गाजीपुर में दिलचस्प हुआ सियासी संग्राम, अफजाल को हराएंगे पारसनाथ ?
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की दसवीं सूची जारी की। इसमें गाजीपुर से पारसनाथ राय का नाम शामिल है। यह पारस राय के राजनीतिक करियर का यह पहला लोकसभा चुनाव है। वह गाजीपुर के मनिहारी ब्लॉक के सिखड़ी गांव के रहने वाले हैं। वह मदन मोहन मालवीय इंटर कॉलेज के प्रबंधक भी हैं। आइए आपको बताते हैं कि बीजेपी ने सपा प्रत्याशी अफजाल अंसारी के सामने आखिर पारसनाथ राय के नाम पर क्यों दांव लगाया?
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की दसवीं सूची जारी की। इसमें गाजीपुर से पारसनाथ राय का नाम शामिल है। यह पारस राय के राजनीतिक करियर का यह पहला लोकसभा चुनाव है। वह गाजीपुर के मनिहारी ब्लॉक के सिखड़ी गांव के रहने वाले हैं। वह मदन मोहन मालवीय इंटर कॉलेज के प्रबंधक भी हैं। आइए आपको बताते हैं कि बीजेपी ने सपा प्रत्याशी अफजाल अंसारी के सामने आखिर पारसनाथ राय के नाम पर क्यों दांव लगाया?
लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की 10वीं लिस्ट जारी की। इस लिस्ट में बीजेपी ने गाजीपुर से पारसनाथ राय को टिकट दिया है। दरअसल इस सीट के उम्मीदवार को लेकर के लोगों के मन में काफी उत्सुकता बनी हुई थी। इसके साथ ही साथ यह सीट पूर्वांचल के लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण हो जाती है। इस सीट और यहां के उम्मीदवारी से पूर्वांचल का नरेटिव भी तय होता है। इस कारण बीजेपी ने इस सीट से उम्मीदवार का नाम फाइनल करने से पहले सारे समीकरण और संभावनाओं को टटोला है।
बीजेपी ने अपने 10वें सूची में पारसनाथ राय को उम्मीदवार बनाया, लेकिन उनकी उम्मीदवारी से पहले कई नामों पर पार्टी के अंदर गहन विचार विर्मश हुआ। गाजीपुर सीट से मौजूदा सांसद अफजाल अंसारी के सामने बीजेपी के सबसे बड़ा चेहरा और नाम मनोज सिन्हा का आता है। जो 2014 में वहां से जीत चुके हैं। इतना ही नहीं वह मोदी सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। इसके साथ ही साथ मनोज सिन्हा जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल भी हैं।
कौन हैं पारसनाथ राय ?
गांजीपुर सीट से पारसनाथ राय को बीजेपी ने टिकट दिया है। पारसनाथ राय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हैं। 2023 में पारसनाथ राय जंगीपुर क्रय-विक्रय संघ के अध्यक्ष बने। पारसनाथ राय मदन मोहन मालवीय के नाम से शिक्षण संस्थान चलाते हैं। पारसनाथ राय मनोज सिन्हा के बेहद करीबी माने जाते हैं। पारसनाथ राय के बेटे आशुतोष राय BJYM के यूपी प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं।
इन समीकरणों का भी रखा गया ध्यान
दरअसल पूर्वांचल में बीजेपी को एक भूमिहार उम्मीदवार देना था। इसके साथ ही बलिया और गाजीपुर ही ऐसी सीट है जहां से किसी भूमिहार उम्मीदवार को उतारा जा सकता था। बलिया में ठाकुर उम्मीदवार वीरेंद्र सिंह मस्त का टिकट काटकर किसी भूमिहार को टिकट देना बीजेपी के लिए खतरा भरा हो सकता था। इसके साथ ही बलिया में कोई प्रभावशाली भूमिहार उम्मीदवार नहीं था। बीजेपी ने बलिया या गाजीपुर से एक भूमिहार उम्मीदवार के मार्फत गाजीपुर, बलिया, घोसी, आजमगढ़, बनारस जैसे सारे क्षेत्रों के भूमिहार को मैसेज देना चाहती थी। इसलिए बलिया से ठाकुर नीरज शेखर की उम्मीदवारी तय की गई और गाजीपुर में भूमिहार देना तय हुआ।
संघ की रही महत्वपूर्ण भूमिका
गाजीपुर से नाम फाइनल होने में आरएसएस की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण रही। संघ ने अपने स्वयंसेवक और विभाग संपर्क प्रमुख रिटायर्ड प्रिंसिपल पारसनाथ राय के नाम को आगे बढ़ाया। 68 वर्षीय पारसनाथ राय की छवि साफ सुथरी रही है। इसके माध्यम से गाजीपुर में ‘अंसारी के बाहुबल बनाम संघ की स्वच्छ छवि’ का मैसेज भी पार्टी देना चाहती है और इसी कड़ी में पारसनाथ राय पर पार्टी ने अंतिम मुहर लगाई।
गाजीपुर में जीत का समीकरण
गाजीपुर लोकसभा सीट की बात करें तो मुस्लमानों की तादात सबसे ज्यादा है। यही कारण रहा कि 2019 में मोदी लहर में अफजाल अंसारी यहां से चुनाव जीत गए। रिपोर्ट की मानें तो गाजीपुर में 3 लाख मुस्लिम, 2।5 लाख कुशवाह, 2 लाख राजपूत, 1।5 बिंद, 1 लाख वैश्य और 1 लाख ब्राहामण वोट है। ऐसे में राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के मैदान में उतरने के बाद मुकाबला और भी दिलचस्प हो जाएगा। क्योंकि मुस्लिम वोटों के मुकाबले हिंदू वोटों का एक जुट होना पारसनाथ राय जीत के समीकरण को आसान कर देगा।