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एकलिंगजी के दर्शन किए बिना अधूरा है आपका उदयपुर भ्रमण

राजस्थान वीरगाथाओं में आपने वीरों को एकलिंगजी की कसम खाने के बारे में सुना होगा। राजस्थान के उदयपुर में एकलिंगजी का एक मंदिर है, जो चतुर्मुखी शिवलिंग के लिए भी जाना जाता है। 

एकलिंगजी के दर्शन किए बिना अधूरा है आपका उदयपुर भ्रमण
eklingji temple udaipur

उदयपुर में झीलों से लेकर महल और मंदिर कई आकर्षण के केंद्र हैं। लेकिन यहां पर ही एकलिंगजी का मंदिर है। श्री एकलिंगजी आराध्य देव भगवान शिव का प्राचीन मंदिर हैं, यहाँ पर भगवान शिवजी एक चतुर्मुखी शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। इस कारण लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं। साथ ही जब श्रृंगार हो जाता है, तो भक्त मोहित हो जाते है।

चतुर्मुखी शिवलिंग आकर्षण की वजह

भगवान शिव यहां एकलिंग के नाम से विराजित है। चतुर्मुखी शिवलिंग आकर्षण का कारण है। पूरब दिशा की तरफ का चेहरा सूर्य देव के रूप में पहचाना जाता हैं, पश्चिम दिशा के तरफ का चेहरा भगवान ब्रह्मा को दर्शाता हैं, उत्तर दिशा की तरफ का चेहरा भगवान विष्णु और दक्षिण की तरफ का चेहरा रूद्र स्वयं भगवान शिव का हैं। मंदिर के गर्भगृह के सामने पीतल से बने नन्दी की मूर्ति है। साथ ही मंदिर परिसर में 108 देवी-देवताओ के छोटे-छोटे मंदिर स्थित हैं, गर्भगृह में किसी के प्रवेश की आज्ञा नहीं हैं। श्री एकलिंग जी के दर्शन और वंदना कठघरे से बाहर रहकर ही करनी पड़ती हैं। यहां श्रृंगार फूलो, रत्नों नियमित रूप से प्रतिदिन किया जाता है। श्री एकलिंगजी मेवाड़ के शासको के मुख्य आराध्य देव हैं। युद्ध पर जाने से पहले राजपूत श्री एकलिंग जी आशीर्वाद जरुर लेते थे।

एकलिंगजी मंदिर का इतिहास

उदयपुर जिले में कैलाशपुरी एक तीर्थ है। श्री एकलिंगजी महादेव मंदिर उदयपुर से करीब 22 किमी दूर कैलाशपुरी नाम के स्थान पर स्थित हैं। एकलिंगजी मंदिर लाकुलीश संप्रदाय का रहा है, यहां से 917 ईस्वी का शिलालेख मिला है। मेवाड़ शैली में पत्थरो से निर्मित श्री एकलिंगजी उदयपुर और मेवाड़ का संबसे विख्यात और विशाल मंदिर है। डूंगरपुरराज्य की ओर से मूल बाणलिंग के इंद्रसागर में प्रवाहित किए जाने पर मंदिर में मौजूदान समय में स्थित चतुर्मुखी लिंग की स्थापना की गई थी। मेवाड़ के संस्थापक बप्पा रावल ने 8वीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण कराया था। बाद में मंदिर टूटा और पुन: बना था। मौजूदा मंदिर को महाराणा रायमल ने 15वीं शताब्दी में बनवाया था।

एकलिंगजी मंदिर की वास्तुकला

एकलिंगजी मंदिर की वास्तुकला बेहद अद्भुत है। दो मंजिला मंदिर को पिरामिड स्टाइल की छत के साथ बनाया गया है। मंदिर के बीच में काले संगमरमर से बनी एकलिंगजी की एक चार-मुखी मूर्ति है। बताया जाता है कि मंदिर में मौजूद भगवान शिव की मूर्ति लगभग 50 फीट है। मंदिर की दीवारों पर भी एक से एक बेहतरीन चित्र मौजूद है।

मंदिर दर्शन का टाइम और आस-पास के भ्रमण स्थल

मंदिर में दर्शन प्रतिदिन सुबह 5 बजे से लेकर शाम के 7 बजे के बीच कभी भी कर सकते हैं। दर्शन के लिए यहां कोई शुल्क नहीं है। मंदिर के पास सिटी पैलेस, बागोर की हवेली, सहेलियों की बाड़ी और बड़ा महल जैसी बेहतरीन जगह भी घूमने की जगहें हैं। साथ ही पिछोला झील, फ़तेह सागर झील, उदय सागर झील और बड़ी झील जैसी जगहों पर जा सकते हैं।