तो क्या इस बार राजस्थान में क्लीन स्वीप नहीं कर पाएगी बीजेपी, क्यों उठे ये सवाल, जानें क्या आया है अमित शाह का बयान ?
लोकसभा चुनाव 2024 में तीसरी बार राजस्थान में क्लीन स्वीप का दावा करने वाली बीजेपी का सपना इस बार टूटता नजर आ रहा है. केंद्रीय गृहमंत्री और बीजेपी नेता अमित शाह ने अपने बयान में कहा कि इस बार राजस्थान में बीजेपी की सीटें कम होगी.
लोकसभा चुनाव 2024 में तीसरी बार राजस्थान में क्लीन स्वीप का दावा करने वाली बीजेपी का सपना इस बार टूटता नजर आ रहा है. केंद्रीय गृहमंत्री और बीजेपी नेता अमित शाह ने अपने बयान में कहा कि इस बार राजस्थान में बीजेपी की सीटें कम होगी.
लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में राजस्थान की 25 सीटों में क्लीव स्वीप करने वाली बीजेपी तीसरी बार भी राजस्थान की सभी 25 सीटों में जीत का दावा कर रही है. लेकिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस बार राजस्थान में बीजेपी सीटें कम होने की बात कही हैं.बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह के इस बयान के बाद सियासी हलचल मच गई है. हर कोई इस बयान के अलग-अलग मायने निकाल रहा है. एक तरफ कुछ लोगों का कहना कि राजस्थान में पार्टी के पास क्षेत्रीय चेहरा ना होने की वजह से सीटें कम हो रही है. वहीं, दूसरी तरफ लोगों का कहना है कि कांग्रेस सरकार की लोक लुभावन योजना को बीजेपी सरकार में बंद कर दिया गया. सीएम भजनलाल जनता के सामने पिछली सरकार की तरह लोक लुभावन योजनाएं नहीं रख पाए. ऐसे में पार्टी को नुकसान होने की संभावना है.
क्लीन स्वीप में अमित शाह ने उठाए सवाल
एक निजी टीवी चैनल को इंटरव्यू देते हुए अमित शाह ने माना कि लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी की सीटें कम होगी. राजस्थान में बीजेपी की 1 से 2 सीटें कम होने की बात अमित शाह ने इंटरव्यू के दौरान कही. चुनाव के बीच अमित शाह का ये बयान काफी अहमियत रखता है. इस चुनाव में राजस्थान में कम वोटिंग होना भी सीटें कम होने की एक अहम वजह हो सकती है. पिछले चुनावों के मुकाबले में राजस्थान में इस बार महिला और युवाओं के वोट प्रतिशत में कमी दर्ज की गई है.
पार्टी को मिला फीडबैक
राजस्थान में इस बार दो चरणों में मतदान कराया गया. दोनों चरणों में वोटिंग प्रतिशत कम होने का नुकसान बीजेपी को हुआ है. 2019 लोकसभा चुनाव में राजस्थान में 66.07 फीसदी वोटिंग हुई थी. अबकि बार वह घटकर 61.57 फीसदी हो गया. पिछले चुनाव के मुकबाले इस बार 4.57 फीसदी मतदान कम हुआ. जिसका सीधा नुकसान बीजेपी को हुआ है. यह फीडबैक पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंच चुका है.