Trendingट्रेंडिंग
वेब स्टोरी

Trending Web Stories और देखें
वेब स्टोरी

Rajasthan By-Election: हनुमान बेनीवाल की बादशाहत पर मंडरा रहा खतरा ! क्या रेवंत डांगा बदल देंगे खींवसर का समीकरण? जानें

राजस्थान की खींवसर विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला, हनुमान बेनीवाल की प्रतिष्ठा दांव पर। बीजेपी ने रेवंतराम डांगा को उतारा, कांग्रेस के गठबंधन के बाद मुकाबला और रोचक। पढ़ें चुनाव की ताजा जानकारी।

Rajasthan By-Election: हनुमान बेनीवाल की बादशाहत पर मंडरा रहा खतरा ! क्या रेवंत डांगा बदल देंगे खींवसर का समीकरण? जानें

राजस्थान की सात विधानसभा सीटों पर कड़ी टक्कर है लेकिन रोचक मुकाबला खींवसर सीट पर है। जहां बीजेपी छोड़ किसी भी दल ने प्रत्याशियों का ऐलान नहीं किया गया है। चुनाव होने में भले थोड़ा वक्त बाकी हो लेकिन इस सीट पर जंग अभी से तेज हो गई है। वहीं, बीते दिन कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने किसी के साथ गठबंधन होने पर बयान दिया। ऐसे में यहां पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है। खीवंसर सीट इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि यहां से सांसद हनुमान बेनीवाल की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है। नागौर से सांसद बनने के बाद खींवसर में उपचुनाव हो रहे हैं। बीजेपी ने बेनीवाल के किले को भेदने की पूरी तैयारी की है। पार्टी ने रेवंतराम डांगा पर भरोसा जताया है,बीते विधानसभा चुनाव में बेनीवाल मात्र दो हजार वोटों से जीते थे। उन्हें डांगा से कड़ी चुनौती मिली थी।

ये भी पढ़े- Rajasthan By-Election: हनुमान बेनीवाल के गढ़ में बीजेपी की सेंध ! इस वजह से बढ़ी RLP की टेंशन

आमने-सामने होंगे गुरू और चेला

बीजेपी ने डांगा को उतारकर बेनीवाल की टेंशन बढ़ा दी है। बीजेपी ने पिछले विधानसभा चुनावों के रिजल्ट को देखते हुए डांगा को टिकट दिया है,बता दें खींवसर ऐसी सीट है जहां से बीजेपी नेताओं-कार्यकर्ताओं की ओर से कोई भी बगावती सुर नहीं उठे हैं। इससे इतर एक वक्त था जब रेवंत डांगा हनुमान बेनीवाल के करीबी माने जाते थे। डांगा आरएलपी के साथ जुड़े थे। बेनीवाल को टक्कर देने के लिए बीजेपी को मजबूत चेहरे की जरूरत थी,जिसमें डांगा बिल्कुल फिट बैठते हैं। इस सीट पर आरलएपी और बीजेपी की जंग तो थी ही लेकिन डोटासरा के बयान के बाद इस सीट पर मुकाबला और भी ज्यादा रोमांचक हो गया है। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं अगर कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ती है तो वह अपना खोया हुआ जनाधार पाने की कोशिश करेगी,जो बेनीवाल के वोट काट सकता है। 

हनुमान बेनीवाल के लिए विरासत बचाने की चुनौती 

गुरू-चेले की इस लड़ाई में कौन जीतता है ये तो वक्त बताएगा हालांकि एक बात तो तय है इस बार हनुमान बेनीवाल की राह बिल्कुल भी आसान नहीं रहने वाली है। उसका मुकाबला बीजेपी से होगा अगर कांग्रेस मैदान में उतरती है तो इसके लिए भी आरएलपी का तैयार रहना होगा। बहरहाल,कांग्रेस आलाकमान की ओर से गठबंधन पर कोई आदेश नहीं आया है, ऐसे में इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता शायद दिल्ली से आया फैसला आरएलपी के पक्ष में हो,जबकि डोटासरा कभी भी आरएलपी के साथ गठबंधन कर इच्छुक नहीं रहे। खैर, दो दशकों से बेनीवाल बीजेपी-कांग्रेस को पटकनी देते आये हैं। उन्हें राजस्थान का युवा अपना आइकन मानते हैं,लोकसभा चुनाव में उन्होंने मिर्धा परिवार का वर्चस्व ध्वस्त करते हुए धमाकेदार जीत हासिल की थी लेकिन इस बार का उपचुनाव उससे भी ज्यादा कठिन होगा। उनके सामने प्रतिष्ठा के साथ बादशाहत बचाने की चुनौती है।