Madhopur News: रणथंभौर टाईगर रिजर्व में टेरिटोरियल फाइट में नर बाघ टी 2312 की दुखद मौत
सवाई माधोपुर के रणथंभौर टाईगर रिजर्व से आई एक दुखद खबर में, तीन वर्षीय नर बाघ टी 2312 की मौत हो गई है। यह बाघ एक टेरिटोरियल फाइट का शिकार बना, जिसमें उसे गंभीर चोटें आईं। वन विभाग के अधिकारियों ने उसकी पहचान की और पोस्टमार्टम के बाद उसका अंतिम संस्कार किया।
सवाई माधोपुर के रणथंभौर टाईगर रिजर्व से एक बार फिर वन्यजीव प्रेमियों के लिए दिल तोड़ने वाली खबर आई है। तीन वर्षीय नर बाघ, जिसे टी 2312 के नाम से जाना जाता था, की मौत हो गई। यह बाघ अब तक की टेरिटोरियल फाइट का शिकार बन गया, जो इस क्षेत्र के बाघों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा का प्रतीक है।
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बाघ का शव देखते ही सूचित किया
वनकर्मियों ने आज सुबह गौघाटी वन क्षेत्र में बाघ का शव देखा और तुरंत वन विभाग को सूचित किया। मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने बाघ की पहचान की और उसका शव राजबाग चौकी पर भेज दिया। यहाँ, एक मेडिकल बोर्ड ने बाघ के शव का पोस्टमार्टम किया, जिसमें गहरे घाव और आंतरिक क्षति की पुष्टि हुई।
बाघ को आई गंभीर चोटें
डीएफओ रामानंद भाकर ने कहा, "टी 2312 की मौत एक अन्य बाघ के साथ हुई टेरिटोरियल लड़ाई का परिणाम है। इसकी शिनाख्त लगभग 15-16 घंटे पुरानी है।" पशु चिकित्सक डॉ. राजीव गर्ग ने बताया कि बाघ के हार्ट और अन्य अंगों में गंभीर क्षति आई थी, जिससे उसकी मृत्यु हुई।
13 बाघों की हो चुकी मौत
रणथंभौर में पिछले एक साल में लगभग 13 बाघों और शावकों की मौत हो चुकी है, जिनमें कई अन्य टेरिटोरियल लड़ाइयों का शिकार बने। वर्तमान में, रणथंभौर में लगभग 80 बाघ और बाघिनें हैं, लेकिन इनके बीच लिंग अनुपात असंतुलित है, जो संघर्ष को बढ़ावा देता है।
मादा बाघिनों की संख्या हुई कम
सीसीएफ अनूप के आर ने बताया, "रणथंभौर में नर बाघों की संख्या मादा बाघिनों की तुलना में कम है, जो संघर्ष का एक बड़ा कारण है।" जैसे ही कोई शावक बड़ा होता है, वह अपना नया क्षेत्र बनाने की कोशिश करता है, जो उसे अन्य बाघों के साथ टकराव में डाल देता है।
रणथंभौर के लिए यह एक गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि यहाँ बाघों की बढ़ती संख्या और सीमित क्षेत्रफल के कारण आपसी संघर्ष बढ़ता जा रहा है। इस दुखद घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि वन्यजीवों के लिए उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना कितना आवश्यक है।