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Navdeep Singh: कभी सुने थे बौनेपन के ताने,अब बने पैरालंपिक चैंपियन,जानें जैवलिन में गोल्ड जीतने वाले नवदीप सिंह की कहानी

Navdeep Singh gold medal javelin Paralympics 2024: भारत के नवदीप सिंह ने पेरालंपिक 2024 में F41 कैटेगरी में जैवलिन थ्रो में 47.32 मीटर के थ्रो से गोल्ड मेडल जीता। हरियाणा के नवदीप ने अपनी कड़ी मेहनत से इतिहास रच दिया और देश को गर्व महसूस कराया।

Navdeep Singh: कभी सुने थे बौनेपन के ताने,अब बने पैरालंपिक चैंपियन,जानें जैवलिन में गोल्ड जीतने वाले नवदीप सिंह की कहानी

Navdeep Singh biography and achievements: छोटा बच्चा जान के ना कोई आँख दिखाना रे मासूम फिल्म का ये गाना आज भी लोगों को याद है। ये गाना विदेशी धरती पर भारत की धाक जमाने वाले नवदीप सिंह पर बिल्कुल सटीक बैठता है। कभी उन्हें बौनपन के कारण ताने मिलते थे लेकिन उसी कमजोरी को ताकत बनाते हुए नवदीप ने F41 में स्वर्ण पदक जीत भारत का नाम रौशन कर दिया। बता दें, F41 कैटेगरी में कम हाइट वाले एथलीट हिस्स लेते हैं। नीरज चोपड़ा भले भारत के लिए सोना न जीत पाये हों लेकिन देशवासियों की चाह पूरी करते हुए नवदीप ने इतिहास रच दिया। साथ ही ये साबित कर दिया अगर दिल में जज्बा हो तो मुश्किलें कितनी भी आएं सफलता जरूर मिलती है। ऐसे में जानते हैं आखिर नवदीप सिंह कौन हैं। 

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47.32 मीटर का थ्रो कर जीता गोल्ड

बता दें, 4 फुट 4 इंच नवदीप सिंह हरियाणा के रहने वाले हैं। उन्होंने प्रतिस्पर्धा के दौरन तीसरे अटेंप्ट में 47.32 मीटर थ्रो किया था हालांकि, उनसे ज्यादा थ्रो ईरान के एथलीट सादेग बेत सयाह ने किया। उन्होंने 47.64 मीटर का थ्रो किया था लेकिन उन्होंने पेरालंपिक नियमों के उल्लंघन के आरोप में बाहर कर दिया गया। जिसका फायदा नवदीप को मिला और उन्होंने सिल्वर की बजाय गोल्ड पर कब्जा जमाया था। नवदीप को गोल्ड मिलने के बाद भारत अभी तक 7 गोल्ड मेडल जीत चुका है। वहीें पेरिस में हो रहे पैरालंपिक में भारत का शानदार प्रदर्शन रहा है। भारत की झोली में कई पदक आए हैं और ये सिलसिला अभी तक जारी है। पैरालंपिक खेलों का समापन 8 सितंबर को होगा। 

कभी बौना कहकर चिढ़ाते थे लोग

हरियाणा के बुआन लाखू गांव से ताल्लुक रखने वाले नवदीप की हाइट बचपन से कम थी। वह बौनेपन से जूझ रहे थे। समाज उन्हें बौना कर ताने देता था। इसकी वजह से उन्होंने घर से निकलना बंद कर दिया था लेकिन परिवारवाले उन्हें हमेशा मोटिवेट करते थे। उनका आत्मविश्वास तब और बढ़ा जब 2012 में राष्ट्रीय बाल पुरस्कार का अवॉर्ड मिला। इसके बाद नवदीप ने अपनी कमजोरी को ताकत में बदलने की ठानी और अब देश की झोली में गोल्ड मेडल डाल दिया। 

नवदीप सिंह ने पूरा किया पिता का सपना

नवदीप सिंह का जन्म 2000 में हुआ था, बचपन में माता-पिता को बौनेपन से पीड़ित होने का पता चला। इलाज चला लेकिन कोई फायदा नहीं मिला। नवदीप के परिवारवालों ने सच को स्वीकार करते हुए बेटे का आत्मविश्वास बढ़ाया। नवदीप के पिता ग्राम सचिव थे। इससे पहले वह रेसलर रह चुके थे, उन्होंने अपने बेटे को रेसलिंग की तरफ बढ़ावा दिया। जब नवदीप ने नेशनल स्तर पर स्कूल कॉपिंटिशन जीता तो उनका आत्माविश्वास बढ़ गया और वह ट्रेनिंग के लिए 4 साल बाद दिल्ली शिफ्ट हो गए हैं। नवदीप को इंस्पिरेशन नीरज चोपड़ा से मिला था। जब नीरज ने अंडर 20 खिताब जीता था। यहीं से आगे बढ़ते हुए नवदीप ने रेसलिंग की बजाय जैवलिन की प्रेक्टिस शुरू की थी।