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रवींद्र भाटी के काफिले में कहां से आई गुजरात की गाड़ियां, मिल गए सारे जवाब ?

राजस्थान के बाड़मेर के युवा नेता रवींद्र भाटी पर बीजेपी से अलग हो जाने के बाद राष्ट्रविरोधी होने के आरोप लगते हैं। भारत रफ़्तार के संवाददाता जितेश जेठानंदानी ने जब उनसे इस विषय में बातचीत की, तो उन्होंने कहा क्या कहा? साथ ही मंहगी-मंहगी गाड़ियां और पीएम मोदी से संबंधों को लेकर भी बात की। साथ ही वो राजस्थानी भाषा को लेकर क्या चुनाव के बाद आंदोलन कर सकते हैं? ऐसे ही तमाम सवालों के उन्होंने क्या जवाब दिए, आइए जानते हैं....

रवींद्र भाटी के काफिले में कहां से आई गुजरात की गाड़ियां, मिल गए सारे जवाब ?

राजस्थान के बाड़मेर के युवा नेता रवींद्र भाटी पर बीजेपी से अलग हो जाने के बाद राष्ट्रविरोधी होने के आरोप लगते हैं। भारत रफ़्तार के संवाददाता जितेश जेठानंदानी ने जब उनसे इस विषय में बातचीत की, तो उन्होंने कहा क्या कहा? साथ ही मंहगी-मंहगी गाड़ियां और पीएम मोदी से संबंधों को लेकर भी बात की। साथ ही वो राजस्थानी भाषा को लेकर क्या चुनाव के बाद आंदोलन कर सकते हैं? ऐसे ही तमाम सवालों के उन्होंने क्या जवाब दिए, आइए जानते हैं....

पीएम मोदी से कैसे हैं रवींद्र भाटी के संबंध?

रवींद्र भाटी से जब भारत रफ़्तार के संवाददाता जितेश जेठानंदानी ने पूछा कि आप बीजेपी से अलग हो गए हैं। अलग होने के बाद लोगों का कहना है कि आप राष्ट्र विरोधी हो गए। तो उन्होंने कहा कि ‘जो आरोप लगा रहे, वो अपना काम कर रहे, हम अपना काम कर रहे हैं। राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप लगते रहते हैं’।

इसी के साथ ही जब उनसे पूछा गया कि पीएम मोदी के साथ उनके संबंध कैसे हैं। तो उन्होंने कहा कि उनके साथ संबंध अच्छे हैं। जो मेरे सामने चुनाव लड़ रहा, उससे भी संबंध अच्छे हैं, मेरे लिए बड़े भाई की तरह है।

रवींद्र भाटी के काफिले में गुजरात की गाड़ियां कैसे?

संवाददाता जितेश जेठानंदानी ने जब उनसे बातों-बातों में पूछा कि इतनी गाड़ियां कहा से आती है। ज्यादातर गाड़ियां गुजरात की हैं। तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि जिसकी गाड़ियां है, पूछ लो आप उनसे ही, सहयोगी है, भाई लोग हैं मेरे, साथ देते हैं। जाहिर सी बात है गुजरात बॉर्डर पास है, तो गाड़ियां भी ..

जीत के बाद होगा राजस्थानी भाषा को लेकर आंदोलन?

रवींद्र भाटी ने अपने इंटरव्यू में कहा कि वो जनता के साथ हमेशा खड़े हैं। राजस्थान भाषा को पहचान मिलनी ही चाहिए। आज भी भाषा के जानकार कई लोग राजस्थानी भाषा में ही बात करना पसंद करते हैं। अगर जरुरत पड़ी, तो राजस्थानी भाषा को लेकर आंदोलन में वो लोगों का साथ देंगे।