कोटा में रेजीडेंट डॉक्टर्स का 2 घंटे का कार्य बहिष्कार, स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ा असर
कोटा में रेजीडेंट डॉक्टर्स ने जयपुर एसएमएस मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की हड़ताल का समर्थन करते हुए 2 घंटे का कार्य बहिष्कार किया। उनकी मुख्य मांगों में कार्यस्थल पर सुरक्षा सुनिश्चित करना, बॉन्ड व्यवस्था में सुधार, स्टाइपेंड में बढ़ोतरी और चिकित्सा विधाओं के बीच वेतन असमानता को खत्म करना शामिल है।
कोटा में रेजीडेंट डॉक्टर्स ने मंगलवार को दो घंटे का कार्य बहिष्कार किया, जिससे मेडिकल सेवाओं पर असर पड़ा। कोटा के एमबीएस अस्पताल, मेडिकल कॉलेज अस्पताल, जेके लोन अस्पताल, और रामपुर सैटेलाइट अस्पताल से जुड़े लगभग एक हजार रेजीडेंट डॉक्टर्स ने इस विरोध में हिस्सा लिया। इन डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे जयपुर स्थित एसएमएस मेडिकल कॉलेज के रेजीडेंट डॉक्टर्स के समर्थन में यह कदम उठाया।
डॉक्टर्स ने क्यों किया बहिष्कार
रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधि, डॉ. जितेंद्र यादव ने बताया कि उनकी मांगें मुख्य रूप से कार्यस्थल पर सुरक्षा सुनिश्चित करने, बॉन्ड व्यवस्था में संशोधन, स्टाइपेंड और इंक्रीमेंट में वृद्धि, और विभिन्न चिकित्सा विधाओं जैसे एलोपैथी, होम्योपैथी, यूनानी के डॉक्टरों के वेतन में समानता लाने से जुड़ी हैं। डॉक्टरों का कहना है कि उनके सामने काम के दौरान कई चुनौतियाँ आती हैं, जिनमें से सबसे बड़ी चुनौती कार्यस्थल पर असुरक्षा की है। आए दिन डॉक्टरों के साथ दुर्व्यवहार और हिंसा की घटनाएं होती हैं, जिससे उनके कामकाज में बाधा आती है और उनकी सुरक्षा पर सवाल खड़े होते हैं।
पिछली मांगों को नहीं किया पूरा
इसके अलावा, रेजीडेंट डॉक्टर्स का कहना है कि पिछली सरकार के समय हुए समझौते के बावजूद उनकी मांगें अब तक पूरी नहीं की गई हैं। डॉक्टर्स के अनुसार, उनकी वेतन वृद्धि और स्टाइपेंड में सुधार जैसी मांगों को अभी तक लागू नहीं किया गया है, जिससे उनका धैर्य जवाब देने लगा है। वेतन में असमानता का मुद्दा भी डॉक्टरों के लिए एक बड़ा सवाल है, क्योंकि एलोपैथी, होम्योपैथी और यूनानी के डॉक्टरों के वेतन में काफी अंतर है, जो उन्हें स्वीकार्य नहीं है।