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राजस्थान के इस गांव की हर ओर हो रही चर्चा, ASI को खुदाई में मिले महाभारत काल के अवशेष, लोगों की जुट रही भीड़

राजस्थान के भरतपुर जिले के एक गांव की चर्चा इस समय चारो तरफ हो रही है। इस गांव में दूर दराज जगहों से आये लोगों की भीड़ इस समय जुट रही है। वजह ये है कि इस गांव में करीब 4 महीने से एएसआई ने डेरा डाल रखा है एएसआई द्वारा गांव में खुदाई का काम चल रहा है।

राजस्थान के इस गांव की हर ओर हो रही चर्चा, ASI को खुदाई में मिले महाभारत काल के अवशेष, लोगों की जुट रही भीड़

राजस्थान के भरतपुर जिले के एक गांव की चर्चा इस समय चारो तरफ हो रही है। इस गांव में दूर दराज जगहों से आये लोगों की भीड़ इस समय जुट रही है। वजह ये है कि इस गांव में करीब 4 महीने से एएसआई ने डेरा डाल रखा है एएसआई द्वारा गांव में खुदाई का काम चल रहा है। बता दे कि एसआई की खुदाई में महाभारत काल और मौर्यकाल के अवशेष मिले हैं। गांव वालों का कहना है कि जहां खुदाई हो रही है उस टीले के नीचे कई सभ्यताओं से जुड़े अवशेष दबे हुए हैं।बताया जा रहा है कि जमीन के अंदर एक पूरा का पूरा गांव बसा हुआ है। ग्रामीणों का दावा तो यहां तक है कि अंदर वज्र भगवान और दाऊजी महाराज का स्वर्ण मंदिर भी दबा हुआ है।

खुदाई से इलाके के लोग उत्साहित

जैसे ही आज एएसआई का खुदाई शुरू हुई वहां, देखने वालों की भीड़ इकट्ठा हो गई। हर रोज की खुदाई को लेकर गांव वाले और आसपास के इलाकों के लोग काफी उत्साहित हैं उन्हे इंतजार है कि एएसआई की खुदाई का काम जल्द ही पूरा हो जाएगा। और यह पता चल सकेगा कि यह किस समय के अवशेष हैं। 

10 जनवरी से शुरु हुई थी गांव में खुदाई

दरअसल, वहज गांव में एएसआई विभाग ने 10 जनवरी को रामपुरा थोक और चामड़ के पास दो ब्लॉक बनाकर खुदाई शुरू की थी। इस खुदाई को करीब चार माह का समय बीत चुका है। इस टीले की खुदाई के दौरान प्राचीन सभ्यता से जुड़े अवशेष मिल रहे है। अब तक मिले गए अवशेषों में यज्ञ कुंड, राख, धातु के औजार, सिक्के मौर्यकालीन मातृ देवी प्रतिमा, तलवार का हिस्सा, शुंग कालीन अश्विनी कुमारों की मूर्ति, फलक, हड्डियों से निर्मित उपकरण, महाभारत कालीन मिट्टी के बर्तन, बड़ी-बड़ी ईंटे, चूड़ियां, मटके, कुल्हड़, गेंद चूल्हा आदि मिले है।

अवशेषों को रिसर्च के लिए भेजा जा रहा जयपुर

खुदाई में मिले अवशेष को कुषाण काल, शुंग काल, मौर्य काल, महाजनपद काल और महाभारत काल से जोड़कर देखा जा रहा है। टीले के अंदर करीब 30 फीट की खुदाई की जा चुकी है। खुदाई के दौरान निकल रहे अवशेषों को छटनी कर जयपुर भेजा जा रहा है । रिसर्च कर पता लगाया जाएगा की यह किस सभ्यता से जुड़े हुए है। टीले को करीब 8 महीने में खोदने का टारगेट है। अगर अन्य अवशेष मिलते हैं तो खुदाई के समय को और बढ़ाया जा सकता है।

गांव वालों ने किया बड़ा दावा

स्थानीय निवासी कहते हैं कि वहज गांव ब्रज क्षेत्र में आता है और ब्रज क्षेत्र भगवान श्री कृष्ण की लीला और पीड़ा स्थल रही है। पास में ही गिरिराज पर्वत है। इस गांव का नाम भगवान श्री कृष्ण के नाती बज्रनाथ के नाम पर पड़ा है और इस गांव को बसे हुए करीब 5 हजार साल से अधिक हो चुका है। गांव में प्राचीन टीला जिसे गांव का खेरा बोलते है। 

टीले के नीचे दबा है सोने का मंदिर

वहीं गांव के रहने वाले ये भी दावा कर रहे है कि इस टीले के नीचे पूरा गांव बसा हुआ है और कई सभ्यताएं दबी हुईं हैं। उनका कहना है कि यहां वज्र और दाऊजी महाराज का सोने का मंदिर भी दबा हुआ है। वह चाहते हैं कि जल्द से जल्द इसकी खुदाई हो और जो सोने के मंदिर के साथ-साथ अन्य अवशेष और पूरा का पूरा गांव दबा हुआ है, वह जल्द ही बाहर आए।