Rajasthan By-Election: सियासी कद तय करेगा उपचुनाव, क्यों दांव पर पायलट- किरोड़ीलाल मीणा की साख? जानें यहां
राजस्थान में उपचुनाव की तपिश बढ़ती जा रही है, जिसमें सचिन पायलट और किरोड़ी लाल मीणा जैसे दिग्गज नेताओं की साख दांव पर है। । इस उपचुनाव में हार-जीत राजस्थान की राजनीति को नया मोड़ दे सकती है।
देश में इन दिनों चुनाव माहौल गरम है। महाराष्ट्र-झारखंड में नयी सरकार बनेगी तो यूपी, बिहार और राजस्थान में उपचुनाव से सियासी तपिश बढ़ती जा रही है। राजस्थान की सात सीटों पर उपचुनाव है। यहां बीजेपी-कांग्रेस के ये साथ स्थानियां पार्टियां ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं। इस चुनाव में कई प्रत्याशियों के साथ दिग्गज नेताओं की साख दांव पर लगी हैं। जिनमें सबसे बड़ा नाम पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और पूर्व मंत्री किरोड़ीलाल मीणा का है। दोनों प्रदेश में अपना अलग औहदा और पहचान रखते हैं लेकिन इस बार उपचुनाव में जीत-हार उनका सियासी कद भी तय करेगी। ऐसे में इस बार का उपचुनाव ज्यादा रोचक हो गया है।
इन हॉट सीट्स पर कड़ा मुकाबला
सबसे पहले बात देवली उनियारा सीट की। टोंक जिले में पड़ने वाली ये सीट पाल और मीणा बहुल मानी जाती है। आंकड़ों पर नजर डालें तो पाल वोटर्स की संख्या करीब 13 प्रतिशत तो मीणा वोटर्स 12.8 फीसदी के करीब है। जबकि गुर्जर आबादी 6 प्रतिशत है, मुस्लिम वोट 7 फीसदी के आसपास है। यहां पर 2018 से कांग्रेस का कब्जा है। टोक से सांसद बनने के बाद हरीश मीणा ने इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद उपचुनाव हो रहे हैं। यहां पर बीजेपी ने पूर्व विधायक राजेंद्र गुर्जर को प्रत्याशी बनाया है। वह गुर्जर समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं। जबकि कांग्रेस ने कस्तूर चंद मीणा पर दांव खेल मीणा वोटर्स को साधने की कोशिश की है हालांकि नरेश मीणा ने निर्दलीय उतरकर कांग्रेस की टेंशन बढ़ा दी है।
दौसा सीट पर टिकी निगाहें
दूसरी ओर दौसा सीट पर भी सभी की नजरें टिकटी हुई हैं। 2018 से यहां कांग्रेस का कब्जा है। इस बार दौसा से बीजेपी ने किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को प्रत्याशी बनाया है। जबकि कांग्रेस ने युवा चेहरे पर दांव गाते हुए दीन दयाल बैरवा को चुना है। आंकड़ों पर नजर डाले तो ये सीट मीणा बहुल मानी है। यहां 24 प्रतिशत मीणा वोटर्स, 6 प्रतिशत गुर्जर बैरवा 10 तो ब्राह्नण वोटर्स 12 फीसदी हैं। यहां पर मुस्लिम व सैनी वोटर्स चार प्रतिशत हैं जो जीत-हार तय करते हैं।
सियासी भंवर से निकल पाएंगे मीणा-पायलट?
सचिन पायलट और किरोड़ीलाल मीणा पूर्वी राजस्थान के बड़े नेता माना जाते हैं। दोनों नेताओं ने दौसा सीट से सांसद बन जनता का नेतृत्व किया है। सचिन पायलट 2004-09 के बीच यहां से सांसद रहे। 2008 में सीट आदिवासी आरक्षित कर दी गई और किरोड़ीलाल मीणा ने जीत हासिल की। हालांकि इस दौरान उन्होंने दौसा में जमीनी पकड़ बनाई रखी और 2018 से कांग्रेस इस सीट पर काबिज है। मौजूदा वक्त में पायलट के करीबी के मुरीलाल मीणा दौसा से सांसद है। जबकि देवली उनियारा सीट की बात करें तो ये सीट भी मीणा बहुल है। यहां पर दोनों नेताओं की साख दांव पर है। कांग्रेस-बीजेपी ने कोई भी खतरा मोल न लेते हुए पायलट और मीणा के करीबियों को वोट दिया है।
हार-जीत तय करेगी सियासी भविष्य
2023 के विधानसभ चुनाव में किरोड़ी लाला मीणा के बलबूते दौसा-टोंक और सवाईमाधोपुर सीट पर अच्छा प्रदर्शन किया था। दौसा की कुल आठ सीटों पर पांच में बीजेपी ने जीत का परचम लहराया था। इसी तरह टोक-सवाईमाधोपु में बीजेपी-कांग्रेस ने 4-4 सीटें जीती थीं। सवाईमाधोपुर से खुद किरोड़ीलाल मीणा जीते थे। हालांकि लोकसभा चुनाव में मीणा के जादू को धराशाई करते हुए सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस का शानदार प्रदर्शन देखने को मिला और ज्यादातर सीटो पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। जिसके बाद हार की जिम्मेदारी लेते हुए किरोड़ीलाल मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। ऐसे में अगर एक बार फिर वह उपचुनाव में बीजेपी को जीत नहीं दिलवा पाते हैं तो उन्हें बड़े सियासी नुकसान का सामन करना पड़ सकता है।