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Rajasthan By-Election: सलूंबर-चौरासी पर सबकी नजरें, राजकुमार रोत बदलेंगे समीकरण ! पढ़ें पूरी रिपोर्ट

राजस्थान के उपचुनावों में भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) प्रमुख राजकुमार रोट ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों को कड़ी चुनौती दी है। क्या सलूंबर और चौरासी सीटों पर जीत के साथ बीएपी तीसरा मोर्चा बना पाएगी? जानें राजस्थान की राजनीति के बदलते समीकरण।

Rajasthan By-Election: सलूंबर-चौरासी पर सबकी नजरें, राजकुमार रोत बदलेंगे समीकरण ! पढ़ें पूरी रिपोर्ट

देश में इन दिनों सियासी पारा हाई है। महाराष्ट्र-झारखंड में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं तो राजस्थान-बिहार और यूपी में उपचुनाव से माहौल गरम है। बीते दिनों राजस्थान की सात सीटों पर होने वाले उपुचनाव की मतदान संपन्न हुआ। यहां छह सीटों पर वोटिंग शांतिपूर्वक ढंग से हुई लेकिन देवली उनियारा सीट पर हुए बवाल की चर्चा अब देशभर में हो रही है। इसी बीच जैसे-जैसे रिजल्ट की तारीख नजदीक आ रही है। वैसे-वैसे सियासी जानकार अलग-अलग भविष्यवाणियां भी कर रहे हैं। इसी बीच सबसे ज्यादा भारतीय आदिवासी पार्टी प्रमुख राजकुमार रोत की हो रही है। राजस्थान की राजनीति को पास से समझने वाले एक्सपर्ट्स मानते हैं इस बार बीजेपी के सामने कांग्रेस से बड़ी चुनौती रोत हैं। आखिर ऐसे क्या समीकरण हैं जो ऐसा सोचने पर मजबूर कर रहे हैं वो हम आपको बताएंगे। 

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सलूंबर-चौरासी सीट पर चुनौती 

गौरतलब है, सात में से दो सीटों सलूंबर और चौरासी पर भारतीय आदिवासी पार्टी ने अपने प्रत्याशी खड़े किये हैं। यहां सलूंबर पर बीजेपी का कब्जा था तो चौरासी राजकुमार रोत के सांसद बनने के कारण खाली हुई। वैसे तो राजस्थान का इतिहास रहा है कांग्रेस-बीजेपी के अलावा अन्य किसी पार्टी को उतना महत्व नहीं मिला लेकिन भारतीय आदिवासी पार्टी इसमें कामयाब रही है। बीएपी के अभी तीन विधायक हैं। अगर वह सलूंबर औ चौरासी में जीत हासिल करती है तो सीटों की संख्या बढ़कर पांच हो जायेगी। 

तीसरा मोर्चा खोलेंगे राजकुमार रोत 

राजकुमार रोत की पार्टी के पास अभी तीन विधायक और एक सांसद है। अगर वह सलूंबर और चौरासी सीट पर जीत हासिल करती है तो ये संख्या 5 विधायक के करीब हो जाएगी। जो बीजेपी-कांग्रेस के विधायकों के साथ किसी पार्टी के विधायकों की संख्या ज्यादा है। इससे इतर हनुमान बेनीवाल बीजेपी को टक्कर देने की बात करते हो लेकिन उनकी पार्टी नागौर और खींवसर तक सिमट के रह गई है लेकिन भील प्रदेश की मांग और आदिवासियों के मुद्दों को उठाने के वादे के साथ राजकुमार रोत की पार्टी अपना कुनबा बढ़ाने में सफल भी रही है। ऐसे में राजस्थान की राजनीति में बीएपी को नजरअंदाज करना कांग्रेस-बीजेपी दोनों के पक्ष में नहीं है। बहरहाल, बीएपी पांच विधायकों क साथ तीसरा फ्रंट खोल पायेगी या नहीं ये तो 23 नवंबर को पता चलेगा।