झूंझनू सीट पर कांग्रेस बचा पाएगी अपना अस्तित्व या बीजेपी फिर करेगी फतेह, सस्पेंस बरकरार
राजस्थान के 25 लोकसभा क्षेत्रों में एक झूंझनू सीट भी है. वैसे तो इस लोकसभा सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है, लेकिन 2014 से यहां बीजेपी के प्रत्याशी जीत रहे हैं. साल 2014 में पहली बार यहां बीजेपी का खाता खुला था और संतोष अहलावत सांसद चुने गए थे. इसके बाद 2019 में बीजेपी ने प्रत्याशी बदलकर नरेंद्र कुमार को टिकट दिया तो वह भी चुनाव जीत गए.
राजस्थान के 25 लोकसभा क्षेत्रों में एक झूंझनू सीट भी है. वैसे तो इस लोकसभा सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है, लेकिन 2014 से यहां बीजेपी के प्रत्याशी जीत रहे हैं. साल 2014 में पहली बार यहां बीजेपी का खाता खुला था और संतोष अहलावत सांसद चुने गए थे. इसके बाद 2019 में बीजेपी ने प्रत्याशी बदलकर नरेंद्र कुमार को टिकट दिया तो वह भी चुनाव जीत गए.
1952 में हुआ पहला चुनाव
आजादी के बाद इस लोकसभा सीट पर पहली बार चुनाव 1952 में हुआ था. उस समय कांग्रेस के राधेश्याम मोराका सांसद चुने गए थे. उन्होंने 1957 और 62 के चुनाव में भी अपनी जीत कायम रखी. हालांकि 1967 में स्वतंत्र पार्टी के प्रत्याशी आर के बिरला यहां से सांसद बन गए. फिर 71 के चुनाव में वापस कांग्रेस को जीत मिली और शिवनाथ सिंह सांसद चुने गए थे. 1977 में जनता पार्टी की लहर आई तो फिर कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा और 1980 में जनता पार्टी के खाते में यह सीट चली गई. हालांकि 1984 में एक बार फिर से कांग्रेस के मोहम्मद अयूब खान चुनाव जीत गए.
इसी प्रकार 1989 में जगदीप धनखड़ जनताल के टिकट पर जीते, लेकिन 1991 में मोहम्मद अयूब खान ने फिर से चुनाव जीत का यह सीट कांग्रेस की झोली में डाल दिया. फिर 1996 से लेकर 2009 तक के सभी पांच चुनाव कांग्रेस के शीशराम ओला जीतते रहे. हालांकि 2014 में यह सीट बीजेपी की झोली में चली गई थी. आठ विधानसभा वाली इस लोकसभा क्षेत्र में पिलानी, सूरजगढ़, झूंझनू, मांडवा, उदयपुरवाटी और फतेहपुर में कांग्रेस पार्टी के ही विधायक हैं. वहीं बीजेपी के पास यहां की केवल दो विधानसभा सीटें नवलगढ़ और खेतरी है.
झूंझनू लोकसभा सीट का इतिहास
झूंझनू नगर का इतिहास ईसा पूर्व का है. विक्रम संवत 1045 में यहां चौहान वंश का शासन था. राजधानी जयपुर से 180 किमी और दिल्ली से 245 किमी दूर यह नगर भव्य हवेलियों पर भित्तिचित्रों के लिए प्रसिद्ध है. ऐतिहासिक संदर्भों के मुताबिक फिरोज तुगलक के बाद आए कायमखानी वंश ने इस शहर पर राज किया था झुंझुनू का अन्तिम नवाब रुहेल खान था. यहां के लोगों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ खूब ताकत दिखाई. स्वतंत्रता सैनानी सावलराम के अनुसार यहां आर्य समाज आन्दोलन, जकात आन्दोलन, जागीरदारों के खिलाफ आन्दोलन, प्रजा मंडल आन्दोलन और अंग्रेजों के विरुद्ध आन्दोलन हुए. राजस्थान का यह जिला सर्वाधिक आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के लिए तो जाना ही जाता है, यहां सेना के अधिकारी, और सैनिक भी बड़ी संख्या में निकले हैं.
यहां अनेक छोटे बड़े दर्शनीय स्थल हैं. इनमें रानी सती का मंदिर, काली पहाड़ी, खेतड़ी महल आदि मुख्य है. जिले की सीमा हरियाणा से लगती है.यह नगर भित्तिचित्र कला के लिए जाना जाता है. संगमरमर से बना खेतड़ी पैलेस या विंड पैलेस सुन्दर महल वास्तुकला का उदाहरण है. इसके अलावा दरगाह कमरुद्दीन शाह, मुस्लिम सूफी संत हजरत कमरुद्दीन शाह के मकबरे मे मस्जिद, कुरान स्कूल, दरगाह और आंगन है.
झूंझनू लोकसभा सीट चुनाव परिणाम 2019
उम्मीदवार का नाम |
परिणाम |
कुल वोट |
वोट प्रतिशत % |
नरेंद्र कुमार BJP |
जीत |
738163 |
61.57 |
Sharwan Kumar Gokal Ram Cong |
हार |
435616 |
36.33 |
नोटा NOTA |
हार |
8497 |
0.71 |
Sharwan Kumar Hukma Ram IND |
हार |
5582 |
0.47 |