Palace On Wheels: शाही ट्रेन में हुए बदलाव, दाल-बाटी-चूरमा से लेकर साज-सजावट तक और भी हो गई शानदार, देखें तस्वीरें
Palace On Wheels: पैलेस ऑन व्हील का इतिहास वैसे तो 41 साल पुराना है। 26 जनवरी 1982 को पैलेस ऑन व्हील की शुरुआत की गई थी। लेकिन बीते साल इसका निजीकरण हुआ है। निजी कंपनी क्रू कंस्ट्रक्शन इसका संचालन कर रही है।
Palace On Wheels Jaisalmer: राजस्थान के तमाम शाही महलों की खूबसूरती हमेशा से ही आकर्षण का केंद्र रही है। लेकिन अब 29 सिंतबर से पहियों पर घूमते शाही महल को भी आप और हम देख सकेंगे। दरअसल, पहियों पर महल की अनुभूति करवाने वाली शाही ट्रेन 'पैलेस ऑन व्हील्स' सीजन के पहले फेरे पर 29 सितंबर को जैसलमेर पहुंचेगी।
पैलेस ऑन व्हील का इतिहास वैसे तो 41 साल पुराना है। 26 जनवरी 1982 को पैलेस ऑन व्हील की शुरुआत की गई थी। लेकिन बीते साल इसका निजीकरण हुआ है। निजी कंपनी क्रू कंस्ट्रक्शन इसका संचालन कर रही है। कुछ सालों से पैलेस ऑन व्हील को लेकर इंटरेस्ट कुछ कम होता दिख रहा है, हालांकि इसके पीछे की एक वजह ये भी है कि कोविड में विदेशी सैलानियों के भारत नहीं आने से इसे दो साल के लिए बंद कर दिया गया था।
कोविड के बाद साल 2022 में इसे शुरू तो किया गया, लेकिन पूरी सीजन में सिर्फ 11 फेरे ही संचालित किए गए। पिछले कुछ सालों की इनकम को जब रेलवे ने देखा, तो इसकी कमान निजी कंपनी के हाथ सौंप दी गई। इस बार भी पहियों के महल में बदलाव करने के बाद ऑनलाइन बुकिंग शुरू कर दी गई है। हर साल सितंबर से अप्रैल महीने तक इसका संचालन किया जाता है। ये अब 25 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से रवाना होकर 29 सितंबर को जैसलमेर पहुंचेगी।
पैलेस ऑन व्हील की खायिसतों में से एक ये है कि 5 साल पहले इस ट्रेन में आमूलचूल परिवर्तन किया गया था, जिसमें ट्रेन के सभी 41 बाथरूम को रिनोवेटेड करने के साथ-साथ बायो टायलेट लगाए गए थे। शाही रेल के दोनों रेस्टोरेंट को नई डिजाइन से सुसज्जित करने के साथ साथ ट्रेन का फर्नीचर भी बदला गया था। साथ ही ट्रेन के बाहरी और अंदर की तरफ रंग रोगन करने के साथ-साथ लाइटिंग भी बदली गई है, ताकि सैलानियों को शाही रेल में शाही अंदाज के सफर का अहसास हो सके। इसके साथ ही मुख्य रूप से खाने के मैन्यू में दाल-बाटी चूरमा समेत स्थानीय प्रसिद्ध व्यंजन जोड़े गए थे।
पैलेस ऑन व्हील का सफर सस्ता नहीं, बल्कि काफी एक्सपेंसिव है। लेकिन ये भी सच है कि ये ज़्यादातर विदेशी सैलानियों की ही पहली पसंद होती है। लेकिन पिछले कुछ सालों से विदेशी सैलानियों का ग्राफ कम हो रहा था। पहले जहां इस ट्रेन को 100 प्रतिशत बुकिंग मिल रही थी। लेकिन इसके बाद इसमें गिरावट शुरू हो गई। करीब पांच साल पहले पूरी सीजन में सिर्फ 3500 यात्रियों ने ही इसमें सफर किया. इसके बाद से यह आंकड़ा लगातार गिर ही रहा है।
पैलेस ऑन व्हील 29 सिंतबर को जैसलमेर पहुंचेगी। इसके बाद टूरिस्ट को साइट सीन के लिए बाहर लगी लग्जरी बसों में बिठाया जाएगा और जैसलमेर कें विभिन्न के ऐतिहासिक किले, हवेलियां, गड़ीसर लेक की सैर करवाई जायेगी। वहीं सभी पर्यटक शाम को सम के मखमली धोरों पर भी धमाल करेंगे। 7 सितारा होटल जैसा अनुभव सैलानियों कों इस रेल में मिलता है।