Trendingट्रेंडिंग
वेब स्टोरी

Trending Web Stories और देखें
वेब स्टोरी

रामलला के ललाट तक ऐसे पहुंची सूर्य की रोशनी, जानिए सूर्य तिलक का पूरा प्रोसेस....

Ram Navmi: अयोध्या के राम मंदिर में रामनवमी के अवसर पर दोपहर ठीक 12 बजकर 16 मिनट पर रामलला का सूर्य से अभिषेक हुआ। इस भव्य दिव्य और अलौकिक सूर्य तिलक का 100 एलईडी स्क्रीन से पूरे अयोध्या में लाइव टेलिकास्ट हुई।

रामलला के ललाट तक ऐसे पहुंची सूर्य की रोशनी, जानिए सूर्य तिलक का पूरा प्रोसेस....

Ram Tilak: अयोध्या के राम मंदिर में रामनवमी के अवसर पर दोपहर ठीक 12 बजकर 16 मिनट पर रामलला का सूर्य से अभिषेक हुआ। इस भव्य दिव्य और अलौकिक सूर्य तिलक का 100 एलईडी स्क्रीन से पूरे अयोध्या में लाइव टेलिकास्ट हुई। रामनवमी के मौके पर रामलला के सूर्य तिलक को देखने के लिए लाखों भक्त अयोध्या में उमड़े हैं। स्टेशन से लेकर रामजन्म भूमि तक भक्तों की कतार लगी हुई है। 500 साल के लंबे इंतजार के बाद अयोध्या में रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान हैं।राम मंदिर बनने के बाद ये पहली रामनवमी है। इस वजह से इस बार रामनवमी पर सूर्य की किरणों से उनका अभिषेक किया गया। सूर्य की किरणें ठीक 12 बजकर 16 मिनट पर रामलला के ललाट पर पड़ी और करीब 5 मिनट तक रही और रामलला के मस्तक पर 75 मिमी के आकार का गोल तिलक किया। सूर्य की किरणें तीसरी मंज़िल से गर्भगृह में विराजमान रामलला तक पहुंची। इसके लिए वैज्ञानिकों ने खास तैयारी की थी।जानिए कौनसे लैंस से सूर्य की रौशनी रामलला के मस्तिष्क पर  लाई गई....

ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम से होगा

रामनवमी के दिन अयोध्या में विराजमान श्री रामलला को सूरज की किरणों से अभिषेक किया गया। यह सूर्य तिलक फिजिक्स की एक खास तकनीक ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम के जरिए गर्भगृह तक पहुंचाई गई। सूर्य की किरणें तीसरे फ्लोर पर लगे हुए पहले शीशे पर आई और इसके बाद तीन लेंस से होकर गुजरीइसके साथ दो और शीशे के जरिए गुजरते हुए ग्राउंड फ्लोर पर लगे आखिरी शीशे पर पड़ी। इसके बाद रामलला की मूर्ति के मस्तिष्क पर सूर्य की किरणों से सूर्य तिलक पूर्ण हो गया।यह तिलक रामलला के मस्तिष्क पर 4 मिनट तक 75 मिमी के गोल तिलक के शेप में दिखा।

इस प्रक्रिया के जरिए पहुंची किरणें 

रामनवमी के दिन तीसरी मंजिल पर लगे ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम के पहले रिफ्लेक्टर पर गिरी इसके बाद शीशे पर गई  और फिर लैंस के जरिए आगे बढी। इसके बाद वर्टिकल पाइप के जरिए लेंस से गुजरते हुए रोशनी गर्भ ग्रह में रामलाल की मूर्ति के सामने लगे शीशे से होके गुजरी जो कि 60 डिग्री के एंगल पर लगा होगा।इस तकनीक में 19 इलेक्ट्रिक गियर भी लगाए गए। जो कि सेकंड के अंतराल पर शीशे और लेंस की किरणों की गति बदलते रही।  रिफ्लेक्टर को छत पर लगाया गया। इसमें एक बहुत बड़ा लेंस है जो कि 19 इलेक्ट्रिक गैर के तहत काम किया। पहला शीशा तीसरी मंजिल पर हुआ जिसमें सूर्य की रोशनी रिफ्लेक्ट हुई वहीं तीसरा शिक्षा गर्ग ग्रह में रामलाल की मूर्ति के सामने आई।