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राज ऋषि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय और रिसर्चर्स के बीच नहीं थमा विवाद

अलवर। राज ऋषि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय और रिसर्चर्स के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. जहां पहले  रिसर्चर्स के थीसिस जमा नहीं किया जा रहे थे.

राज ऋषि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय और रिसर्चर्स के बीच नहीं थमा विवाद

अलवर में भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय और रिसर्चर्स के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. जहां पहले रिसर्चर्स के थीसिस जमा नहीं किया जा रहे थे. इसके बाद रिसर्चर्स ने विश्वविद्यालय परिसर के गेट परिसर पर धरना दिया और कुलपति से अपनी पांच सूत्रीय मांगों को मानने के लिए वार्ता की मांग की. कुलपति की ओर से यह कहा गया कि अभी आचार संहिता के चलते कुछ भी कहना मुमकिन नहीं है. शुक्रवार को रिसर्चर्स ने शहर के जैन शिक्षण संस्थान में धरना प्रदर्शन शुरू किया. इसका कारण है कि विश्वविद्यालय की ओर से अलॉट किए सुपरवाइजर को विश्विद्यालय की ओर से अयोग्य घोषित कर दिया.

रिसर्चर्स का कहना है कि विश्वविद्यालय परिसर की ओर से स्थगन के आदेश में सुपरवाइजर को आयोग के घोषित किया गया. इसके चलते रिसर्चर्स ने जैन शिक्षण संस्थान की डीन डॉ अनीता सोनी के ऑफिस के बाहर धरना दिया.उन्होंने कहा कि अगर डॉ. अनीता सोनी को ऐसा कोई आदेश मिला है, तो उन्होंने इस पर क्या कार्रवाई की है और नहीं की तो क्या कारण है कि उन्हें अयोग्य घोषित किया गया. सभी सुपरवाइजर के विरोध में जैन शिक्षण संस्थान में धरना प्रदर्शन किया है. क्योंकि किसी भी सुपरवाइजर ने इस आदेश पर प्रश्न चिन्ह नहीं लगाया. 

रिसर्चर्स का कहना है कि वह चाहते हैं कि जिन सुपरवाइजर के साथ उन्होंने कार्य किया और विश्वविद्यालय परिसर ने उनके ऊपर यह दाग लगाया है, तो इसे हटाने के लिए सुपरवाइजर को भी उनके साथ आना चाहिए. उन्हें विश्वविद्यालय से लिखित में मांग करनी चाहिए कि उन्हें किस कारण आयोग के घोषित किया गया है. अगर सुपरवाइजर आगे नहीं आएंगे, तो सभी सुपरवाइजर के पास जाकर यह धरना प्रदर्शन किया जाएगा. क्योंकि सुपरवाइजर के कारण ही हमारी पीएचडी को स्थगित किया गया है.

 रिसर्चर्स ने कहा कि अगर जैन शिक्षण संस्थान की डीन और सुपरवाइजर डॉ. अनीता सोनी इस आदेश को स्थगन नहीं करवाती है या उनसे जवाब नहीं मांगती हैं, तो हमारी यह धारणा निरंतर जारी रहेगी. रिसर्चर्स ने कहा कि इसमें हमारी कोई गलती नहीं है. हम सब चयन प्रक्रिया के द्वारा इस विश्वविद्यालय में आए. हमारे डिग्री का काल 3 साल का होता है. 3 साल के बाद रिसर्चर्स अपना थीसिस जमा करने के लिए दौड़ भाग कर रहे हैं. लेकिन विश्वविद्यालय परिसर की ओर से कोई सुनवाई नहीं की जा रही है. यूनिवर्सिटी केवल अपनी मनमानी कर रही है. यूनिवर्सिटी की ओर से रिसर्चर्स को परेशान किया जा रहा है. 

रिसर्चर्स ने विश्वविद्यालय की वीसी पर हटधर्मिता का आरोप लगाया और कहा कि यह इसके आगे किसी की कुछ बात सुना और मानना नहीं चाहते. हमारी मांग है कि सुपरवाइजर हमारे साथ आकर इस मुहिम में आगे आए नहीं तो हमारा यह धरना निरंतर जारी रहेगा.