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Sucess story: ये है आज कल की लव स्टोरी... गजेंद्र बने जब पति के साथ ‘सारथी’ तो सिमरन ने जीत ली दुनिया !

सिमरन ने अपनी कमजोरी को सफलता के आगे नहीं आने दिया। उन्होंने अपने संघर्ष के दम पर पेरिस पैरालिंपिक में कांस्य पदक अपने नाम किया।

Sucess story: ये है आज कल की लव स्टोरी... गजेंद्र बने जब पति के साथ ‘सारथी’ तो सिमरन ने जीत ली दुनिया !

कहते हैं अगर हौसलों को उड़ान और सही दिशा मिले तो इंसान की हस्ती दुनिया देखती है। हस्ती ऐसी जिसे दुनिया सलाम करे। यूं तो कहते हैं कि हर कामयाब मर्द के पीछे एक औरत का हाथ होता है, लेकिन आजकल के जमाने में रिश्तों का रूप बदल गया है। जी हां पेरिस ओलंपिक में कुछ ऐसा हुआ जिससे ये भी साबित हो गया कि हर कामयाब औरत के पीछे एक आदमी होता है। पेरिस पैरालिंपिक में कांस्य पदक अपने नाम नाम करने वाली सिमरन और उनके पति गजेंद्र की आज हर ओर चर्चा हो रही है।

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सिमरन ने अपनी कमजोरी को सफलता के आगे नहीं आने दिया। उन्होंने अपने संघर्ष के दम पर पेरिस पैरालिंपिक में कांस्य पदक अपने नाम किया।

मोदीनगर के गोयलपुरी की रहने वाली सिमरन तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। भाई आकाश एक निजी कंपनी में काम करता है। बहन अनुष्का की शादी हो चुकी है। चार साल पहले पिता की मौत हो गयी। छह साल पहले सिमरन की लव मैरिज मोदीनगर तहसील के खंजरपुर गांव में रहने वाले गजेंद्र से हुई थी। गजेंद्र सेना में है जोकि दिल्ली में तैनात हैं। उनके साथ ही सिमरन भी पिछले चार साल से दिल्ली में रह रही हैं।

पति भी और कोच भी

सिमरन के पति गजेंद्र ने उन्हें दौड़ने की ट्रेनिंग दी। गजेंद्र ने पति के साथ-साथ कोच की भूमिका भी बखूबी निभाई। सिमरन दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में ट्रेनिंग करती थीं। आज सिमरन उन लोगों के लिए एक मिसाल हैं जो अपनी विकलांगता को कमजोरी मानकर रास्ते से हट जाते हैं। सिमरन अपने मजबूत हौसलों से लगातार सफलता हासिल कर रही हैं।

आसान नहीं था पेरिस तक का सफर
सिमरन के पिता मनोज शर्मा अस्पताल में डॉक्टर के पास पर काम करते थे। मां सविता हॉस्टल में टिफिन सप्लाई करती हैं। परिवार की आय सीमित थी। उन्होंने रुक्मिणी मोदी इंटर कॉलेज से 12वीं पास की। वह कॉलेज में होने वाली खेल प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा लेती थीं। 12वीं के बाद उन्होंने खेल को अपना करियर चुना। सिमरन के भाई आकाश ने बताया कि वह बगल से देख नहीं पाती हैं। सिमरन को सामने भी कुछ दूरी तक ही देखता है। इसके बावजूद वह अपने काम को लेकर गंभीर रहती हैं। उन्होंने सभी कार्य आत्मनिर्भरता से किये।

कैसे हासिल किया ब्रांज
सिमरन शर्मा ने पेरिस पैरालिंपिक में महिलाओं की 200 मीटर टी12 स्पर्धा में 24.75 सेकंड के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ के साथ कांस्य पदक जीता। सिमरन दृष्टिबाधित है और गाइड के साथ दौड़ती है। बचपन में उनकी विकलांगता के कारण उन्हें बहुत परेशान किया गया था। लेकिन वो अपनी परेशानियों से हारी नहीं बल्कि पेरिस में उन्होंने भारत का परचम बड़े शान के साथ लहराया है।