18वीं लोकसभा में जेल से बाहुबली भर रहे हैं दम, चुनावों में बाहुबलियों का बोलबाला, पुर्वांचल में सबसे ज्यादा बाहुबली
देश में लोकसभा चुनावों में बाहुबलियों को टिकट देने में कोई भी पार्टी पीछे नहीं है। लोकतंत्र के महापर्व पर बाहुबलियों और दबंगों की छाया बनी रहती है। इनके आगे खड़े होने की, किसी पार्टी नेता की हिम्मत भी नहीं होती है।18वीं लोकसभा के लिए हो रहे आम चुनाव में इस बार भी उत्तर प्रदेश में कई ऐसे माफिया और बाहुबली हैं, जो जेल में बंद होने के बावजूद अप्रत्यक्ष रूप से दखल दे रहे हैं।
देश में लोकसभा चुनावों में बाहुबलियों को टिकट देने में कोई भी पार्टी पीछे नहीं है। लोकतंत्र के महापर्व पर बाहुबलियों और दबंगों की छाया बनी रहती है। इनके आगे खड़े होने की, किसी पार्टी नेता की हिम्मत भी नहीं होती है।18वीं लोकसभा के लिए हो रहे आम चुनाव में इस बार भी उत्तर प्रदेश में कई ऐसे माफिया और बाहुबली हैं, जो जेल में बंद होने के बावजूद अप्रत्यक्ष रूप से दखल दे रहे हैं।
चुनावों में बाहुबलियों का बोलबाला
18वीं लोकसभा चुनावों में बाहुबलियों का बोलबाला लगभग खत्म हो गया है। उत्तर प्रदेश से अतीक अहमद, खान मुबारक, मुन्ना बजरंगी, संजीव जीवा माहेश्वरी, जैसे माफियाओं का खात्मा हो गया। बुंदेलखंड के जंगलों से ददुआ ठोकिया, गौरी यादव जैसे डकैत का नाम नहीं बचा। कुल मिलाकर यूपी के सियासी इतिहास में यह पहला चुनाव है। जिसमें डकैतों और माफियाओं का दखल अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच पहुंच गया है। इसके बावजूद सियासत के कई महारथी इस बार भी जेल के अंदर से अपनी सियासी धमक को दिखाने में जुटे हैं। जेल में बंद इन बाहुबलियों का दखल इस बार के चुनाव में न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। इसके बावजूद सियासत के कई महारथी इस बार भी जेल के अंदर से अपनी सियासी धमक को दिखाने में जुटे हैं। जेल में बंद इन बाहुबलियों का दखल इस बार के चुनाव में बेहद अहम है।
चुनावों में बाहुबलियों की अग्निपरिक्षा
धनंजय सिंह- जौनपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने एक मामले में 7 साल की सजा सुनाई है। 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद से ही धनंजय सिंह जौनपुर सीट से चुनाव लड़ें हैं। धनंजय सिंह की लड़ाई सीधे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से है। इनका मुकाबला जौनपुर से बीजेपी के कृपा शंकर सिंह से है। धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं।
अफजाल अंसारी- मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी गाजीपुर से चुनाव लड़ रहे हैं। गाजीपुर सीट के साथ-साथ आसपास की कई अन्य सीटों पर असर देखने को मिल रहा है। मुख्तार अंसारी की मौत सबसे बड़ा फैक्टर बनकर उभरा है। गाजीपुर और आस-पास मुस्लिम वोटबैंक में ध्रुवीकरण हुआ है। कासगंज जेल में बंद मुख्तार अंसारी के विधायक बेटे अब्बास अंसारी के साथ साथ यह चुनाव बिना मुख़्तार अंसारी के अंसारी परिवार की जनता में पकड़ को तय करेगा।
उदयभान करवरिया- इलाहाबाद और फूलपुर सीट पर ब्राह्मण वोट बैंक कीअच्छी खासी पकड़ है। उदयभान करवरिया प्रयागराज की नैनी जेल में बंद हैं। उदयभान की पत्नी नीलम करवरिया बीजेपी से 2017 में मेजा सीट से जीत हासिल की थी। अतीक के करीबी रहे उदयभान करवरिया के लिए चुनाव उनका वर्चस्व भी तय करेगा।
इरफान सोलंकी- कानपुर से समाजवादी पार्टी के नेता इरफान सोलंकीमुस्लिम वोट बैंक का चेहरा हैं। इरफान सोलंकी महाराजगंज जेल में बंद हैं। इरफान सोलंकी ने हमेशा खुद को राजनीतिक शिकार बताया है। इरफान सोलंकी खुद को मजलूम बताकर लोगों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
विजय मिश्रा- बाहुबली विजय मिश्रा आगरा जेल में बंद है। भदोही और उसके आसपास के इलाके में विजय मिश्रा का अच्छा खासा रसूख रहा है। यूपी सरकार ने विजय मिश्रा के साम्राज्य को बुलडोजर से मिट्टी में मिला दिया है। बीजेपी के खिलाफ विजय मिश्रा अपने आपको राजनीति का शिकार बता रहे हैं। भाजपा ने भदोही लोकसभा सीट से विनोद कुमार बिंद को उम्मीदवार बनाया है।
रिजवान ज़हीर- समाजवादी पार्टी के रिजवान ज़हीर ललितपुर जेल में बंद हैं। बलरामपुर लोकसभा सीट से दो बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर सांसद और तुलसीपुर विधानसभा सीट से तीन बार विधायक रहे हैं।
आजम खान- आजम खान सीतापुर जेल में बंद हैं। आजम खान की पत्नी तंजीन फातिमा और बेटा अब्दुल्ला हरदोई जेल में बंद हैं। जेल में बंद आजम खान के लिए अग्निपरीक्षा।
2024 के लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी और निर्दलिय चुनाव लड़ रहे बाहुबलियों से बसपा और बीजेपी ने दूरी बनाई है। यूपी में योगी आदित्यनाथ लगातार बाहुबलियों के खिलाफ सरकार के एक्शन को अपनी उपलब्धी बता रहे हैं। देखना होगा की चुनावों में बाहुबलियों का वर्चस्व उनके कितने काम आता है।