भाजपा की टिकट नीति पर सवाल, किरोड़ी लाल के भाई को टिकट मिलने पर नाराज पार्टी नेता
राजस्थान के दौसा विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की टिकट नीति से बगावत के सुर तेज हो गए हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता देवी सिंह ने एसटी वर्ग के उम्मीदवार को टिकट मिलने पर नाराजगी जताते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।
राजस्थान में आगामी विधानसभा उपचुनाव की सियासी सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं। भाजपा ने सात में से छह सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, लेकिन दौसा विधानसभा सीट पर पार्टी का निर्णय अब विवादों में घिरता नजर आ रहा है।
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भाजपा द्वारा दौसा से जनरल सीट पर एसटी वर्ग के उम्मीदवार जगमोहन मीणा को टिकट दिए जाने के बाद पार्टी के अंदर ही असंतोष की लहर दौड़ पड़ी है। यह असंतोष तब सामने आया जब भाजपा के वरिष्ठ नेता देवी सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस फैसले के खिलाफ बगावत का ऐलान करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी।
सामान्य वर्ग के नेताओं की नाराज़गी
दौसा जिले में सामान्य वर्ग के नेताओं में इस बार टिकट न मिलने की गहरी नाराजगी है। देवी सिंह ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “दौसा विधानसभा सीट सामान्य वर्ग के लिए थी, लेकिन भाजपा ने इस बार भी एसटी वर्ग के उम्मीदवार को टिकट दे दिया। जिले की तीन सामान्य सीटों—दौसा, महुआ और बांदीकुई—में से महुआ और बांदीकुई में पहले ही सामान्य वर्ग को दरकिनार किया जा चुका है। अब दौसा सीट पर भी यही स्थिति होने के चलते सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों और मतदाताओं में भारी नाराज़गी है।”
उन्होंने आगे कहा, “हमने पहले भी महुआ और बांदीकुई में टिकट न मिलने को बगावत के बिना सहन किया था, लेकिन इस बार भाजपा ने हमारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। अब हम इसे और बर्दाश्त नहीं कर सकते। इसीलिए मैं निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान करता हूं।”
सामान्य वर्ग की अनदेखी का सवाल
देवी सिंह ने भाजपा की टिकट नीति पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा, “क्या सामान्य वर्ग के लोग केवल मतदाता ही रह गए हैं? लोकसभा चुनावों में भी सामान्य वर्ग के मतदाताओं ने एसटी वर्ग के उम्मीदवार कन्हैया लाल मीणा को समर्थन दिया था। हालांकि वह चुनाव हार गए, लेकिन उनके लिए सामान्य वर्ग ने समर्थन में कमी नहीं की थी। अब विधानसभा चुनाव में जब सामान्य वर्ग के नेता को टिकट देने का मौका था, भाजपा ने फिर से एसटी वर्ग को प्राथमिकता दे दी। यह सामान्य वर्ग के मतदाताओं और नेताओं के साथ अन्याय है।”
कांग्रेस पर भी सवाल
देवी सिंह ने कांग्रेस की रणनीति पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “कांग्रेस भी दौसा में एसटी वर्ग के उम्मीदवार को टिकट देने की तैयारी कर रही है। इससे साफ है कि सामान्य वर्ग का नेतृत्व इन चुनावों में हाशिए पर धकेला जा रहा है। कांग्रेस से उम्मीद रखना तो बेकार है, क्योंकि वे पहले से ही एसटी उम्मीदवारों को प्राथमिकता देते आ रहे हैं।”
निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान
देवी सिंह ने अपनी नाराजगी स्पष्ट करते हुए कहा कि वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे, चाहे हारें या जीतें, इसका कोई फर्क नहीं पड़ता। उनका कहना है, “मेरा मकसद सिर्फ चुनाव जीतना नहीं है, बल्कि पार्टियों को यह दिखाना है कि सामान्य वर्ग को दरकिनार करना उनकी राजनीति के लिए घातक साबित हो सकता है। दोनों पार्टियों को यह समझना होगा कि सामान्य वर्ग के मतदाताओं की भी अपनी अहमियत है, जिसे नजरअंदाज करना उनके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।”
कांग्रेस का उम्मीदवार अभी तय नहीं
हालांकि, अभी तक कांग्रेस ने दौसा सीट पर अपने उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है। माना जा रहा है कि कांग्रेस एससी वर्ग के उम्मीदवार डीसी बेरवा, जो पूर्व प्रधान भी हैं, पर दांव खेल सकती है। अगर कांग्रेस भी एसटी या एससी वर्ग के उम्मीदवार को उतारती है, तो यह स्थिति निश्चित रूप से चुनावी गणित को बदल सकती है। ऐसी स्थिति में सामान्य वर्ग से कोई निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में उतर सकता है, जो भाजपा और कांग्रेस दोनों के समीकरणों को बिगाड़ सकता है।
दौसा उपचुनाव की सियासी तस्वीर
दौसा विधानसभा उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा हो रही है। भाजपा के भीतर उठी बगावत से पार्टी को नुकसान होने की संभावना है, जबकि कांग्रेस के निर्णय पर सभी की निगाहें टिकी हैं। अगर दोनों पार्टियां सामान्य वर्ग के मतदाताओं को संतुष्ट नहीं कर पातीं, तो निर्दलीय उम्मीदवारों की मौजूदगी उपचुनाव में बड़ा फर्क ला सकती है।