम का गठन

इस मामले के सामने आने के बाद जांच के लिए अस्पताल ने एक हाई लेवल कमेटी बनाई है कमेटी इस बात की जांच करेगी कि आखिर यह चोरी कब से चल रही थी और क्या इसमें कुछ और लोगों की संलिप्तता है? अस्पताल के अधीक्षक ने सीनियर प्रोफेसर रामबाबू शर्मा की अध्यक्षता में टीम गठित की है इस हाई लेवल कमेटी में प्रो० डॉ कपिल गर्ग, आईएचटीएम के एचओडी डॉ बीएस मीणा, अतिरिक्त अधीक्षक डॉ मनीष शर्मा एवं उपाधीक्षक डॉक्टर केके यादव शामिल हैं

गंभीर बीमारियों में काम आता है प्लाजमा

प्लाज्मा गंभीर बीमारियों के मरीजों के लिए काम आता है और डॉक्टरों की राय के बाद ही मरीजों को चढ़ाया जाता है इसलिए अब अस्पताल प्रशासन सवालों के घेरे में है। पता लगाया जा रहा है कि इतने बड़े अस्पताल के ब्लड बैंक में स्टॉक वेरिफिकेशन की कोई व्यवस्था नहीं थी? इस पूरे मामले में अस्पताल प्रशासन के रवैए पर भी कई सवाल उठ रहे हैं

अब तक नहीं की गई एफआईआर

लेकिन जब मामले का खुलासा हो गया है तो अब तक इसमें एफआईआर दर्ज हो जानी चाहिए अस्पताल के आधिकारियों को चाहिए था कि तत्काल इसमें मुकदमा दर्ज कराया जाता लेकिन अब तक ऐसा नहीं किया गया है। अधीक्षक ने पुलिस में मामला क्यों नहीं दर्ज कराया? प्लाज्मा की अक्सर कमी रहती है ऐसे में ब्लड बैंक प्लाज्मा का रिकॉर्ड क्यों नहीं रख रहा था? 76 बैग का स्टॉक बहुत बड़ा होता है, क्या अकेले टेक्नीशियन इसमें संलिप्त था? सरकारी अस्पतालों में प्लाज्मा फ्री में मिलता है जबकि बाहर इसकी रेट 3000 से ₹4000 तक है इसलिए सवाल यह भी उठ रहा है कि आरोपी प्लाज्मा को निजी ब्लड बैंक की अस्पतालों में बेच रहा था ?